चीन की अभागी मां
१५ जनवरी २०१४दिल को जख्मी कर देने वाली यह कहानी चीन की है. अब 59 साल की हो चुकी यी जिनजियु की कैसी बदकिस्मती है. ऐसे हालात में ही दुनियावी रस्मों पर से यकीन उठता है. लेकिन मां तो मां होती है. यी इसे साबित करती हैं. वह दूसरे खोये हुए बच्चों की तलाश में मदद करती हैं. यी का कहना है, "कोई आपका दिल निकाल ले, तो भी बर्दाश्त हो सकता है लेकिन अपने बच्चे का अपहरण बर्दाश्त नहीं होता."
चीन में हर साल लाखों बच्चे गायब हो जाते हैं. आम तौर पर लड़कों का अपहरण कर लिया जाता है. बाद में उन्हें ऊंचे दाम पर बेच दिया जाता है. चीन में एक बच्चे की नीति है और पितृ सत्तात्मक समाज में लड़कों की अहमियत ज्यादा है. कई परिवार वाले लड़की पैदा होने के डर से परिवार नहीं बढ़ाते और लड़के खरीद लेते हैं.
दिल से बड़ा बेटा
यी फुजहाऊ शहर के बस स्टॉप पर एक विशालकाय इश्तिहार लिए खड़ी हैं. इस पर गुमशुदा बच्चों की जानकारी है. अपने जज्बात को निकालने के लिए पता नहीं कहां से उन्हें अल्फाज मिलते हैं, "अगर कोई आपका दिल चीर दे, तो इसमें बस एक सेकंड लगता है. आप मर जाते हैं और फिर कुछ पता नहीं होता. लेकिन अगर आपका बच्चा गायब हो गया और उसका पता नहीं चल रहा, तो हर दिन जैसे ही आप उठते हैं, आपका दिल बैठ जाता है."
चीन की सरकार गुमशुदा बच्चों के आंकड़े जारी नहीं करती लेकिन हर रोज कई बच्चों को बरामद किया जाता है. पिछले साल अक्टूबर तक 10 महीने में 24,000 बच्चों को छुड़ाया गया. कई बच्चों को गरीब इलाके से अपहरण कर लिया जाता है और रईसों को बेच दिया जाता है.
लाखों का अपहरण
गुमशुदा बच्चों के लिए काम करने वाले बीजिंग के पत्रकार देंग फाई का कहना है कि हर साल लाखों बच्चों का अपहरण किया जाता है और उन्हें लाखों युआन में बेच दिया जाता है. उनका कहना है कि सही आंकड़े किसी के पास नहीं हैं. एक वेबसाइट पर करीब 14,000 परिवारों ने अपने बच्चों के गायब होने की बात कही है. गरीब इलाकों के लोग आम तौर पर काम करने बड़े शहरों में चले जाते हैं और पांच में से दो बच्चों को दादा दादी या नाना नानी के साथ रहना पड़ता है. ऐसे में उनकी सुरक्षा प्रभावित होती है.
पुलिस भी कई बार बच्चों के गायब होने की रिपोर्ट दर्ज नहीं करती क्योंकि वह आम तौर पर इस मामलों को हल नहीं कर पाती और इससे उनके प्रदर्शन पर असर पड़ता है. इन बातों के अलावा पूरे तंत्र में ऐसी अराजकता फैली है कि चीजों को सुधारना आसान नहीं. दिसंबर में एक डॉक्टर के खिलाफ मामला दर्ज हुआ, जिस पर सात बच्चों को बेचने का आरोप है. इस डॉक्टर ने बच्चों के मां बाप से कहा था कि उनके बच्चों को गंभीर बीमारी है और उनके बचने की संभावना नहीं है.
सिचुआन प्रांत की 35 साल की यांग जींग ने बताया कि खुद उनके पति ने बेटे को एक रईस परिवार को बेच दिया. अपना बच्चा वापस पाने के लिए उन्हें 13 साल संघर्ष करना पड़ा. यांग ने कहा, "उन्होंने कहा कि यह मामला अपहरण में शामिल नहीं होता क्योंकि खुद पिता ने अपने बच्चे को किसी और को दे दिया."
पार्कों में बीती रात
उधर फुजहाऊ शहर की यी बताती हैं कि जब 1993 में उनका छह साल का बेटा गुम हुआ, तो उन्होंने 10 राज्यों के खाक छाने. सेहत की परवाह नहीं की. कचरा बीना, दूसरों के बर्तन साफ किए ताकि आगे बढ़ने, किसी और प्रांत में जाने का पैसा जुटे. यी जब बताती हैं कि वह तो मरने के करीब आ चुकी थीं, तो उनका गला भर जाता है. वह बताती हैं कि रात पार्कों में बीतती थी. पति ने बहुत मना किया कि वह खोज रोक दें और जब यी नहीं मानीं, तो पति उन्हें छोड़ कर चले गए.
यी बताती हैं कि उन्हें 1995 में ही बच्चों के सौदागर का पता चल गया लेकिन पुलिस को कार्रवाई करने में पांच साल लग गए. साल 2000 में तीन लोगों को सजा हुई लेकिन यी के बेटे लू जियानिंग को एक दशक बाद यानी 2010 में ही खोजा जा सका. जिस दिन यी को अपने बेटे से मिलना था, उससे पहले वाली रात करवटों में ही बीत गई.
लेकिन बेटे ने मां को गले भी नहीं लगाया. वह साल भर साथ रहा और यी ने उसकी पढ़ाई के लिए और कर्ज लिया. लेकिन इसके बाद बेटा एक दिन वह अचानक गायब हो गया और दो साल से अपनी मां से संपर्क तक नहीं किया है. पर मां का दिल बड़ा है, "मुझे अफसोस नहीं है. वह जैसे चाहे, अपनी जिंदगी जीए. मुझे अभी भी उसका इंतजार है. जब आपके बच्चे का अपहरण हो जाता है, तो आपको उसका इंतजार रहता है."
नीति भी जिम्मेदार
वह अपने इश्तिहार के साथ आगे बढ़ जाती है. इस पर कई गुमशुदा बच्चों की जानकारी है. डोडो और युआन युआन नाम के दो भाइयों का 1991 में एक ही दिन अपहरण हो गया. इसमें लिखा है कि छोटी बालों वाली एक बच्ची का 2010 में उस वक्त अपहरण हो गया, जब वह स्कूल से लौट रही थी. पास से गुजरने वाले रुक कर इन इश्तिहारों को देखते हैं. एक कहता है, "अगर सरकारी नीतियों की वजह से मां बाप को बड़े शहरों में नहीं जाना पड़े, तो वे अपने बच्चों की देख रेख कर सकते हैं."
यी की मेहनत बड़ी कीमत लेकर आई है. वह बीमार रहने लगी हैं. खांसी होती है, तो मुंह से खून निकलता है. रिश्तेदारों से इतना कर्ज ले चुकी हैं कि घर लौटने से घबराहट होती है, "मुझे तो मेरा बेटा मिल गया. लेकिन दूसरों को नहीं मिला है. मैं रुक नहीं सकती."
एजेए/एमजे (एएफपी)