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'छह महीने में ईरान समझौता'

३ फ़रवरी २०१४

बरसों से पूरी दुनिया के लिए सिरदर्द बने ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर समझौता सिर्फ छह महीने में हो सकता है. ईरानी विदेश मंत्रालय ने जर्मनी के म्यूनिख में हुए सुरक्षा कॉन्फ्रेंस के बाद यह दावा किया.

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München - Sicherheitskonferenz Javad Zarif und John Kerry
तस्वीर: Getty Images

विदेश मंत्री जवाद मुहम्मद जरीफ का कहना है कि अगर दुनिया भर की ताकतें चाहें, तो ऐसा हो सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें अमेरिकी कांग्रेस से इस बात का खतरा नहीं है कि ईरान पर कहीं और प्रतिबंध तो नहीं लगा दिए जाएंगे. जरीफ म्यूनिख वार्ता में हिस्सा लेने के बाद जर्मन राजधानी बर्लिन में थे.

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ईरान के साथ बातचीत को लेकर बहुत आशांवित हैं और उन्होंने कहा है कि अगर इस बातचीत में किसी तरह का रोड़ा अटकाने की कोशिश होगी तो वह उसके खिलाफ अपना विशेषाधिकार इस्तेमाल कर लेंगे. ओबामा की अपनी ही डेमोक्रैट पार्टी के कुछ सांसदों सहित कांग्रेस के कुछ सदस्यों ने कहा है कि अगर बातचीत का रास्ता नहीं निकला, तो ईरान पर और प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं.

ओबामा का भरोसा

अमेरिकी सीनेट में इस मुद्दे का प्रस्ताव लटका पड़ा है और ईरान धमकी दे चुका है कि अगर ऐसा कुछ हुआ, तो वह बातचीत की प्रक्रिया से बाहर निकल जाएगा. जरीफ ने कहा, "अच्छी भावना के साथ हम छह महीने के अंदर समझौते तक पहुंच जाएंगे. मैं अमेरिकी संसद में किसी फैसले से घबराता नहीं हूं. अमेरिकी राष्ट्रपति ने हमें वीटो का भरोसा दिया है."

Iran Mohammad Javad Zarif Außenmininister
म्यूनिख में ईरान के विदेश मंत्री जवाद मुहम्मद जरीफतस्वीर: picture-alliance/dpa

इससे पहले उन्होंने म्यूनिख में अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन कैरी और उन छह देशों के सदस्यों से मुलाकात की, जो ईरान के साथ समझौते की कोशिश में लगे हैं. म्यूनिख में सालाना सुरक्षा कॉन्फ्रेंस के दौरान सभी देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया.

समझौते की पहल

ईरान ने नवंबर में बड़ा समझौता करते हुए अपने सबसे बड़े परमाणु कार्यक्रम पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही उस पर पाबंदी की जो तलवार लटक रही थी, वह ढीली हो गई है. अब अगले दौर की बातचीत 18 फरवरी से वियना में होगी. जरीफ का कहना है कि वियना का मौका ऐतिहासिक है और उनका देश इसे जाने नहीं देगा.

ईरान बार बार कहता आया है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण है और वह ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने वाला है. हालांकि पश्चिमी देश इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते. उनका शक है कि इसकी आड़ में तेहरान परमाणु बम बना रहा है. इस मुद्दे को लेकर लंबे वक्त से मध्य पूर्व में तनाव रहा और समझा जाता था कि इस्राएल या अमेरिका किसी भी वक्त उस पर हमला कर सकते हैं. लेकिन नवंबर में हुए समझौते के बाद यह तनाव कम हुआ है.

जरीफ ने भरोसा दिलाया, "हम लोग किसी के खिलाफ सैनिक कार्रवाई नहीं करेंगे. मैं एक बार फिर कह रहा हूं, किसी के भी खिलाफ." ईरान में पिछले साल हुए राष्ट्रपति चुनाव के बाद जरीफ और कैरी कई बार मिल चुके हैं. पिछले चुनाव में हसन रूहानी की जीत हुई है, जिन्हें उदारवादी माना जाता है.

एजेए/आईबी (रॉयटर्स)

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