चिनावट परिवार पर बंटा थाईलैंड
२५ अगस्त २०१७देश की पहली महिला प्रधानमंत्री रही यिंग्लुक पदच्युत की जाने वाली पहली प्रधानमंत्री भी हैं. थाई अदालत यिंग्लुक चिनावट पर कार्यकाल के दौरान किये गये फैसलों पर आपराधिक आरोपों का दोषी पाये जाने की स्थिति में 10 साल तक की जेल और राजनीति करने पर आजीवन प्रतिबंध लगा सकती है. पिछले एक दशक में थाइलैंड के चिनावट परिवार ने ऐसी कई कानूनी और राजनीतिक उथल पुथल देखे हैं. ताजा राजनीतिक विभाजन के केंद्र में भी यिंग्लुक के बड़े भाई थकसिन चिनावट ही हैं. आज भी थाइलैंड प्रमुख रूप से थकसिन के दोस्तों और दुश्मनों के बीच बंटा हुआ है.
थकसिन 1980 के दशक तक पुलिस में नौकरी करते थे और फिर टेलिकॉम जगत के बड़े टाइकून बन कर उन्होंने अरबों कमाये. 2001 में राजनीति में कदम रख जीत हासिल की और फिर गरीबों को पसंद आने वाली नीतियों की बात कर 2005 में फिर जीते. अपना कार्यकाल पूरा करने वाले और दोबारा चुने जाने वाले थकसिन देश के पहले प्रधानमंत्री बने. लेकिन 2006 में सैन्य तख्तापलट का शिकार बना कर उनकी सरकार गिरा दी गयी और तब से थाइलैंड में राजनीतिक अस्थिरता का दौर चला ही आ रहा है. थकसिन भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल जाने से बचने के लिए देश के बाहर चले गये और माना जाता है कि उन्होंने दुबई को अपना आधार बनाया है.
2001 से देश के सभी चुनाव थकसिन की पार्टी ने ही जीते हैं. इसे थाइलैंड की गरीब, देहाती जनता और नौकरीपेशा लोगों का भारी समर्थन हासिल रहा है. समर्थन का सबसे बड़ा कारण आर्थिक है. थाई समाज में व्याप्त असमानता के कारण देश के गरीब खुद को हाशिये पर पाते हैं. चिनावट की पार्टी ही सबसे पहले उनके लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाएं, कर्ज मुक्ति, व्यापार शुरु करने के लिए कर्ज की व्यवस्था और चावल पर बड़ी सब्सिडी जैसी लोकलुभावन नीतियां ले कर आयी. उनकी चावल पर सब्सिडी वाली योजना के सिलसिले में ही यिंग्लुक पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं और गिरफ्तारी के वारंट पर अदालत में हाजिर होना था.
चावल योजना में लोगों से बाजार भाव के दोगुने दाम पर चावल खरीदा गया था. फिर इसके विरोध में देश का मध्य वर्ग सड़क पर उतर आया था. इसी से 2014 के तख्तापलट की भूमिका तैयार हुई. चिनावट के निरंकुश रवैये की झलक लोगों ने तब भी देखी थी जब ड्रग्स के खिलाफ लड़ाई में उन्होंने 3,000 से अधिक लोगों को मरवा दिया था.
अपने भाई की ही तरह बिना किसी राजनीतिक अनुभव के राजनीति में आने वाली यिंग्लुक को थाइलैंड की विपक्षी पार्टी पूइया थाई पार्टी ने टिकट दिया था. देश से बाहर रह कर भी थकसिन का इतना असर है कि उन्हें पूइया थाई पार्टी का वास्तविक प्रमुख माना जाता है. 2010 में थाइलैंड में रेड शर्ट आंदोलन चलाने वालों के पीछे भी आलोचक थकसिन चिनावट का ही हाथ मानते हैं. आंदोलन को कुचलने की कोशिश में 90 से अधिक लोग मारे गये. थकसिन के खिलाफ आतंकवाद के आरोपों में गिरफ्तारी का वारंट भी जारी हुआ.
रेड शर्ट आंदोलन के ज्यादातर नेता इस समय या तो जेल में बंद हैं या फिर अंडरग्राउंड हो गये हैं. अब यिंग्लुक के गायब होने के बाद देश ने आखिरी करिश्माई चिनावट नेता भी खो दिया है. अगर किसी अप्रत्याशित तरीके से उन्हें माफी ना मिल जाये तो आम परिस्थिति में तो चिनावट भाई-बहन का देश में कदम रखना बहुत मुश्किल है. थाइलैंड में चिनावट की मिल्कियत वाले टीवी चैनल वॉयस टीवी पर दिखने वाले प्रतिष्ठित विश्लेषक अतुकित सवांगसुक ने यिंग्लुक के देश छोड़ने की खबरों के बाद अपने फेसबुक पेज पर लिखा, "यह चिनावट वंश का अंत है क्योंकि इसका मतलब है कि उन्होंने उम्मीद छोड़ दी है."
आरपी/एमजे (एएफपी)