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चीन छोड़कर भाग रही हैं अंतरराष्ट्रीय कंपनियां

२९ मई २०१९

बाजार में हर जगह दिखने वाले मेड इन चाइना प्रॉडक्ट अब जल्द ही शायद मेड इन इंडिया, मेड इन वियतनाम जैसे टैग के साथ मिलें. चीन और अमेरिका के बीच बढ़ती कारोबारी जंग अब कंपनियों को चीन से बाहर निकलने के लिए मजबूर कर रही हैं.

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China Fabrikhalle in Chongqing
तस्वीर: Imago/View Stock

इन दिनों दुनिया की बड़ी महाशक्ति अमेरिका और एशियाई देश चीन के बीच कारोबारी घमासान अपने उफान पर है. इस घमासान से जहां दोनों देशों का बाजार घबराया हुआ है वहीं एशिया के कुछ देश अब इसमें नए मौके तलाश रहे हैं. भारत समेत वियतनाम, कंबोडिया और इंडोनेशिया जैसे कई देश उम्मीद कर रहे हैं कि अब "फैक्ट्री ऑफ द वर्ल्ड" कहे जाने वाले चीन से निकलकर कंपनियां इन देशों में अपनी विनिर्माण इकाइयों के लिए नई जमीन तलाश करेंगी. आज चीन में जूते-चप्पलों से लेकर वाशिंग मशीन और घड़ियों जैसे उत्पादों की दुनिया भर की फैक्ट्रियां लगी हुई हैं.

हाल में अमेरिका ने तकरीबन 200 अरब डॉलर के चीनी आइटमों पर टैरिफ बढ़ाकर 25 फीसदी कर दिया है. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए चीन ने भी 60 अरब डॉलर के अमेरिकी आइटमों पर ड्यूटी बढ़ा दी.

वियतनाम की सलाहकारी और टैक्स फर्म डेजान शिरा एंड एसोशिएट के इंटरनेशल बिजनेस मैनेजर ट्रेंट डेविस कहते हैं, "अमेरिका और चीन के बीच बढ़ता तनाव कारोबारियों को बाहर जाने के लिए मजबूर कर रहा है." इलेक्ट्रॉनिक कंपनी कैसियो ने बताया कि अमेरिकी पेनल्टी से बचने के लिए उसने अपनी घड़ी निर्माण की कुछ इकाइयों को थाईलैंड और जापान में शिफ्ट किया गया है. जापानी प्रिंटर कंपनी रिको ने भी अपना काफी काम चीन से थाईलैंड शिफ्ट किया है.

China Fabrikhalle in Chongqing
तस्वीर: Imago/View Stock

चीन से दूर होने वालों में अमेरिका की शू कंपनी स्टीव मेडन भी है जो अब कंबोडिया जाने पर विचार कर रही है. इसके बाद वॉशिंग मशीन बनाने वाली हेयर और एडिडास, प्यूमा, न्यू बैलेंस और फिला जैसे जूते के ब्रांड को बेचने वाली कंपनी जैसन अपनी नजरें वियतनाम पर लगाए हुए है.

डेविस कहते हैं कि उत्पादकों के लिए चीन छोड़कर आसपास के देशों में जाना फायदे का सौदा है. सस्ता श्रम और कम टैक्स भी इनके बाहर जाने का बड़ा कारण है. बकौल डेविस, "कंपनियों का बाहर जाना सिर्फ ट्रेड वार का नतीजा नहीं है बल्कि वियतनाम में मौजूद अवसर भी इन्हें अपनी ओर खींच रहे हैं." 

वियतनाम की गारमेंट कंपनी गारको 10 के डायरेक्टर थान डुक वियत कहते हैं, "ट्रेड वार का शुक्रिया... वियतनाम अर्थव्यवस्था को खासकर गारमेंट इंडस्ट्री को बहुत लाभ हुआ है." अमेरिकी चैंबर ऑफ कॉमर्स इन चाइना की रिपोर्ट के मुताबिक चीन में मौजूद करीब 40 फीसदी अमेरिकी कंपनियां या तो निकल चुकी हैं या बाहर निकलने पर विचार कर रही हैं. 

एए/एमजे (एएफपी)

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