चीनी रंग में रंगा एक जर्मन शहर
बवेरिया का डीटफुर्ट शहर बाकी के देशवासियों की ही तरह कार्निवाल सीजन का आनंद उठाता है. लेकिन जो बात इसे खास बनाती है, वो है कुछ दिनों के लिए इस जर्मन शहर का चीन जैसा दिखना.
लेडरहोजन नहीं चीनी कॉस्ट्यूम
जर्मनी के लोकप्रिय आयोजन कार्निवाल में हर साल लोग अलग अलग थीम पर झांकियां और कॉस्ट्यूम बनाते हैं. बवेरिया के पारंपरिक लेडरहोजन और डिर्नडल परिधानों के बजाए डीटफुर्ट शहर में लोग चीनी कॉस्ट्यूम में सजे हैं.
सम्राट के नेतृत्व में
कार्निवाल सीजन के एक गुरुवार को यहां "सिली थर्सडे" कहा जाता है. इस शहर के करीब 1,000 निवासी इस दिन की शुरुआत परेड के साथ करते हैं. लगभग हर कोई इस बार चीनी कपड़ों में सजा निकला. एक व्यक्ति को सम्राट जैसी वेशभूषा में आने के लिए भी चुना गया.
चीन से तुलना
एक कहानी प्रचलित है कि 19वीं सदी में एक बिशप ने इस शहर में अपने खजांची को कर वसूलने भेजा तो लोगों ने शहर की सीमाएं बंद कर ली थीं. वापस लौट कर उन्होंने बिशप से कहा कि लोगों ने ऐसे रोक लगा दी थी जैसे, "चीन की दीवार खड़ी हो."
90 साल से पुरानी परंपरा
बीते कई दशकों से डीटफुर्ट चीन के नानजिंग शहर का साझेदार रहा है. जहां डीटफुर्ट में केवल 6,000 निवासी हैं वहीं इसके पार्टनर चीनी शहर में करीब 90 लाख. हालांकि आधिकारिक तौर पर सिस्टर सिटी जैसा कोई ओहदा नहीं दिया गया है.
चीनी संपर्क का असर
यहां आने वाले चीनी पर्यटकों ने वापस जाकर कार्निवाल के बारे में अपने देश में भी बताया. सन 1982 में चीनी रेडियो और टीवी ने ऐसे जर्मन लोगों के बारे में डॉक्यूमेंट्री बनाई थी, जो चीनी वेशभूषा में कार्निवाल मनाते हैं. तबसे गर्मियों में यहां बवेरियन-चीनी कल्चर एक्सचेंज समारोह मनाया जाता है.
पीले रंग के चेहरे
टूरिस्ट कार्यालय की प्रवक्ता से पूछा गया कि चीनी परिधान और चेहरे को पीले रंग से रंगने पर चीनी लोग बुरा तो नहीं मानते. इस पर उन्होंने बताया कि उन्हें यह मनोरंजक लगता है अपमानजनक बिल्कुल नहीं. (एंडी वाल्वुर/आरपी)