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ग्वाटेमाला और इक्वाडोर पर ज्वालामुखी की मार

३० मई २०१०

इक्वाडोर में ज्वालामुखी से लावा निकलना कम हो गया है इस कारण अधिकारियों ने इलाके के ढाई हज़ार लोगों को घर लौटने की इजाज़त दे दी है साथ ही हवाई अड्डे भी खोल दिए गए. ग्वाटेमाला में भी आपात स्थिति जारी.

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इक्वाडोर का ज्वालामुखीतस्वीर: picture alliance / dpa

इक्वाडोर भूगर्भ संस्थान सांद्रा वाका का कहना है ज्वालामुखी की तीव्रता कम हो गई है. अब कम राख हवा में है. ज्वालामुखी तुंगुराहुआ के पास बसे गांव को हटा लिया गया है. तटीय क्षेत्र गुआयाक्विल को बंद कर दिया गया है. हालांकि ज्वालामुखी का ताप कम होने के बाद कुछ लोगों ने शनिवार को घर लौटना शुरू कर दिया है और हवाई अड्डे भी खोल दिए गए.

इक्वाडोर की स्थानीय भाषा में तुंगुराहुआ ज्वालामुखी का मतलब होता है आग उगलता मुंह. इसे 1999 से सक्रिय ज्वालामुखी की श्रेणी में रखा गया है और 2008 से यह लगातार आग उगल रहा है. देश में ऐसे सात और सक्रिया ज्वालामुखी हैं.

लेकिन उधर प्रशांत महासागर क्षेत्र के छोटे से देश ग्वाटेमाला को ज्वालामुखी से कोई राहत नहीं मिल रही है. ज्वालामुखी अब भी राख का गुबार उगल रहा है. चक्रवाती तूफान ने भी ग्वाटेमाला में कहर बरपा दिया है. भारी बाढ़ और बारिश के कारण चार लोगों की मौत हो गई है. आलोमोलोंगा में बारिश और भूस्खलन के कारण एक परिवार के चारों सदस्य घर में ही दफन हो गए. राष्ट्रपति अल्वारो कोलोम ने कहा, ''यह तूफान गंभीर है. रविवार सुबह हालात और बुरे हो सकते हैं. हम पूरे देश में आपातकाल लागू कर रहे हैं.''

Flüchtlinge von Mount Talang
लोगों का विस्थापनतस्वीर: dpa

देश में कई नदियां ख़तरे के निशान से ऊपर हैं. बारिश और बाढ़ का प्रकोप बहुत बुरा हो सकता है क्योंकि राजधानी के दक्षिणी शहर पकाया ज्वालामुखी अब भी राख उगल रहा है और इस कारण सभी नालियां बंद हो गई हैं. गुरुवार से आग उगल रहे इस ज्लावामुखी का ख़राब असर ग्वाटेमाला की कॉफी की खेती पर भी पड़ सकता है.

प्रशांत महासागर से उठा चक्रवाती तूफान अगाथा ग्वाटेमाला के पश्चिमी तट की तरफ पहुंच रहा है और रविवार को अपनी पूरी गति से ग्वाटेमाला में जा बरसेगा. दो हज़ार लोगों को ज्वालामुखी के कारण पहले ही गांवों से हटा लिया गया है. हालांकि अब इसकी तीव्रता कम हो गई है. पकाया ज्वालामुखी 1960 से सक्रिय है लेकिन लेकिन 1998 अब तक यह शांत था.

ग्वाटेमाला की सबसे बड़ी चिंता उसकी कॉफी की खेती है. हालांकि किसानो का कहना है कि तूफान के कारण पौधों से राख निकल जाएगी और खेती को कम से कम नुकसान होगा.

रिपोर्टः एजेंसियां/आभा मोंढे

संपादनः ओ सिंह