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"गोरी लड़कियों को आसान शिकार समझते हैं पाकिस्तानी"

९ जनवरी २०११

इंग्लैंड के पूर्व मंत्री जैक स्ट्रॉ ने सेक्स अपराध को सीधे सीधे नस्ल से जोड़ दिया है, जिसके बाद उनकी चौतरफा आलोचना हो रही है. स्ट्रॉ ने कहा है कि पाकिस्तानी युवक इंग्लैंड की गोरी महिलाओं को आसान निशाना समझते हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/ dpa

लेबर पार्टी के सत्ता में रहते हुए गृह मंत्रालय देखने वाले स्ट्रॉ का बयान ऐसे वक्त में आया है, जब पाकिस्तानी मूल के दो युवकों को इंग्लैंड में सेक्स अपराध और बलात्कार जैसे मामलों के लिए सजा दी गई है.

शुक्रवार को 28 साल के मोहम्मद लियाकत और 27 साल के आबिद सिद्दीक को नॉटिंघम क्राउन कोर्ट ने बलात्कार और 12 से 18 साल की युवतियों के सेक्स उत्पीड़न के आरोप में सजा सुनाई है.

इसके बाद एक इंटरव्यू में स्ट्रॉ ने कहा कि उन्हें लगता है कि देश के कुछ हिस्सों में समस्या है, जहां पाकिस्तानी युवक जान बूझ कर गोरी लड़कियों को निशाना बना रहे हैं क्योंकि वे समझते हैं कि नैतिक आधार पर गोरी लड़कियां कमजोर होती हैं.

स्ट्रॉ ने कहा कि पाकिस्तानी युवक गोरी लड़कियों को "ईजी मीट" (आसानी से पाया जाने वाला शिकार) समझते हैं और उनका यौन उत्पीड़न करते हैं क्योंकि खुद उनके समुदाय की लड़कियों तक उनकी पहुंच नहीं हो पाती है.

पूर्व मंत्री का कहना है, "पाकिस्तानी पुरुषों के साथ एक खास समस्या जुड़ी हुई है. वे गोरी लड़कियों को निशाना बनाते हैं क्योंकि वे ऐसा करना आसान समझते हैं." स्ट्रॉ का कहना है कि यह लंबे अर्से से एक समस्या है और इस मुद्दे को नजरअंदाज किए जाने की कोई वजह नहीं है.

स्ट्रॉ के मुताबिक, "हमें पाकिस्तानी समुदाय के साथ इस पर खुल कर चर्चा करनी चाहिए कि क्यों पाकिस्तानी पुरुष इस तरह गोरी लड़कियों को निशाना बना रहे हैं."

जिन दो युवकों को सजा दी गई है, वे ऐसे ग्रुप के लीडर थे, जो डर्बी की सड़कों पर लड़कियों को फंसाते थे और उनका सेक्स उत्पीड़न करते थे. उन्हें सजा सुनाते हुए जज ने कहा कि वह नहीं मानते कि यह नस्ल से जुड़ा मामला है लेकिन हाल के दिनों में ऐसी घटनाओं की एक और कड़ी है, जिसमें एशियाई पुरुष और जवान लड़कियां शामिल हैं.

भारतीय मूल के ब्रिटिश सांसद कीथ वाज ने स्ट्रॉ की टिप्पणी पर कड़ा एतराज जताया है. वाज का कहना है कि कुछ घटनाओं के आधार पर पूर्व मंत्री पूरे नस्ल पर इलजाम लगा रहे हैं.

मुस्लिम युवाओं के ग्रुप रमजान फाउंडेशन के निदेशक मोहम्मद शफीक ने कहा कि यह कहना खतरनाक होगा कि ब्रिटेन में रहने वाले पाकिस्तानी युवक ऐसा कर रहे हैं. उन्होंने कहा, "मैं समझता हूं कि यह एक अपराध है और इसे अपराध की तरह ही देखा जाना चाहिए. कोई भी धर्म, समुदाय या नस्ल ऐसी बातों की इजाजत नहीं देता है. अगर कोई कहता है कि किसी खास समुदाय के लोग ऐसा करते हैं, तो यह एक बेहद भड़काने वाला बयान है."

मानवाधिकार संगठनों ने भी स्ट्रॉ को आड़े हाथों लिया है. मानवाधिकार कार्यकर्ता मैंडी सैंगारा का कहना है, "मैं समझती हूं कि जैक स्ट्रॉ के पास एक मुद्दा है. लेकिन वह इस दिन का इंतजार क्यों कर रहे थे, जब उनकी पार्टी विपक्ष में है, जब वे सत्ता में थे, तब क्यों नहीं कहा."

डर्बी के प्रशासनिक हलकों में भी स्ट्रॉ के बयान की निंदा की गई है.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल

संपादनः ओ सिंह