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चीनी वीजा विवाद पर राजनीतिक बवाल

२८ अगस्त २०१०

भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट जनरल को चीन का वीजा न दिए जाने पर बवाल मच गया है. राजनीतिक पार्टियों ने इसे दोनों देशों के लिए नुकसानदेह माना है तो सेना के रिटायर अधिकारियों ने इसे उकसाने वाली कार्रवाई कहा है.

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बीजेपी ने कहा, चीन ने किया अपमानतस्वीर: UNI

पूरे देश में लोग चीन के इस कदम से हैरत में हैं लेकिन भारत का ये पड़ोसी अपनी ज़िद पर अड़ा है. अभी तक चीन की तरफ से इस मामले में कोई सफाई नहीं दी गई है. इस बीच भारतीय रक्षा मंत्री एके एंटनी कह रहे हैं कि इस तरह की छोटी मोटी बातों से दोनों देशों के रिश्तों पर फर्क नहीं पड़ेगा और विवाद जल्द ही सुलझा लिया जाएगा. हैदराबाद में पत्रकारों से बातचीत में एके एंटनी ने कहा, "चीन के साथ रिश्ते तोड़ने का सवाल ही नहीं उठता, उनके साथ हमारा नजदीकी रिश्ता है और कभी कभी छोटी-मोटी बातें हो जाती हैं."

हालांकि विपक्षी पार्टियां रक्षा मंत्री की इस राय से सहमत नहीं है. बीजेपी नेता राजनाथ सिंह ने कहा है, "जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और चीन की इस हरकत को दोस्ताना नहीं माना जा सकता. भारत को इसका करार जवाब देना चाहिए." बीजेपी प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने भी चीन की इस कार्रवाई को भारत का अपमान बताया है. भारतीय सेना के पूर्व मेजर जनरल अशोक मेहता चीन की इस कार्रवाई को भारत पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने और उकसाने वाली कार्रवाई के रुप में देखते हैं. पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह ने सरकार से इस मामले में कड़ा रुख अपनाने की मांग की. जसवंत सिंह ने कहा, "लेफ्टिनेंट जनरल जायसवाल चीन एक समारोह में शामिल होने जा रहे थे, जो निजी कार्यक्रम नहीं था. मेरे विचार में भारत को इस मामले पर कड़ा रुख अपनाना चाहिए और किसी तरह की ढिलाई नहीं होनी चाहिए."

इस बीच भारत ने अपनी तरफ से विरोध जताने के लिए चीन के तीन फौजी अधिकारियों का वीज़ा रद्द कर दिया. भारत ने चीन के साथ फिलहाल सभी तरह की सैन्य सहयोग पर भी रोक लगा दी है. इसमें दोनों देशों के फौजी अधिकारियों का एक दूसरे के देश में जाना और ट्रेनिंग भी शामिल है. हालांकि दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली के लिए फौजियों की सीमा पर होने वाली मुलाकातों को फिलहाल नहीं रोका गया है.

इसके अलावा कूटनीतिक स्तर पर दबाव बनाने के लिए सरकार ने डीमार्च भी जारी कर दिया है. भारत ने चीन की इस कार्रवाई को दोहरी रणनीति कहा है, क्योंकि एक तरफ तो वह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में विकास के कामों में जुटा है, दूसरी तरफ भारत प्रशासित कश्मीर में ड्यूटी करने वाले सेना के लेफ्टीनेंट जनरल को अपने देश में आने के लिए वीजा देने से मना कर दिया है. लेफ्टीनेंट जनरल बी एस जायसवाल चीन के बुलावे पर ही वहां जा रहे थे. फर्क सिर्फ इतना है कि पहले उनका नाम इस यात्रा के लिए तय नहीं था. बाद में जब चीन के अधिकारियों को ये पता चला की लेफ्टिनेंट जनरल जायसवाल जम्मू कश्मीर में फौज के कमांडर रहे हैं, तो उन्हें वीज़ा देने से इंकार कर दिया गया. लेफ्टिनेंट जनरल जायसवाल इससे पहले भी चीन की यात्रा कर चुके हैं.

वैसे चीन की तरफ से पहले भी ऐसे कदम उठाए जाते रहे हैं. पिछले दो साल से चीन का विदेश मंत्रालय जम्मू कश्मीर के निवासियों के पासपोर्ट पर वीजा की मुहर लगाने की बजाए अलग कागज पर वीजा दे रहा है. भारत ने इस पर विरोध भी जताया लेकिन उन पर कोई फर्क नहीं पड़ा.

रिपोर्टः एजेंसियां/ एन रंजन

संपादनः ए कुमार

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