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चीन के साथ "सीमित संघर्ष" की तैयारी में भारत

१ फ़रवरी २०१२

भारत चीन के साथ लगती अपनी सरहद को लेकर चिंतित है. अमेरिकी सरकार के वरिष्ठ अधिकारी जेम्स क्लैपर के मुताबिक भारतीय सेना सीमा पर "सीमित संघर्ष" की तैयारी कर रही है.

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नत्थु ला दर्रे पर चीन के सैनिकतस्वीर: AP

सीनेट में खुफिया जानकारी के लिए खास आयोग को रिपोर्ट देते हुए क्लैपर ने कहा, "चीन और भारत के बीच तनाव को सार्वजनिक बयानों के जरिए कम बताने की कोशिश की जा रही है. लेकिन हमें लगता है कि भारत विवादित सीमा को लेकर चीन के रवैये से चिंतित है. साथ ही हिंद महासागर और एशिया-प्रशांत इलाके में चीन की आक्रामकता भी परेशानी का कारण बन गई है." हालांकि भारतीय सेना को नहीं लगता कि चीन के साथ युद्ध होने वाला है लेकिन सेना सीमित स्तर के संघर्षों के लिए भारत-चीन सीमा और हिंद महासागर में अपने सैनिकों को तैयार कर रही है.

क्लैपर ने कहा कि भारत ने खास तौर पर पूर्व एशिया में अमेरिकी सेना की उपस्थिति और एशियाई मामलों में अमेरिका के साथ सांठ गांठ को सहयोग देने का वादा किया है. 2011 के दौरान ऐसा लग रहा था कि चीन अपनी विदेश नीति में आक्रामकता को कम कर रहा था लेकिन चीन के इस रवैये के पीछे और कई कारण हैं जिनमें चीन को अपने आसपास के देशों का रवैया खतरनाक लग सकता है.

क्लैपर ने कहा, "चीन के नेता एक शांतिपूर्ण और व्यावहारिक विदेश नीति के लिए प्रतिबद्ध हैं, खास तौर पर अपने पड़ोसियों और बाकी देशों के साथ. लेकिन अगर चीन को लगे कि उसकी स्वायत्तता और राष्ट्रीय सुरक्षा पर हमला हो रहा है तो बीजिंग इसका जवाब दे सकता है."

Manmohan Singh und Wen Jiabao
मनमोहन सिंह और वेन जियाबाओतस्वीर: AP

चीन ने अब तक के अपने सारे सैन्य लक्ष्यों को हासिल कर लिया है, मतलब कि देश के पास अब एक लड़ाई लड़ने और उसे जीतने के लिए हर तरह के शस्त्र और उपकरण मौजूद हैं. क्लैपर के मुताबिक चीन की सेना को राजनीतिक और वित्तीय तौर पर वह सारा सहयोग मिल रहा है जिससे वह एक आधुनिक सेना के रूप में युद्धक्षेत्र में उतर सके.

क्लैपर अमेरिका के डायरेक्टर ऑफ नैशनल इंटेलिजेंस (डीएनआई) हैं और देश में कुल 16 खुफिया एजेंसियों के प्रमुख माने जाते हैं. डीएनआई राष्ट्रपति के नियंत्रण में होते हैं और देश के खुफिया कार्यक्रम की योजना बनाते हैं.

रिपोर्टः पीटीआई/एमजी

संपादनः एन रंजन

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