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चेन्नई के प्यासे लोग अब जान गए हैं पानी की कीमत

१४ अगस्त २०१९

नौकरशाही से रिटायर हो जुके आर देवराजन और उनकी पत्नी ने जब चेन्नई में पानी की भारी कमी को देखा तो एक साल पहले उन्हें अपने घर में बारिश के पानी को संग्रह करने की व्यवस्था बनाने के फैसले पर नाज हुआ.

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Indien Wasserkrise in Chennai
तस्वीर: picture-alliance/Photoshot

कई महीनों से मजदूरों के इलाके रोयापेट्टा इलाके में पानी की कमी है. यहां की भीड़ भरी गलियों में पानी के टैंकर का इंतजार करते लोग कतार में खड़े दिखते हैं. कई बार तो उनकी पूरे दिन की मजदूरी इस टैंकर के इंतजार में चली जाती है. टैंकर से उन्हें छह मटका पानी रोज मिलता है.

चेन्नई के दूसरे इलाकों से अलग देवराजन और उनके 50 किराएदारों के पास पानी का पर्याप्त भंडार है. आर के देवराजन तीन मंजिला घर में वो और कुछ किराएदार रहते हैं, इसी में उन्होंने रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया है. 74 साल के देवराजन कहते हैं, "मैं हर चीज के लिए सरकार पर निर्भर नहीं रह सकता. इसलिए मैंने वरिष्ठ नागरिक के रूप में अपना कर्तव्य पूरा किया. अगर बारिश आती है तो हम उसकी एक बूंद भी बर्बाद नहीं होने देते. अगर मानसून में बारिश ना आए तो हमें तकलीफ नहीं होती."

Indien Wasserkrise in Chennai
तस्वीर: Reuters/P. Ravikumar

देवराजन की पत्नी पद्मिनी कहते हैं कि अगर पानी ज्यादा हो तब भी हम सावधान रहते हैं कि वह बर्बाद ना हो. जैसे कि कपड़े या बर्तन धोने के बाद जो पानी बचता है उससे हम पौधों को पानी देते हैं.

चेन्नई में साल के दो महीने ही अच्छी बारिश होती है हालांकि यहां जलवायु परिवर्तन के कारण अकसर या तो सूखा पड़ता है या बाढ़ आती है. इसके साथ ही बढ़ती आबादी के कारण शहर में पानी की सप्लाई कम पड़ने लगी है. ऐसे में आम लोग या कारोबारी निजी स्तर पर समस्या से निबटने के रास्ते निकाल रहे हैं.

पानी की कमी के कारण लोगों का जीवन और व्यापार हर स्तर पर प्रभावित हुआ है. चेन्नई में कभी पानी की पर्याप्त मौजूदगी थी लेकिन बड़े पैमाने पर निर्माण के कारण पानी के स्रोतों को बहुत नुकसान हुआ. अब तो सरकार को समंदर के पानी का खारापन दूर कर उसे इस्तेमाल करने पर मजबूर होना पड़ा है. इतना ही नहीं सैकड़ों किलोमीटर दूर से यहां ट्रेन पर ढो कर लाया जा रहा है. इसके अलावा शहर के अलग अलग हिस्सों तक पानी पहुंचाने के लिए बड़ी संख्या में ट्रकों को लगाया गया है. लोगों के घर तो कई महीनों से सूखे पड़े हैं.

Indien Wasserkrise in Chennai
तस्वीर: Reuters/P. Ravikumar

2001 की गर्मी में यहां सूखा पड़ा था जिसके बात तमिलनाडु के मुख्यमंत्री यह नियम बनाया कि अगस्त 2003 तक सभी आवासीय इमारतों में वर्षा का पानी इकट्ठा करने की व्यवस्था होगी. चेन्नई में आकाश गंगा ट्रस्ट के किए एक सर्वे में पता चला कि करीब 40 फीसदी घरों ने इस आदेश का पालन किया. आकाश गंगा ट्रस्ट चेन्नई में मॉडल रेनवाटर सेंटर के लिए धन देता है. आकाश गंगा ट्रस्ट के ट्रस्टी और सह संस्थापक शेखर राघवन बताते हैं कि कड़ाई से नियन का पालन नहीं होने के कारण रेन वाटर हार्वेस्ट सिस्टम की ठीक से देखरेख नहीं हुई. वो बताते हैं, "आज मुझे हर दिन 20 फोन आते हैं कि मैं वहां जाकर हार्वेस्टिंग में मदद करूं. अब सचमुच यह बढ़ रहा है, अब लोग खुद के लिए ऐसा करना चाह रहे हैं सरकार के लिए नहीं. यह एक अच्छा बदलाव है. पानी की कमी के कारण लोगों को पता चल चुका है कि वो अब बारिश के पानी को बर्बाद नहीं कर सकते."

Global Ideas Chennai Wassermangel
तस्वीर: picture-alliance/dpa/R. Parthibhan

रेनवाटर हार्वेस्टिंग एक उपाय है लेकिन सरकारी पानी की व्यवस्था की ठीक से देखरेख भी जरूरी है. इसके लिए सीवर ट्रीटमेंट प्लान का विस्तार करना होगा, पानी के फूटे पाइपों की समय पर मरम्मत करनी होगी ताकि रिसाव को रोका जा सके.

चेन्नई में कोउम नदी के किनारे बने 400 अपार्टमेंट के एक सरकारी आवासी परिसर में पानी का स्रोत इतना प्रदूषित है कि इसे मृत घोषित कर दिया गया है. यहां कोई रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं है. इस परिसर में रहने वाली जरीना बी बताती हैं, "मैं जानती हूं कि रेनवाटर हार्वेस्टिंग बहुत जरूरी है लेकिन हम यह नहीं जानते कि सरकार के पास इसके लिए क्या योजना है." अब भी जरीना बी और यहां रहने वाले दूसरे लोग रोज टैंकर से पानी ले कर अपना काम चलाते हैं.

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तस्वीर: Reuters/P. Ravikumar

सिर्फ शहर ही नहीं चेन्नई के बाहरी इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए भी पानी की दिक्कत है. पल्लम गांव में 70 परिवार ड्रॉ निकाल कर यह तय करते हैं कि गांव के सामुदायिक कुएं से वो पानी कब निकालेंगे. आमतौर पर यहां पानी की कोई सीमा नहीं रहती लेकिन समुदाय के नेताओं ने तय किया है कि हर परिवार को रोज 2-3 बाल्टी पानी मिलेगा. इसके अलावा हर हफ्ते आने वाला म्युनिसिपल टैंकर हर घर के बाहर मौजूद प्लास्टिक के ड्रम को भर कर जाता है.

चेन्नई के 45 किलोमीटर लंबे आईटी कॉरिडोर वाले इलाके में कुछ कंपनियों ने पहले से ही अपने परिसर में वाटर रिसाइक्लिंग सिस्टम लगालिए हैं. मद्रास चैम्बर ऑफ कॉमर्स की योजना दो औद्योगिक क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति और मांग की विस्तृत विश्लेषण करने की है ताकि भविष्य के लिए एक कार्ययोजना बनाई जासके. यह योजना संगठन के सभी 700 सदस्य स्वीकार करेंगे. 

एनआर/आरपी(एपी)

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