'जबरन श्रम' से तैयार चीन के कपास पर उठे सवाल
२३ अप्रैल २०२०कार्यकर्ताओं का कहना है कि एचएंडएम, आईकिया, यूनिक्लो और मुजी जैसी कंपनियां शिनचियांग से आने वाले कॉटन से बने कपड़े बेच रही हैं. संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि वहां कायम शिविरों में कम से कम दस लाख उइगुर और अन्य अल्पसंख्यक मुसलमानों को रखा गया है. एचएंडएम और आईकिया ने कहा है कि जिस संगठन के जरिए वे कपास मंगाते थे, उसने कहा है कि वह अब शिनचियांग से कपास नहीं लेगा. वहीं यूनिक्लो और मुजी जैसी कंपनियां ने इस बारे में पूछे गए सवाल का कोई जवाब नहीं दिया है. ये कंपनियां अपनी वेबसाइट पर इस बात को प्रचारित करती हैं कि वे शिनचियांग की कपास इस्तेमाल करती हैं.
वर्ल्ड उइगुर कांग्रेस और ग्लोबल लीगल एक्शन नेटवर्क (जीएलएएन) ने ब्रिटिश सरकार को लिखे एक पत्र में कहा है कि इस बात के बहुत से प्रमाण हैं कि चीन के कपास उद्योग में उइगुर लोगों को इस्तेमाल किया जा रहा है. उन्होंने ब्रिटेन से कहा है कि इस मामले में पूरी जांच कराई जाए और तब तक उस इलाके से कपास आयात ना किया जाए जब तक कंपनियां यह साबित ना करें कि कपास जबरन श्रम से तैयार नहीं कराया गया है.
वकीलों, अकदामिकों और खोजी पत्रकारों के समूह जीएलएएन के निदेशक जेरोद ओ कुईन ने कहा, "ये सप्लाई चेन और इस कपास के आयात को रोका जाए." उन्होंने कहा, "यहूदी नरसंहार के बाद व्यवस्थित तरीके एक जातीय समूह के सबसे बड़े कैदखाने पर यह उत्पादन निर्भर करता है." दूसरी तरफ चीन का कहना है कि आतंकवाद को खत्म करने और वहां मौजूद लोगों को पेशेवर दक्षता देने के लिए ये शिविर चलाए जा रहे हैं. चीन इस बात से इनकार करता है कि उइगुर लोगों से जबरन श्रम कराया जा रहा है. ब्रिटिश सरकार को लिखे गए पत्र में जो आरोप लगाए गए हैं, उन पर लंदन में स्थित चीनी दूतावास की तरफ से तुरंत कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.
चीन के 80 प्रतिशत से ज्यादा कपास का उत्पादन शिनचियांग में ही होता है. यह चीन का एक बड़ा पश्चिमोत्तर इलाका है जहां 1.1 करोड़ उइगुर लोग रहते हैं. ब्रिटेन के एचएमआरसी कस्टम अधिकारियों को भेजे गए पत्र में जीएलएएन और उइगुर मानवाधिकार समूहों ने कहा है कि शिनचियांग में पैदा कपास का आयात ब्रिटिश कानूनों का उल्लंघन करता है.
ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा है कि शिनचियांग से कपास मंगाने वाली कंपनियों को बेहद तत्परता से यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे मानवाधिकारों के उल्लंघन का सर्मथन ना करें. उन्होंने कहा, "हम शिनचियांग में मानवाधिकारों की स्थिति और चीन की बढ़ती कार्रवाइयों को लेकर बहुत चिंतित हैं, खास तौर से दस लाख से ज्यादा उइगुरों और दूसरे जातीय अल्पसंख्यकों को हिरासत में रखे जाने को लेकर." प्रवक्ता का कहना है कि ब्रिटेन इन चिंताओं को चीन के सामने उठाएगा.
जीएलएएन का कहना है कि अगर ब्रिटिश सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया तो वह कानूनी कदमों के बारे में विचार करेगा. अमेरिका में भी सांसदों ने ऐसे कानून का प्रस्ताव रखा है, जिसके तहत शिनचियांग में जबरन श्रम से तैयार होने वाले सामान के आयात पर रोक लगाई जा सके.
एके/एमजे (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)
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