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घटाया नहीं बढ़ाया है यूपी में शिक्षा बजट: योगी आदित्यनाथ

फैसल फरीद
१७ जुलाई २०१७

बीजेपी शासित राज्य उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने अपना पहला बजट 11 जुलाई को पेश किया. ये बजट कुल 3,846 अरब रुपये का है जो अब तक का उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा बजट है.

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Nepal Kathmandu  Mahant Yogi Adityanath indischer BJP Politiker und Priester
तस्वीर: Imago/Zumapress

इस बजट में प्रदेश में शिक्षा के मद में 665 अरब रुपये का प्रावधान किया गया है. इतने भारी भरकम बजट के बाद भी प्रदेश में शिक्षा का स्तर उठ नहीं पा रहा है. वैसे कई नयी योजनाएं शुरू की गयीं हैं, जैसे अहिल्याबाई नि:शुल्क शिक्षा योजना में लड़कियों की ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई मुफ्त कर दी गयी है. पहले मुफ्त शिक्षा इंटरमीडिएट स्तर तक थी. लेकिन इन योजनाओं के बावजूद शिक्षा के बजट को लेकर बहस शुरू हो गयी.

सबसे पहले सोशल मीडिया पर ऐसी अटकलें लगनी शुरु हुईं कि राज्य में उच्च शिक्षा के बजट में 90 फीसदी की कटौती कर दी गयी है. बात फैलने लगी और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने इस संदर्भ में योगी सरकार की आलोचना करते हुए ट्वीट भी कर दिया. फौरन सरकार ने आंकड़े जुटाये और साफ किया कि शिक्षा बजट घटाया नहीं बल्कि बढ़ाया गया है.

सरकार के दावे अपनी जगह हैं लेकिन उत्तर प्रदेश में शिक्षा का स्तर अभी भी बहुत अच्छा नहीं हैं. अभी भी राज्य के छात्रों की पहली पसंद दिल्ली के किसी कॉलेज में एडमिशन लेना होता है. सबसे ज्यादा खस्ता हालत माध्यमिक शिक्षा की है. यह स्तर अहम है क्योंकि यहीं से छात्र आगे उच्च शिक्षा में जाते हैं.

उदाहरण के तौर पर, लखनऊ के सबसे पुराने क्वीन कॉलेज को लें. सन 1888 में बने इस कॉलेज में कक्षा 12 तक पढ़ाई होती है. लालबाग स्थित ये कॉलेज सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त वित्तपोषित श्रेणी में आता हैं. लेकिन इस कॉलेज में मात्र 300 बच्चे हैं और 21 शिक्षक. शिक्षा का स्तर आप वहां के प्रिंसिपल आरपी मिश्र से जान लीजिए. मिश्र उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के मंत्री और प्रवक्ता भी हैं. मिश्र बताते हैं, "हमारे यहा कंप्यूटर की पढ़ाई बंद हो गयी. या यूं कहिये कि पूरे प्रदेश में केंद्र सरकार के इनफार्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी प्रोजेक्ट के तहत केंद्र बनाये गए थे. सरकार ने कोई शिक्षक नहीं दिया, सामान रखा है, कंप्यूटर पढ़ाई ठप है." आज के दौर में कंप्यूटर की पढ़ाई बंद करने का औचित्य नहीं समझ आता.

दूसरा रोना प्रदेश के लगभग 4,500 सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त वित्तपोषित इंटरमीडिएट कॉलेजों का है, जिसमें क्वीन कॉलेज भी शामिल है. वो ये है कि किसी सरकार ने बजट में विज्ञान विषय के प्रैक्टिकल के लिए और खेलकूद के लिए कोई बजट नहीं दिया. "कुल साठ रुपये साल में प्रैक्टिकल और साठ रुपये क्रीड़ा शुल्क के रूप में लिये जाते हैं. खेलकूद की गतिविधियां ठप हैं और प्रैक्टिकल बाबा आदम के जमाने के सामान से होता है." 

इसके अलावा 2,000 के लगभग सरकारी इंटर कॉलेज भी हैं. मिश्र बताते हैं, "ग्रामीण इलाकों के विद्यालयों में शिक्षक पर्याप्त नहीं हैं. ऐसे में शिक्षकों की संख्या बढ़ाने पर विचार करना चाहिए.” सरकार कभी कोई बजट बुनियादी सुविधाओं के लिए इन कॉलेजों को नहीं देती है. ऐसे में सोचने वाली बात है कि बिना कंप्यूटर शिक्षा, बिना लैब और बिना खेलकूद के पढ़ाई का स्तर क्या होगा.

हालांकि सरकार का दावा है कि शिक्षा में सुधार की कोशिशें की गयी हैं. सरकारी प्रवक्ता के अनुसार राज्य सरकार प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा के उन्नयन पर पूरा ध्यान केंद्रित कर रही है. इसके मद्देनजर वित्तीय वर्ष 2017-18 के बजट में बेसिक, माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिए 621 अरब रुपये की व्यवस्था की गयी है. यह व्यवस्था वर्ष 2016-17 के शिक्षा बजट के मुकाबले 25.4 प्रतिशत अधिक है.

सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि वर्ष 2017-18 में बेसिक शिक्षा का बजट करीब 31.7 प्रतिशत बढ़ाकर 501 अरब रुपये निर्धारित किया गया है. इसी प्रकार, माध्यमिक शिक्षा के लिए बजट को 4.8 प्रतिशत बढ़ाकर, वर्ष 2017-18 में 94 अरब रुपये तय किया गया है. इसी तरह उच्च शिक्षा के लिए भी वर्ष 2017-18 का बजट बीते साल के मुकाबले 2.7 प्रतिशत अधिक है.

प्रदेश की योगी सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में जो मुख्य योजनाएं शुरू की हैं उनमें प्रमुख हैं - तीन सौ करोड़ रुपये में स्कूली बच्चों को जूते मोजे और स्वेटर दिलवाना, 50 करोड़ रुपये में सभी विश्वविद्यालयों एवं गवर्नमेंट एडेड-कॉलेजों में वाई-फाई की सुविधा देना और 48 अरब रुपये छात्रवृत्ति के लिए खर्च करना. इसके अलावा हर विश्वविद्यालय में दीनदयाल शोध पीठ खोलने, हाईस्कूल के टॉपर्स को दीनदयाल विशेष छात्रवृत्ति योजना के अंतर्गत पोस्ट ग्रेजुएशन स्तर तक हर महीने 2,000 रुपये दिये जाने की भी योजनाएं हैं.