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चीन ने लगाया ऑस्ट्रेलिया के बीफ पर प्रतिबंध

१२ मई २०२०

चीन ने ऑस्ट्रेलिया के चार रेड मीड प्रोसेसिंग प्लांटों को ब्लैकलिस्ट कर दिया है. माना जा रहा है कि ये चीन ने बदले की कार्रवाई के तहत किया है. ऑस्ट्रेलिया ने कोरोना वायरस फैलने में चीन की भूमिका की जांच की मांग की थी.

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Australien | Coronavirus: Premierminister Scott Morrison auf Pressekonferenz
तस्वीर: picture-alliance/dpa/J. Carrett

ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने बीते दिनों मांग की थी कि कोविड-19 बीमारी फैलने की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की जाए. वायरस फैलने में चीन की भूमिका की जांच करने की मांग भी ऑस्ट्रेलिया ने की थी. इन प्लांटों में से तीन क्वींसलैंड में हैं और एक न्यू साउथ वेल्स में है. एक विशेषज्ञ ने ऑस्ट्रेलियाई न्यूज चैनल एबीसी से कहा कि इन प्लांटों से ऑस्ट्रेलिया से चीन को निर्यात होने वाले बीफ का 35 फीसदी हिस्सा जाता है. चीन ऑस्ट्रेलिया का सबसे बड़ा व्यापारिक साथी है. ऑस्ट्रेलिया चीन को हर साल 1 अरब यूरो का बीफ निर्यात करता है. ऐसे में ऑस्ट्रेलिया के लिए यह एक बड़े झटके की तरह है.

बॉयकॉट की शुरुआत?

चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि इस प्रतिबंध का कोविड-19 को लेकर चल रहे विवाद से कोई लेना देना नहीं है. उन्होंने कहा कि इन प्लांटों में स्वास्थ्य प्रमाण पत्र से जुड़े नियमों का पालन नहीं किया जा रहा था. इससे पहले चीन ने कहा कि वह ऑस्ट्रेलियाई जौ पर टैरिफ बढ़ाएगा. चीन ने आरोप लगाया कि वह चीन में बहुत ही कम कीमत पर जौ बेच रहा है जिससे उनकी अर्थव्यवस्था को नुकसान हो रहा है.

पिछले महीने ऑस्ट्रेलिया में चीनी राजदूत चेंग जिंग्ये ने कहा था कि ऑस्ट्रेलिया ने कोरोना वायरस को फैलने में चीन की भूमिका की जांच की बात की है जिससे चीन के लोग नाराज और निराश हैं. उन्होंने एक ऑस्ट्रेलियाई अखबार से बात करते हुए कहा कि ऑस्ट्रेलिया की इस मांग से चीन के आम लोग निराश हैं और वो सोच रहे होंगे कि हम ऑस्ट्रेलियाई वाइन क्यों पिएं या फिर ऑस्ट्रेलियाई बीफ क्यों खाएं. चीन के राजदूत के बयान के बाद अब चीन ने बीफ पर प्रतिबंध लगाया है.

Cheng Jingye
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/R. McGuirk

न्यूजीलैंड से भी संबंधों में तनाव

ऑस्ट्रेलिया के साथ चीन के संबंधों में आए तनाव के बाद ऑस्ट्रेलिया के पड़ोसी देश न्यूजीलैंड के भी पिछले दिनों में चीन से संबंधों में तनाव बढ़ा है. न्यूजीलैंड ने हाल में विश्व स्वास्थ्य संगठन में ताइवान के हिस्सा लेने का समर्थन किया था. ताइवान अपने आप को एक स्वतंत्र देश मानता है जबकि चीन ताइवान को अपना एक राज्य मानता है. इसलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन में ताइवान के शामिल होने का भी विरोध करता है.

ताइवान ने कोरोना वायरस से अपना बचाव भी अच्छे से किया है. न्यूजीलैंड ने ताइवान के प्रयासों की भी तारीफ की. इस पर जवाब देते हुए चीन ने कहा कि प्रशांत महासागर में मौजूद देशों को इस तरह की गलतबयानी नहीं करनी चाहिए और सावधानी बरतनी चाहिए. इस बयान पर जवाब देते हुए न्यूजीलैंड के विदेश मंत्री विंस्टन पीटर्स ने कहा कि हम अपने लिए कोई भी स्टैंड लेने के लिए समर्थ हैं. उन्होंने कहा कि इन बयानों का असर चीन के साथ उनके व्यापारिक संबंधों पर नहीं पड़ेगा. चीन न्यूजीलैंड का सबसे बड़ा व्यापारिक दोस्त है.

न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डर्न ने कहा कि ताइवान पर उनके देश की तरफ से आए बयान ताइवान में कोरोना की रोकथाम तक सीमित हैं. उन्होंने कहा कि न्यूजीलैंड वन चाइना पॉलिसी का समर्थन करता है और आगे भी करता रहेगा. चीन पर कोरोना फैलाने के आरोप अमेरिका की तरफ से भी आते रहे हैं. राष्ट्रपति ट्रंप ने इन आरोपों को हवा देते हुए कहा कि उनके पास इसके पर्याप्त सबूत आ गए हैं. ट्रंप ने चीन पर नए टैरिफ लगाने की बात कही.

आरएस/एमजे (रॉयटर्स, एएफपी)

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