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'घूसखोरों को ज़ीरो रुपये का नोट दो'

२ मार्च २०१०

भारत के नागरिक हर साल घूस देने में 50 करोड़ रुपये गंवाते हैं. इसके लिए क्या उपाय हो. भारत की एक ग़ैर सरकारी संस्था फ़िफ्थ पिलर ने इस मसले को सुलझाने के लिए एक नई तरकीब निकाली है.

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तस्वीर: 5th Pillar

एक नोट जो वैसे तो पचास रुपये के नोट जैसा दिखता है लेकिन वास्तव में उसका कोई मूल्य ही नहीं. मतलब उससे कुछ नहीं खरीदा जा सकता और उसे ज़ीरो नोट का नाम दिया गया है.

नोट के एक तरफ लिखा हुआ है, "मैं वादा करता हूं कि न मैं रिश्वत लूंगा, न दूंगा". ऐसे कम से कम दस लाख नोटों को लोगों में बांट दिया गया है.

जब कोई आपसे रिश्वत की उम्मीद करे, तो एक ज़ीरो नोट उसके हाथ में थमा दीजिए.

मारी का अनुभव

मारी पॉंडीचेरी में एक छात्रा हैं. एक दिन स्कूटी से कॉलेज जा रही मारी को पुलिसवाले ने पकड़ लिया. मारी के पास लाइसेंस और स्कूटी के काग़ज़ थे, लेकिन इसके बावजूद पुलिसवाले ने उन्हें जाने नहीं दिया. लाचार मारी ने अपनी जेब से एक ज़ीरो नोट निकाली और कहा, "मेरे पास सारे दस्तावेज़ हैं इसलिए मैं आपको कोई पैसे नहीं दूंगी, लेकिन हां आप यह ज़ीरो नोट ज़रूर रख सकते हैं." नोट पाते ही पुलिसकर्मी शर्मा गया और मारी अपने रास्ते चल पड़ीं.

ज़ीरो नोटों से भ्रष्टाचार को ख़त्म करने की तरकीब फ़िफ्थ पिलर नाम की संस्था ने निकाली है. ज़ीरो नोटों पर फ़िफ्थ पिलर संस्था का नाम और उसके काम के बारे में जानकारी दी गई है. इसे देखकर कई अधिकारियों को परेशानी होती है.

संस्था के प्रमुख विजय आनंद कहते हैं कि अधिकारियों को पता चल गया है कि लोग रिश्वत नहीं देना चाहते. फ़िफ़्थ पिलर मीडिया के ज़रिए अपना प्रचार भी करती है और जब कोई अधिकारी घूस की मांग करता है औऱ कोई उसे एक ज़ीरो नोट दे देता है, तो अधिकारी बिना किसी परेशानी के उसका काम कर देते हैं. यह संस्था स्कूलों में भी बच्चों को भ्रष्टाचार के बारे में बताती हैं ताकि उन्हें अपने अधिकारों के बारे में पता चले.

अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार शोध संस्था ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के मुताबिक सरकारी प्राधिकरणों में भ्रष्टाचार को देखते हुए भारत 180 देशों की सूची में 85वें स्थान पर है. पुलिस और न्यायपालिका में सबसे ज़्यादा भ्रष्टाचार के मामले सामने आते हैं. ट्रांसपेरेंसी इंटरनैशनल की अनुपमा झा कहती हैं कि भारत में राजनीति और प्रशासन में एक ज़िम्मेदारी की भावना की ज़रूरत हैः "जनता को अपने अधिकारों का पता होना चाहिए. जब तक लोग राजनीतिज्ञों और जजों से अपना हक नहीं मांगेगे, तब तक भ्रष्टाचार को ख़त्म नहीं किया जा सकता."

भ्रष्टाचार मिटाने के लिए ज़ीरो नोटों की कमी अभी से महसूस हो रही है. लेकिन एक अरब से ज़्यादा की आबादी वाले देश में भ्रष्टाचार मिटाने के लिए और ठोस कदमों की ज़रूरत है, ज़ीरो नोट तो बस एक शुरुआत है.

रिपोर्टः आना लेमान/ एम गोपालकृष्णन

संपादनः आभा मोंढे