जंगली जानवरों की वापसी की दास्तान
लगभग गायब हो चुके वन्य जीवों को वापस ले आने को रीवाइल्डिंग कहा जाता है. पिछले एक दशक में दुनिया के कई हिस्सों में इसका प्रकृति पर लाभकारी असर पड़ा है. जानिए इनमें से कुछ सफल प्रयासों के बारे में.
आम लोगों की शक्ति
रीवाइल्डिंग जंगलों को बढ़ाने का एक सामाजिक और इकोलॉजिकल आंदोलन है. यूरोप में इकोलॉजिस्ट मांग कर रहे हैं कि नष्ट हो चुके जंगली इलाकों के 20 प्रतिशत हिस्से को 2030 तक फिर से हरा भरा किया जाए.
यूरोपीय बाइसन की वापसी
बीसवीं सदी की शुरुआत में यूरोपीय बाइसन लगभग गायब हो चुके थे लेकिन अब रीवाइल्डिंग की कोशिशों की वजह से पूरे यूरोप में बाइसन की आबादी लगभग तीन गुना बढ़ चुकी है. अब ना सिर्फ ये स्थानीय जैव-विविधता बढ़ाने का काम कर रहे हैं, बल्कि स्थानीय सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं.
बालकन देशों के गिद्ध
बुल्गारिया और ग्रीस के रोडोप पर्वत यूरोप के आखिरी जैव-विविधता स्थलों में से हैं. ये ग्रिफन, मिस्री गिद्धों और काले गिद्धों के प्रजनन का एक महत्वपूर्ण इलाका भी है. पिछले पांच सालों में रीवाइल्डिंग की मदद से इनकी आबादी को स्थिर करने और बढ़ाने में मदद मिली है. ऐसा करने के लिए इनके प्राकृतिक शिकार की उपलब्धता बढ़ाई गई और इनका शिकार और इनके मौत के लिए जिम्मेदार हादसों को भी रोका गया.
बाढ़ रोकने के लिए ऊदबिलाव को वापस लाना
करीब 400 साल पहले इंग्लैंड और वेल्स में ऊदबिलाव लगभग लुप्त ही हो गए थे, लेकिन कुछ सालों पहले यूके सरकार ने फॉरेस्ट ऑफ डीन इलाके में एक गांव को बाढ़ में डूब जाने से रोकने के लिए वहां ऊदबिलावों के एक परिवार को बसा दिया. ऊदबिलावों को ना सिर्फ मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने के लिए जाना जाता है बल्कि उनके बनाए बांध बाढ़ से सुरक्षा भी देते हैं.
अमेरिका में भेड़ियों के लौटने का असर
अमेरिका के येल्लोस्टोन राष्ट्रीय उद्यान में एल्कों की आबादी बढ़ने से वहां के विल्लो, ऐस्पन और कॉटनवुड पेड़ नष्ट होते जा रहे थे. फिर वहां ग्रे वूल्फ को फिर से बसाया गया और उसके बाद एल्क की आबादी पर नियंत्रण लगा. इसके साथ ही सॉन्गबर्ड जैसे पक्षी और ऊदबिलाव भी लौट आए. शिकार किए जाने के डर से एल्कों ने नदियों के किनारों पर बेफिक्र हो कर चरना कम कर दिया, जिससे नदियों का स्वरूप भी बदल गया.
राजमार्गों पर कीड़ों की मदद
कीड़े जब लंबा सफर करते हैं तो अक्सर आधुनिक खेती के तरीकों की वजह से उन्हें अक्सर रास्ते में ऐसे वन्य जीवों वाले इलाके मिलने में दिक्कत होती है जहां उन्हें खाना मिल सके. पिछले साल, बगलाइफ नाम की संस्था ने यूके में कीड़ों के इन रास्तों का एक नक्शा बनाया और फिर संरक्षण कार्यकर्ताओं ने इन रास्तों पर मधुमक्खियों, तितलियों और दूसरे वन्य जीवों के लिए खाने के अवसर उपलब्ध कराए.
लाल और हरे मकाओ तोतों को वापस लाना
लाल और हरे रंग के मकाओ तोते अर्जेंटीना से लुप्त हो चुके थे, लेकिन 2015 में एक रीवाइल्डिंग संस्था ने इन्हें आइबेरा राष्ट्रीय उद्यान में फिर से बसाया. तब से उन्होंने बीजों को फैलाने में बेहद जरूरी भूमिका अदा की है और एक मूल्यवान इकोपर्यटन का केंद्र भी बनाया है. इन्होने प्रजाजन भी शुरू कर दिया है. पिछले साल 150 सालों में पहली बार देश में जंगल में इन तोतों द्वारा दिए गए अण्डों में से बच्चे निकले.
रीवाइल्डिंग के साथ समस्या
रीवाइल्डिंग के साथ कुछ विवाद भी जुड़े हुए हैं. जंगली प्रजातियों को वापस लाने के ऐसे परिणाम भी हो सकते हैं जिनके बारे में सोचा ना गया हो, जैसे कुछ आक्रामक प्रजातियों का बढ़ना या किसी बीमारी का फैलना. कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि रीवाइल्डिंग एक आर्थिक समस्या भी बन सकती है क्योंकि कई बार जहां रीवाइल्डिंग करनी हो उस जमीन की खेती या निर्माण के लिए भी आवश्यकता होती है.
सही जगह को चुनना जरूरी
रीवाइल्डिंग की मुख्य चुनौतियों में से है सही जगह को चुनना. विशेषज्ञों के मुताबिक यह बेहद जरूरी है कि जगह की भौगोलिक स्थिति से लेकर वहां की नदियों, मिट्टी और भूविज्ञान को भी समझा जाए. इससे पता लगेगा कि कहां पौधे उगाए जा सकते हैं, कहां पशु चर सकते हैं, कहां पनाह ले सकते हैं और कहां शिकार कर सकते हैं. ज्यादा विविधता वाले स्थानों में संरक्षण की ज्यादा संभावना होती है. (ऐन-सोफी ब्रैन्डलिन)