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घर के लिए घर में काम करते छात्र

५ दिसम्बर २०१२

किसी पास एक कमरा है, किसी को घर की या बच्चे की देख रेख करने वाले की जरूरत है. जर्मनी में कम अपार्टमेंट और ज्यादा छात्रों की समस्या से दो चार होने के लिए नया प्रोजेक्ट शुरू किया गया है, 'घर के बदले मदद'.

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तस्वीर: Suzanne Cords

जब डानिएल क्ली यूनिवर्सिटी से घर पर आते हैं तो इसका मतलब आराम कतई नहीं होता. शाम को वह नौ साल के डाविड की होमवर्क में मदद करते हैं. कभी कभी शाम का खाना बनाते हैं या डाविड के साथ खेल में समय गुजारते हैं. और सुबह सवेरे तैयार कर के उसे स्कूल भी ले जाते हैं. एक साल से कोलोन में स्पोर्ट्स की पढ़ाई कर रहे डानिएल साबिने मोजानोवस्की के घर में रहते हैं.

अकेली मां को अक्सर ऑफिस में बहुत ज्यादा काम होता है. और उन्हें इस बात की खुशी है कि उनका बेटा अच्छे हाथों में है. कई साल तक साबिने इस काम के लिए आया रखती थी. अब वह जर्मन प्रोजेक्ट वोहनन फ्यूर हिल्फे यानी घर के बदले मदद के साथ हैं. इसके तहत छात्रों को किसी परिवार या ओल्ड एज होम में रखा जाता है. साबिने कहती हैं, "डानिएल स्वतंत्र हैं और खूब ध्यान रखते हैं. उसे मुझे कुछ भी दोबारा नहीं कहना पड़ता. और मैं उस पर विश्वास कर सकती हूं. पहले कभी कभी आया को भी मदद करनी पड़ जाती थी."

सिर्फ मदद नहीं

छात्र के साथ साबिने मोजानवोस्की की अच्छी साझीदारी है. दोनों अपनी अपॉइंटमेंट्स एक दूसरे को बताते हैं ताकि हमेशा एक व्यक्ति घर पर रहे. छोटे डाविड के लिए डानिएल एक बड़े भाई की तरह है. "हम पत्ते खेलते हैं. कभी कभी फुटबॉल या बैडमिंटन भी. मुझे डानिएल के साथ रहने में बहुत मजा आता है."

Daniel Klee
डानिएल क्लीतस्वीर: Suzanne Cords

डानिएल क्ली और मोजानोव्स्की परिवार के लिए जो एक साल से रोजमर्रा की बात बन गई है वह अब कई जर्मन शहरों में भी संभव है. इस तरह का पहला प्रोजेक्ट 1992 में डार्मश्टाड में शुरू हुआ था. सबसे पहले छात्रों को ओल्ड एज होम में रहने के लिए जगह दी जाती. ताकि वह बुजुर्गों की मदद कर सकें. इस बीच और परिवार, अकेली माएं या शारीरिक चुनौती झेल रहे लोग इस सुविधा का लाभ उठा रहे हैं. मदद के तहत, रोज की शॉपिंग, साफ सफाई, बागीचे की देख रेख, खाना पकाना या बच्चों की देखभाल शामिल है. वृद्धाश्रम या डे केयर में रखने के नियम कड़े हैं.

सस्ता नहीं

कोलोन के वोहनन फ्यूर हिल्फे की हाइके बेरमोंड कहती हैं, "अगर कोई सस्ता कमरा या सस्ता काम करने वाला ढूंढ रहा हो तो उसे इस प्रोजेक्ट से कुछ नहीं मिलेगा." इस प्रोजेक्ट का आधार यह है ही नहीं. भागीदारों के लिए जरूरी है कि वह किसी अन्य व्यक्ति को भी अपने यहां रखने में भी रुचि दिखाएं, क्योंकि सिर्फ रहने की बात नहीं है.

मालिक को चिंता रहती है कि छात्र बहुत पार्टी करते हैं. छात्रों को डर होता है कि उन्हें बच्चों की तरह रखा जाएगा. समय से घर आना होगा. कई नियमों का ध्यान रखना होगा. हाइके बेरमोंड कहती हैं, "जो इस विचार के बावजूद प्रोजेक्ट में शामिल होता है, वह पूरा सोच समझ चुका होता है और अधिकतर मामलों में उसे यह एहसास भी हो जाता है कि उसके पूर्वाग्रह सही नहीं थे."

Daniel Klee
काम के बदले घरतस्वीर: Suzanne Cords

हर स्क्वेयर मीटर के हिसाब से किराएदार को महीने में एक घंटा मदद करनी होती है. यह मूल नियम है. इसके अलावा अतिरिक्त खर्चे. डानिएल 18 वर्ग मीटर में रहते हैं. उनके लिए अलग बाथरूम है. लेकिन मोजानोवस्की नियम के हिसाब से नहीं चलती. "इस मामले में हम बहुत लचीले हैं. मुझे ये बहुत अच्छा लगता है. मुझे ये ठीक लगता है कि मुझे कड़े नियम बनाने की जरूरत नहीं है."

साबिने मोजानोवस्की को इससे भी परेशानी नहीं कि डानिएल किसी दोस्त को साथ लाता है या फिर पार्टी करना चाहता है. उन्हें इस बात की भी खुशी है कि वह छह हफ्ते ट्रेनिंग के लिए इक्वेडोर जाना चाहते हैं.

मालिक से दोस्त

इस तरह के पेइंग गेस्ट में कई मामलों में किराएदार और मालिक के बीच बहुत अच्छी दोस्ती हो गई. एक पेंशनर ने तो अपने यहां रहने वाले उज्बेकिस्तान के छात्र के पूरे परिवार को बुलाया. आज भी वह संपर्क में हैं.

फिलहाल हर साल 70 पेइंग गेस्ट रखे जा रहे हैं. हाइके बेरमोंड के पास 500 ऐसे लोग हैं जो अपने घर में कमरा किराए पर देना चाहते हैं. कोलोन जैसे बड़े शहर में यह नहीं के बराबर है. "इस साल मांग बहुत ज्यादा है लेकिन हमें उम्मीद है कि 2013 में और भी लोग अपने घर का कमरा इस प्रोजेक्ट के लिए देना चाहेंगे."

रिपोर्टः सुजाने कोर्ड्स/आभा मोंढे

संपादनः ओंकार सिंह जनौटी

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