चीन से उड़ा, जापान में अटका
२ जनवरी २०१४35 साल के शू शुआइजुन ने बुधवार को चीन के हूजियान प्रांत से अपने रंगबिरंगे गर्म हवा के गुब्बारे में बैठकर उड़ान भरी. इरादा था जापान के कब्जे वाले सीमावर्ती द्वीप के ऊपर उड़ान का मजा लेना और वहां उतरना. लेकिन गर्म हवा के गुब्बारों के साथ हमेशा होता है कि हवा ही उन्हें उड़ा कर किसी दूसरे दिशा में ले जाती है. वैसा ही कुछ शू के साथ हुआ जब वह जमीन पर उतरने की कोशिश में नाकामयाब रहा और एक छोटे से द्वीप के पास के समुद्र में जा गिरा.
पूर्वी चीनी सागर में मौजूद ये एक द्वीप समूह का हिस्सा है जिसपर इस समय जापान का कब्जा है. इसे जापानी लोग सेंकाकु और चीनी लोग डिआओयू के नाम से बुलाते हैं. जापानी कोस्टगार्ड के लोगों ने शू को पानी से तो सही सलामत बाहर निकाल लिया लेकिन जापानी सीमा में इस तरह घुसपैठ के बाद शू दोनों देशों के बीच विवाद का मुद्दा बन गया.
हवाई सीमा भी है विवादित
2012 में ही एक जापानी दक्षिणपंथी गुट के करीब 12 सदस्य द्वीप समूह पहुंचें. चीन के कई कार्यकर्ता भी जाकर वहां अपना हक जमाते हैं. दोनों देश द्वीपों में घुसपैठ पर रोक लगाना चाहते हैं. पिछले साल नवंबर में चीन और जापान के बीच चल रही ऐतिहासिक दुश्मनी को फिर हवा मिली जब चीन ने अचानक ही पूर्वी चीनी समुद्र के ऊपर की वायु सीमा पर अपना अधिकार स्थापित करने के लिेए एक नई नीति की घोषणा की. इस वायु क्षेत्र में ये छोटा द्वीप भी शामिल था. चीन ने मांग की कि इस वायु क्षेत्र में उड़ने वाले सभी विमानों को चीनी प्रशासन से संपर्क में रहना होगा. जापान ने चीन से इस निर्णय पर दुबारा गौर करने को कहा और पहले की तरह उस वायु क्षेत्र में अपनी उड़ानें जारी रखीं. साथ ही अमेरिका भी ऐसी किसी हवाई सीमा को न मानते हुए उसका इस्तेमाल करता रहा.
नए साल के मौके पर अपने संदेश में जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने सीमा से जुड़े सभी विवादों को सुलझाने के वादे पर खास जोर दिया, "हम अपने देशवासियों के जानमाल और देश की सभी जल, थल या वायु सीमाओं की दृढ़ता से रक्षा करने के लिए संकल्पबद्ध हैं." पिछले ही हफ्ते आबे ने याशुकुनी युद्ध स्मारक का दौरा किया जो दूसरे विश्वयुद्ध के युद्द अपराधियों की याद में बनाया गया था. आबे के इस कदम की चीन और दक्षिण कोरिया ने कड़ी निंदा की क्योंकि उनकी जनता ने जापानी शासनकाल में काफी कष्ट सहे थे. चीन के कुछ हिस्सों पर 1930 से जापान का कब्जा रहा था और 1910 से 1945 के बीच जापान ने कोरिया को अपना उपनिवेश बना रखा था.
शू हीरो हैं
बहरहाल जापानी कोस्टगार्ड से चीनी प्रशासन को सौंपे जाने के बाद शू ने चीन की वेइबो सोशल नेटवर्किंग साइट पर लिखा, "मैं सकुशल लौट आया." इस संदेश पर उनके बहुत से समर्थकों ने उत्साही प्रतिक्रियाएं भेजीं. बहुत से लोगों ने शू को "हीरो" का दर्जा दिया और यहां तक कहा कि शू के इस काम पर उसके देशवासियों को बहुत गर्व है. पिछले सितंबर में ही शू ने अपने अकाउंट पर इस विवादित द्वीप पर उड़ान भरने के अपने लक्ष्य के बारे में लिखा था जिसे उसने "गर्म हवा के गुब्बारों से उड़ान के इतिहास में सबसे कठिन" करार दिया था.
इस बीच चीन की सरकार ने साफ साफ कहा है कि शू गर्म हवा वाले गुब्बारों का प्रेमी है और उसे चीनी सैनिकों ने बचाया है.
आरआर/एमजी (एएफपी, रॉयटर्स)