छात्रों का यूरोप आना होगा आसान
१७ अक्टूबर २०१३हजारों छात्र और शोधकर्ता भारत से यूरोप पढ़ाई और रिसर्च के लिए जाते हैं लेकिन उन्हें अकसर वीजा पाने में दिक्कत होती है.. भारत में यूरोपीय संघ के राजदूत और प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख एचई जोआओ क्राविन्हो ने कहा, ''हम ऐसे कानून पर काम कर रहे हैं जो पूरे यूरोप पर लागू होगा, जिससे हम भारतीय छात्रों और शोधकर्ताओं का अगले कुछ सालों में स्वागत कर सकेंगे. यूरोपीय संघ में छात्र और शोधकर्ता आसानी के साथ जा सकेंगे.''
क्राविन्हो के मुताबिक, "ईयू को भारतीय छात्रों में दिलचस्पी है. हम ऐसा मंच बनाना चाहते हैं जिससे छात्रों को विश्वविद्यालय के जरिए जोड़ा जाए. हम यूरोप की जरूरत के मुताबिक ऐसे हुनर में दिलचस्पी रखते हैं.''
छात्रों के लिए आसानी
क्राविन्हो ने भारत और ईयू के रिश्तों पर जोर देते हुए कहा कि इस क्षेत्र में विशाल संभावना है. क्राविन्हो के मुताबिक यूरोप में जनसंख्या घट रही है तो वहीं भारत में तेजी से बढ़ रही है. क्राविन्हो का कहना है, ''भारत में काफी महत्वाकांक्षी कौशल विकास कार्यक्रम है. हमारा विकास उचित श्रम खोजने पर निर्भर है. साथ काम करने से दोनों को फायदा होगा."
उनके मुताबिक यूरोप और भारत दोनों में सांस्कृतिक लिहाज से बहुत अनुकूलता है. साथ ही लोगों में समझ है जिससे उन्हें गतिशीलता, प्रवास और आपस में बातचीत में आसानी होगी. जब क्राविन्हो से वीजा नियमों को लेकर पूछा कि क्या शर्तों में भी ढील दी जाएगी, तो उन्होंने कहा कि वो पैकेज का हिस्सा होगा. क्राविन्हो का कहना है कि शैक्षिक स्तर पर ईरासमस मुंडुस प्रोग्राम के तहत शिक्षा के क्षेत्र में भारत, यूरोप और अन्य देशों में स्कॉलरशिप के जरिए उच्च शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए काम किया जा रहा है.
2004 में ईरासमस मुंडुस प्रोग्राम के शुरू होने के बाद से 1400 भारतीय छात्रों को फायदा हुआ है. इसके अलावा मेरी क्यूरी फेलोशिप स्कीम के तहत 700 शोधकर्ताओं को भी छात्रवृत्ति मिली है. भारत-ईयू आप्रवासन और गतिशीलता पर एक कॉमन एजेंडे पर समझौते की कोशिश में है. जिसके तहत समान लक्ष्य और प्रतिबद्धता हासिल की जा सके. क्राविन्हो का कहना है कि राजनीतिक बातचीत के अलावा, भारत में ईयू ऐसे प्रोजेक्ट में निवेश भी करता है जिससे आप्रवासन प्रबंधन में भागीदारी बढ़ाई जा सके.
एए/एनआर (पीटीआई)