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विवाद

चीन के साथ रूस का सबसे बड़ा सैन्य अभ्यास शुरू

११ सितम्बर २०१८

37 साल बाद रूस सबसे बड़ा सैन्य अभ्यास कर रहा है. इसमें चीन भी शामिल है, लेकिन इस युद्धाभ्यास में साझा दुश्मन किसे माना जा रहा है?

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Weißrussland Zapad Militärmanöver
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Vayar

रूसी सेना की कई डिवीजनें, प्रशांत और उत्तरी बेड़ा वोस्टॉक 2018 युद्धाभ्यास में शामिल हो रहे हैं. 11-17 सितंबर तक चलने वाली इन वॉर गेम्स को शीत युद्ध के बाद का सबसे बड़ा सैन्य अभ्यास कहा जा रहा है. रूसी रक्षा मंत्रालय के मुताबिक युद्धाभ्यास में 3 लाख सैनिक, 1,000 विमान, 36,000 लड़ाकू वाहन और 80 युद्धपोत शामिल हो रहे हैं. युद्धाभ्यास पांच जगहों पर होगा. इनमें जापानी सागर, बेरिंग सागर और ओखोत्स्क सागर भी शामिल हैं.

विशेषज्ञों को सबसे ज्यादा हैरानी युद्धाभ्यास में चीन की शिरकत से हो रही है. चीन के 3,000 सैनिक विमानों और हेलिकॉप्टरों के साथ इसमें शामिल हो रहे हैं. 2003 से अब तक रूस और चीन की सेनाएं करीब 30 बार साझा सैन्य अभ्यास कर चुकी हैं. लेकिन वोस्टॉक में पहली बार चीन रूस के साथ रणनैतिक स्तर पर युद्धाभ्यास कर रहा है. इससे पहले सिर्फ बेलारूस ने ही रूस के साथ ऐसा रणनैतिक युद्धाभ्यास किया था.

China Russland militärische Zusammenarbeit Xi und Putin
रूस और चीन के बीच गहराते सैन्य संबंधतस्वीर: picture alliance/ITAR-TASS/A. Druzhinin

यूरोपीय काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस में जर्मनी के सीनियर पॉलिसी फेलो गुस्ताव ग्रेजेल के मुताबिक चीन लंबे समय से इस लम्हे के इंतजार में था. बीजिंग रूस के साथ अभ्यास को सिर्फ आतंकवाद विरोधी या पुलिस कार्रवाई के दायरे तक सीमित नहीं रखना चाहता. वह रूस से असली युद्ध की कला सीखना चाहता है. ग्रेजेल कहते हैं कि चीन के पास भले ही आधुनिक अस्त्र हों, लेकिन "अफसरों की ट्रेनिंग, सेना की आवाजाही, तैनाती और कमांड के मामले में वह रूस के काफी पीछे है."

गुस्ताव ग्रेजेल को लगता है कि चीन, सीरिया और यूक्रेन में रूसी सेना के अनुभवों से भी बहुत कुछ सीखना चाहता है. बीजिंग के सैन्य अफसर रूसी अफसरों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होना चाहते हैं, "यह बड़ी संख्या में सैनिकों द्वारा लड़ी जाने वाली लड़ाई के उलट है. इंफॉर्मेशन एज में युद्ध तकनीकी हो रहे हैं और चीन ट्रेनिंग और सेना को इसी ढंग से तैयार कर सैन्य आधुनिकीकरण की तरफ बढ़ना चाहता है."

निशाने पर अमेरिका?

ग्रेजेल के मुताबिक रूसी और चीनी सेना की बढ़ती नजदीकी अमेरिका के लिए "डरावना सपना" है. दोनों देशों के बीच पिछले काफी समय से आर्थिक और सैन्य रिश्ते मजबूत हो रहे हैं. ग्रेजेल कहते हैं, "रूसी नेतृत्व के लिए रक्षा का मतलब सत्ता की सुरक्षा है." मॉस्को अमेरिका के नेतृत्व वाले पश्चिम को अपना मुख्य दुश्मन समझता है. उसे पश्चिमी संस्कृति से भी खतरा महसूस होता है. गुस्ताव ग्रेजेल को लगता है कि चीन सैन्य रूप से भले ही काफी ताकतवर हो, लेकिन मॉस्को को नहीं लगता कि बीजिंग से रूस की आंतरिक सुरक्षा को कोई खतरा है.

जर्मन काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस की रूस एक्सपर्ट सारा पागुंग युद्धाभ्यास को अमेरिका के लिए "डरावना सपना" मानने से इनकार करती हैं. वह इसे महाशक्ति होने का दावा करने का अभ्यास कहती हैं, "रूस साफ तौर पर अमेरिका को अपनी ताकत दिखा रहा है और यह भी दिखा रहा है कि महाशक्ति का रुतबा क्या है."