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एजुकेशन सेंटर को बंदूकें और हथकड़ियां से क्या काम?

२४ अक्टूबर २०१८

समाचार एजेंसी एएफपी का दावा है कि चीन के "वोकेशनल एजुकेशन सेंटर" आधुनिक बंदूके, कैमरे और हथकड़ी जैसे सामान खरीद रहे हैं. पिछले कुछ समय से ये एजुकेशन सेंटर अंतरराष्ट्रीय आलोचनाओं का शिकार होते रहे हैं.

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China Uiguren in Xinjiang
तस्वीर: picture-alliance/dpa/N. H. Guan

चीन के सरकारी चैनल बताते हैं कि देश में चल रहे "वोकेशनल एजुकेशन सेंटर" काफी कुछ मॉर्डन स्कूलों की तरह हैं. ऐसे स्कूल जहां छात्र खुशी से मंदारिन भाषा सीख रहे हैं, अपने काम में दक्ष बन रहे हैं और अपने शौक मसलन गाना-बजाना, लोक गीत-संगीत सीख रहे हैं. हालांकि हाल में ही शिनचियांग प्रांत के ऐसे ही एक एजुकेशन सेंटर ने 2,768 पुलिस के डंडे, 1367 हथकड़ियां और करीब दो हजार से भी ज्यादा पेपर स्प्रे के डिब्बों को बाजार से खरीदा था. इस खरीदारी के बाद ऐसे सवाल उठने लगे कि आखिर ऐसी चीजों का इस्तेमाल शिक्षा क्षेत्र में कहां हो रहा है. यह शॉपिंग लिस्ट उन सरकारी अनुरोधों से एक थी जिसे साल 2017 में शिनचियांग में "वोकेशनल एजकुशेन एंड ट्रेनिंग सेंटरों" को बनाने और उनके प्रबंधन से जुड़े कार्यों के दौरान भेजी गई थी.

शिनचिंयाग के ये एजुकेशन केंद्र अंतरराष्ट्रीय निगरानी में हैं. मानवाधिकार गुट इन्हें ऐसे राजनीतिक कैंप बता रहे हैं जहां उइगुर मुसलमानों और अन्य मुस्लिम समुदायों के लोगों को बंद करके रखा गया है. लंबे समय तक चीन ऐसे कैंपों का अस्तित्व ही खारिज करता रहा, लेकिन जब अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्थाओं का दबाव बढ़ा तो चीन ने ऐसे कैंपों को जायज ठहराया. सरकार का कहना है कि इन केंद्रों का मकसद मुफ्त शिक्षा और प्रशिक्षण के दम पर अलगाववाद, आतंकवाद और धार्मिक उग्रवाद से मुकाबला करना है. समाचार एजेंसी एएफपी ने 1500 सरकारी दस्तावेजों के आधार पर दावा किया है कि स्कूलों की तरह दिखने वाले ये सेंटर किसी जेल से कम नहीं है.

बंदूकों से लैस

इन दस्तावेजों के आधार पर एएफपी दावा करती है कि ये "एजुकेशन केंद्रों" की सुरक्षा में लगे सुरक्षा गार्ड अत्याधुनिक पिस्टल और और आंसू गैसों के गोलों से लैस हैं. साथ ही सेंटर की चारदीवारी पर नुकीले तारों की बाड़ और कैमरे यहां रहने वाले "छात्रों" पर कड़ा नियंत्रण रखते हैं. एक दस्तावेज में प्रांत के पार्टी सेक्रेटरी के हवाले से कहा गया है कि इन केंद्रों में "स्कूलों की तरह पढ़ाई हो" और "सेना की तरह इनका प्रबंधन हो."

अन्य दस्तावेजों में ये भी कहा गया है कि, "नया और बेहतर चीनी नागरिक बनाने के लिए केंद्र को सबसे पहले यहां रहने वाले लोगों की वंशावली को तोड़ना होगा, उनकी जड़ों को काटना होगा, और उनके संपर्कों को खत्म करना होगा, कुल मिलाकर उनकी उत्पति को मिटाना होगा."

सरकारी चेहरा

सरकारी टीवी ने अपने एक कार्यक्रम में ऐसे एक केंद्र को दिखाया था. एएफपी के मुताबिक, शिनचिंयाग प्रांत में ऐसे करीब 181 केंद्र चल रहे हैं. सरकारी मीडिया के मुताबिक यहां लोग अपनी मर्जी से आते हैं, साथ ही यहां रहने वाले लोग एक जैसी यूनिफॉर्म पहनते हैं, मंडारिन भाषा पढ़ते हैं और बुनाई, कढ़ाई और बेकरी जैसे काम सीखते हैं. ऐसे केंद्र सबसे पहले 2014 में सामने आए थे, लेकिन साल 2017 तक शिनचिंयाग प्रांत में ऐसे कैंपों को बनाए जाने में तेजी आ गई.

अप्रैल 2017 में सरकारी एजेंसियों ने इन केंद्रों के लिए बड़ी संख्या में टेंडर मंगाने शुरू कर दिए. कुछ ऑर्डर फर्नीचर, एयर कंडीनशनर, बिस्तर जैसे थे तो कुछ सामान जेलों में इस्तेमाल होने वाला था. इनमें आधुनिक निगरानी तंत्र, कैमरा, रेजर वायर, फोन कॉल की जासूसी में इस्तेमाल होने वाले यंत्र प्रमुख थे. केंद्र ने पुलिस यूनिफार्म, हेलमेट, आंसू गैस, बंदूकें जैसे सामानों का भी ऑर्डर दिया. एक केंद्र ने "टाइगर चेयर" भी मंगवाईं, इन उपकरणों को चीनी पुलिस पूछताछ के लिए इस्तेमाल करती हैं. प्रशासन इस पूरे मामले में प्रतिक्रिया देने से बचता रहा है.

ज्ञान का आकलन

2017 के अंत में वरिष्ठ अधिकारियों ने इन केंद्रों को और बेहतर बनाने के लिए दिशानिर्देश जारी किए. चीन की एक सरकारी वेबसाइट बताती है कि "नए वोकेशनल एजुकेशन और ट्रेनिंग सर्विस मैनेजमेंट ब्यूरो" को ऐसे वरिष्ठ अधिकारी चला रहे हैं जिन्हें जेल और हिरासत केंद्रों में काम करने का अनुभव है. ब्यूरो ने एक मेमो में लिखा है कि इन केंद्रों में रहने वाले छात्रों को मंडारिन भाषा के ज्ञान पर आंका जाएगा साथ ही इन्हें नियमित रूप से "आत्म आलोचनाएं" लिखनी होंगी. दिन में वह देश से जुड़े नारे बोलेंगे, गाना गाएंगे और प्राचीन कन्फ्यूशियस ग्रंथों की बातों को याद करेंगे.

यहां रहने वाले छात्रों की फाइलों को डाटाबेस में उनके अपराधों और उनके पढ़ाई के स्तर पर दर्ज किया गया है. सरकार अविश्वसनीय लोगों को सबसे अधिक विश्वसनीय जगहों पर रखने का भी सिंद्धांत मानती हैं, जिसके चलते ऐसे अपराधी जो जेल में अपनी सजा काट लेते हैं उन्हें सीधे इन केंद्रों में छोड़ दिया जाता है. वहीं जो छात्र यहां अच्छा करते हैं उन्हें उनके परिवारों को बुलाने या उनसे मिलने जाने की अनुमति दिए जाने की बात ब्यूरो के मेमो कहते हैं.

अधिकारियों को ये भी आदेश दिए गए हैं कि वे इन छात्रों के परिवारों का दौरा करते रहें और उन्हें उग्रवाद के खिलाफ पाठ पढ़ाते रहें. साथ ही यह भी देख सके कि कहीं परिवारों के भीतर गुस्सा तो नहीं भर रहा है. अंतरराष्ट्रीय मीडिया दावा करता है कि चीन ने ऐसे केंद्रों में तकरीबन दस लाख लोगों को कैद कर रखा है, वहीं चीन ऐसे सभी दावों को खारिज करता रहा है. बहरहाल, एएफपी को मिली टेंडर सूचनाएं इन एजुकेशन सेंटर में दस लाख से अधिक लोगों के रहने की ओर इशारा करती हैं. 2018 में एक महीने के भीतर ही देश के एक एजुकेशनल ब्यूरो ने कम से कम 1.94 लाख चीनी भाषा की किताबों का ऑर्डर दिया था.

एए/एनआर (एएफपी)