1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

घड़ी को आगे पीछे करने की रस्म

२३ अक्टूबर २००९

यूरोप में 25 अक्टूबर से समय बदल रहा है. भारत का समय यूरोपीय देशों से साढ़े चार घंटे आगे हो जाएगा. लेकिन डॉयचे वेले इससे अपने श्रोताओं को परेशान नहीं करेगा और उसी वक्त पर हाज़िर रहेगा.

https://p.dw.com/p/KDfU
तस्वीर: AP

1916 में जर्मनी ने दिन की रोशनी की बचत की शुरुआत की, बाद में दूसरे देशों ने भी घड़ियों को आगे पीछे करना शुरू कर दिया. अमेरिका ने भी 1918 से इस नियम को अपना लिया.

अमेरिका और लगभग सभी यूरोपीय देश गर्मियों में अपनी घड़ियां घंटा भर आगे कर लेते हैं ताकि दिन के उजाले का ज्यादा इस्तेमाल किया जा सके और सर्दियों में एक घंटा पीछे कर लेते हैं. इस साल गर्मियों से भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान और बंग्लादेश ने भी घडि़यों के वक्त बदलने शुरू किए हैं. इसके अलावा मोरक्को और ट्यूनीशिया जैसे अफ्रीकी देशों ने भी घड़ियों को बदलना शुरू कर दिया है.

तो अब समय आ गया है फिर से घडी की सुइयों को आगे पीछे करने का. यह काम साल में दो बार मार्च और अक्टूबर माह के आखिरी शनिवार और रविवार की रात 2 बजे किया जाता है. मार्च के आखिरी रविवार की तडके सुबह 2 बजे सुई घुमा कर 3 पर ला दी जाती है और अक्तूबर के आखिरी रविवार के तडके 2 बजे घंटा भर पीछे करके 1 बजा दिया जाता है. अक्तूबर में एक घंटा ज्यादा सोने को मिल जाता है और मार्च में एक घंटा कम. परन्तु श्रोताओं आप के लिए हम उसी समय पर हाज़िर होगें भारत में सुबह 07.00 -07.30 बजे और रात 08.30 – 09.00 बजे.