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समाज

छह साल में सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंचे खाने के दाम

४ दिसम्बर २०२०

संयुक्त राष्ट्र की खाद्य एजेंसी ने कहा है कि दुनिया भर में खाने पीने के सामान की कीमतें नवंबर में तेजी से बढ़कर अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं.

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Brasilien - Ernte Zuckerrohr
तस्वीर: picture-alliance/dpa/W. Rudhart

खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) ने कहा है कि दुनिया भर में सबसे अधिक आयात किए जाने वाले खाद्य पदार्थों की कीमतों में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है, जिससे दुनिया के 45 देशों पर अतिरिक्त दबाव पड़ रहा है. ये वो देश हैं जो अपनी आबादी का पोषण करने के लिए बाहर से आयात पर निर्भर हैं. नवंबर में एफएओ का फूड प्राइस इंडेक्स औसतन 105 अंक पर रहा. अक्टूबर की तुलना में यह 3.9 प्रतिशत अधिक था और पिछले साल नवंबर की तुलना में 6.5 प्रतिशत अधिक. एफएओ ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है, "दिसंबर 2014 के बाद से सूचकांक अपने उच्चतम स्तर पर है."

सबसे बड़ी वृद्धि वनस्पति तेल की कीमत में देखी गई. ताड़ के तेल की कमी के चलते तेल की कीमतों में 14.5 फीसदी का उछाल दर्ज किया गया. वहीं पिछले साल की तुलना में इस साल अनाज की कीमत लगभग 20 फीसदी बढ़ी है. एफएओ ने खाद्य सूचकांक में गेहूं, मक्का, चीनी और डेयरी उत्पादों की कीमतों में भी उछाल देखा है. हालांकि मांस की कीमतों में पिछले साल की तुलना में थोड़ी कमी देखी गई.

खाने की कीमतों में वृद्धि उन लोगों के लिए एक अतिरिक्त बोझ है, जिसकी आय में कोरोनो महामारी के कारण कमी हुई है. एफएओ के अनुसार इसी वजह से वैश्विक स्तर पर खाद्य असुरक्षा की भावना पैदा हो रही है, खास कर कम आय वाले परिवारों में.

भारत के सेब किसानों की मदद

2020 की शुरुआत ना केवल कोरोना महामारी के साथ हुई, बल्कि कई देशों में टिड्डी दल के हमले भी हुए जिससे बड़ी मात्रा में फसल खराब हुई. इसके अलावा जलवायु परिवर्तन का असर और तूफानों ने भी कृषि को नुकसान पहुंचाया है. ऐसे में एफएओ ने चेतावनी दी है कि अगला साल काफी मुश्किल हो सकता है. अपनी रिपोर्ट में एफएओ ने कहा है, "45 देश ऐसे हैं जो खाने की आपूर्ति के लिए बाहरी सहायता पर निर्भर हैं. इनमें से 34 अफ्रीका में हैं."

संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी के अनुसार आने वाले साल में भी अफ्रीका और एशिया के कुछ हिस्सों में जरूरत से ज्यादा बरसात होगी. एशिया के ही बाकी हिस्सों में बेहद कम बारिश होने का अंदेशा है. 

इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने से महज एक दिन पहले संयुक्त राष्ट्र की एक और एजेंसी ने कहा था कि 2020 में दुनिया के सबसे गरीब देश बीते 30 सालों में सबसे खराब आर्थिक स्थिति का सामना कर रहे हैं. 

आईबी/एनआर (एएफपी, रॉयटर्स)

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