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चीन-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक रणनीतिक बातचीत बंद

विवेक कुमार
७ मई २०२१

चीन ने ऑस्ट्रेलिया के साथ रणनीतिक आर्थिक वार्ता से जुड़ी सारी गतिविधियां बंद करने का फैसला किया है. दोनों देशों के संबंधों में जारी गंभीर तनाव के दौरान यह पहली बार है कि औपचारिक तौर पर कूटनीतिक संपर्क को रोका गया हो.

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तस्वीर: Colourbox/A. Mijatovic

चीन में योजनाएं बनाने वाली मुख्य संस्था नेशनल डिवेलपमेंट ऐंड रिफॉर्म कमीशन ने फैसला किया है कि ऑस्ट्रेलिया के साथ रणनीतिक आर्थिक वार्ता को रोक दिया जाए. ऑस्ट्रेलिया ने हाल ही में विक्टोरिया राज्य और चीन के बीच हुए दो ‘बेल्ट ऐंड रोड' समझौते रद्द कर दिए थे. एक बयान में चीनी संस्था ने आरोप लगाया कि ऑस्ट्रेलिया चीन के साथ पक्षपातपूर्ण व्यवहार कर रहा है.

उसने कहा, "हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के कुछ अधिकारियों ने ऐसे कदम उठाए हैं जो चीन और ऑस्ट्रेलिया के बीच सामान्य आदान-प्रदान और सहयोग को ठेस पहुंचाते हैं. ये कदम शीत युद्ध जैसी मानसिकता और वैचारिक भेदभाव के चलते उठाए गए हैं.” विशेषज्ञ इसे चीन का दोमुंहापन कहते हैं.

मेलबर्न यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले चीनी मामलों के विशेषज्ञ डॉ. प्रदीप तनेजा कहते हैं, "अगर दूसरे देश अपनी सुरक्षा को लेकर बंदोबस्त करते हैं तो चीन कहता है कि यह शीत युद्ध की मानसिकता है. लेकिन चीन खुद जितनी रफ्तार से अपन सेनाओं का आधुनिकीकरण कर रहा है, उसे वह शीत युद्ध की मानसिकता नहीं मानता.” यह सच है कि पिछले कुछ वर्षों में चीन का सैन्य आधुनिकीकरण अभूतपूर्व रहा है.

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ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन चीन के प्रीमियर ली किशियांग के साथ नवंबर 2019 में बैंगकॉक में.तस्वीर: Imago-Images/VCGI

बीते हफ्ते चीन ने एक साथ तीन नौसैनिक युद्धपोत समुद्र में उतारे हैं, जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक बड़ा संकेत है. इनमें एक परमाणु-क्षमता संपन्न पनडुब्बी, एक लक्ष्य-भेदी मिसाइल चला सकने वाला क्रूजर और एक हेलिकॉप्टर कैरियर जहाज शामिल हैं. ऑस्ट्रेलिया ने जापान, अमेरिका और भारत के साथ मिलकर क्वॉड नाम से रणनीतिक संगठन में गतिविधियां बढ़ाई हैं, जिसे चीन अपने हितों के खिलाफ देखता है.

इसका नतीजा ऑस्ट्रेलिया को बड़े व्यापारिक प्रतिबंधों के रूप में भुगतना पड़ा है जबकि चीन आज भी ऑस्ट्रेलिया का सबसे बड़ा व्यापारिक सहयोगी है. 2019 में ऑस्ट्रेलिया के कुल अंतरराष्ट्रीय व्यापार का 29 प्रतिशत चीन के साथ हुआ था. लेकिन ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन के मुताबिक 2020 में ऑस्ट्रेलिया में चीन का निवेश 61 फीसदी कम हुआ, जो पिछले छह साल में सबसे कम है

हालांकि विशेषज्ञ मानते हैं कि चीन के इस कदम का ऑस्ट्रेलिया पर कोई व्यवहारिक असर नहीं होगा. दोनों देशों के बीच पिछली बार आर्थिक रणनीतिक वार्ता 2017 में हुई थी जब तत्कालीन व्यापार मंत्री स्टीव चोबो बीजिंग गए थे. यह भी सच है कि दोनों देशों के संबंध खराब होते जा रहे हैं. पिछले साल जब ऑस्ट्रेलिया ने कोविड महामारी में चीन की भूमिका की जांच की मांग की तो चीन की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया हुई थी. तब से हर तरह के कूटनीतिक संपर्क लगभग बंद हैं.

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