चांद के बारे में 7 मजेदार बातें
आज से 50 साल पहले किसी इंसान ने पहली बार धरती के इकलौते प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा पर कदम रखा था. आइए जानते हैं चंद्रमा के बारे में सात दिलचस्प बातें.
सिकुड़ रहा है चंद्रमा
नासा के शोध से पता चला है कि धीरे धीरे चंद्रमा की गर्मी कम हो रही है. इसके कारण उसकी सतह सिकुड़ रही है और वह अंगूर के किशमिश बनने जैसी प्रक्रिया से गुजर रहा है. वह अंदर से भी पतला हो रहा है. पिछले कई सौ लाख सालों में चंद्रमा करीब 50 मीटर (150 फीट) दुबला हुआ है.
अमेरिकी झंडा वहां लहराया कैसे
चंद्रमा पर इंसान के पहुंचने की ऐतिहासिक घटना को कई विशेषज्ञ शक की निगाह से देखते हैं. उनका मानना है कि नील आर्मर्ट्रॉंग और बज एल्ड्रिन ने 21 जुलाई, 1969 को चांद नहीं बल्कि एक साउंडस्टेज पर उतरे थे. उनका तर्क होता है कि अगर एल्ड्रिन ने झंडा चंद्रमा पर लगाया ता तो फिर वो लहराया कैसे. अंतरिक्ष के निर्वात में हवा नहीं होने के कारण चंद्रमा पर ऐसा होना असंभव है.
झुलसाने वाली गर्मी तो जमाने वाली ठंड भी
चंद्रमा पर तापमान ठंडे और गर्म दोनों अतियों की ओर जाता है. जब सूर्य उसकी सतह पर पड़ता है तो तापमान चढ़कर 127 डिग्री सेल्सियस तक छू जाता है. और वहीं जब सूर्य ना हो तो तापमान -153 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है.
चांद में इंसान की छाया
इंसान लंबे समय से चंद्रमा पर बस्ती बसाने का सपना देखता आया है. कई लोगों को चांद में किसी का चेहरा नजर आता है. यह असल में चंद्रमा की सतह पर मौजूद गहरे लूनर मैदानों और उथले लूनर पठारी इलाकों के कारण नजर आता है, जो किसी के चेहरे का आभास कराते हैं.
सूर्य ग्रहण का अंत
असल में धीरे धीरे चंद्रमा हमारी धरती से दूर होता जा रहा है. हर साल वह करीब 4 सेंटीमीटर (1.5 इंच) की रफ्तार से दूर जा रहा है. जितना दूर जाता रहेगा उतना ही वह हमें छोटा दिखेगा. करीब 55 करोड़ साल में चांद इतना छोटा दिखेगा कि उसके कारण धरती पर कभी पूर्ण सूर्य ग्रहण नहीं होगा.
भेड़िए को चांद से कोई मतलब नहीं
जी हां. लंबे समय से भेड़ियों को रात में चांद को देखकर आवाजें निकालने की बातें कही जाती हैं. लेकिन इनमें कोई सच्चाई नहीं होती. पूर्णिमा की रात में उनके आवाजें निकालने में कोई बदलाव नहीं आता. वे तो हर रात ऊंची ऊंची आवाजें निकालते हैं और इसका चांद से कोई लेना देना नहीं. वे तब भी बोलते हैं जिस रात चांद नजर नहीं आता.
मून वॉकर्स कौन हैं
माना जाता है कि अब तक 12 लोग चांद पर चल चुके हैं. वे अलग अलग पेशों से जुड़े लोग थे. लेकिन जो बातें सब में आम थीं वे थीं कि सबका अमेरिकी नागरिक, श्वेत और पुरुष होना. देखना दिलचस्प होगा कि चांद पर चलने वाला अगला कोई गैर अमेरिकी, अश्वेत या महिला तो नहीं. (रिपोर्ट कार्ला ब्लाइकर/आरपी)