गोलियों का साम्राज्य
जर्मन कंपनी बायर 150 साल पुरानी है. सिरदर्द की गोली एस्पिरिन भी बायर का ही कमाल है. लेकिन कंपनी विवादों में भी फंसा रहा है. .
जब दो दोस्त मिले...
...तो फ्रीडरिष बायर और उनके दोस्त योहान वेस्कोट ने जर्मनी के वुपरटाल शहर में एक छोटी सी फैक्ट्री बनाई. फ्रीडरिष बायर एंड कंपनी नकली रंग बनाती थी. यारी दोस्ती से बनी दुनिया की सबसे बड़ी दवा कंपनियों में से एक बायर.
यह आलीशान घर है...
...जर्मन शहर वुपरटाल में. इसके मालिक फ्रीडरिष बायर ने यहीं से कंपनी की शुरुआत की और पास में कंपनी का मुख्यालय बनाया गया. फैक्ट्री में रंगों का उत्पादन किया जाता था जो उस वक्त बहुत महंगे थे.
यह तीन लोग...
...फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूर हैं. उस वक्त बायर के पास केवल तीन मजदूर रखने लायक पैसे थे. दाईं तरफ फैक्ट्री के पहले कर्मचारी हाइनरिश रिटर हैं. 20 साल बाद कंपनी में 300 से ज्यादा मजदूर काम करते थे. आज बायर में एक लाख से ज्यादा कर्मचारी हैं.
जब हैंगोवर हो...
...तो 100 साल पहले सुबह को फेनासेटिन ली जाती थी. यह रंगों के उत्पादन के दौरान बनने वाला रसायन है. फेनासेटिन का गलत इस्तेमाल होने का डर रहता है क्योंकि इससे शरीर और उत्तेजित हो जाता है.
तस्वीर तो ब्लैक एंड व्हाइट है...
...लेकिन इस फैक्ट्री में लाल रंग बनाया जाता था. 19वीं शताब्दी के अंत में बायर ये फैक्ट्रियां खरीदकर इनमें कंपनी के नए दफ्तर बनाने लगा. 1914 तक सभी महाद्वीपों में बायर के दफ्तर बन गए.
खांसी का इलाज...
...होता है हेरोइन से. डाइऐसेटाइल मॉर्फीन को भी बायर बनाने लगा. विज्ञापनों में इसे ब्लड प्रेशर, बुखार और फेफड़ों की बीमारी का इलाज बताया गया. पहले विश्व युद्ध में घायल सैनिकों को भी दर्द रोकने के लिए दिया गया. दूसरे विश्व युद्ध के बाद हेरोइन को ड्रग्स बताकर प्रतिबंधित कर दिया गया.
काला साया...
...नाजी शासन का. 1925 से बायर आईजी रंगों की कंपनी का हिस्सा बन गया, जिसने सिक्लोन बी का उत्पादन करने लगा. आउश्वित्स जैसे यातना शिविरों में इस रसायन से हजारों यहूदी कैदियों की हत्या की गई. बायर की फैक्ट्रियों में हजारों यहूदी कैदी मजदूरी करते थे.
बैक्टीरिया को मारो...
...पेनिसिलिन से. 1950 के दशक में दोबारा बायर आजाद हो जाता है और एलेक्जेंडर फ्लेमिंग की खोज पेनिसिलिन का इस्तेमाल बैक्टीरिया से होने वाली बीमारियों के लिए किया जाता है. टीबी, प्लेग और सिफिलिस, सब के लिए एक इलाज.
छोटी लड़की की हैं...
...बड़ी बड़ी आंखें. यह बायर का विज्ञापन था ड्रालोन नाम की टेक्सटाइल के लिए. 1959 की इस पत्रिका में दिखाया गया कपड़ा लेकिन अब केवल टेबल क्लॉथ या छतरियों के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
सिरदर्द को श्रद्धांजलि...
... देती है लेवरकूजन में बायर की यह इमारत. 1969 में चांद पर जाने वाले अपोलो मिशन में भी एस्पिरिन की पत्ती रॉकेट में साथ गई. 70 देशों में हर साल 11 अरब गोलियां बिकती हैं. लेकिन बच्चों के लिए यह गोली खतरे से खाली नहीं.
दो दोस्तों की कंपनी...
...150 साल पहले ड्राइंग रूम में बनी थी. अब यहां बायर का बड़ा परिसर है जो लेवरकूजन शहर की पहचान बन गया है. हर साल कंपनी बीमारी से 40 अरब यूरो का मुनाफा कमाती है.