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गुरुवार को शाकाहारी बेल्जियम

२१ जनवरी २०१०

गुरुवार को सिर्फ़ शाकाहार पर लाइफ लाइन कार्यक्रम में दी गई जानकारी पर हमारे श्रोता कहते है-

https://p.dw.com/p/LcZD
तस्वीर: DW

मंगलवार को आपके द्वारा प्रस्तुत लाइफ लाइन काफी रोचक तथा पर्यावरण के प्रति समर्पित था. मांसाहार सेहत ही नहीं, पर्यावरण पर भी गंभीर असर डालता है. इस दिशा में बेल्जियम में गेन्ट शहर के निवासियों द्वारा गुरुवार को शाकाहार दिवस मनाने की परम्परा निश्चित रूप से स्वागत योग्य कदम हैं.

खोज कार्यक्रम में मानवीय राम यादव जी और उनकी सहयोगी टीम द्वारा सभी रिपोर्ट जानकारी पूर्ण, रोचक तथा सराहनीय लगी. विश्व की जनसंख्या तेज़ी से बढ़ रही है और सभी देशों की सरकारें इसे रोकने के लिए गर्भ निरोधक दवाओं के उपयोग पर जोर देती है, लेकिन इसके दुष्परिणामों ने सरकार और जनता के माथे पर चिंता की लकीर खींच दी है. अब सरकार को ऐसी पद्धति विकसित करनी चाहिए जो शरीर को हानि पहुँचाए बिना कारगर साबित हो.

मनीष रेडियो श्रोता क्लब, राघो राम, भोजपुर, बिहार

बेल्जियम के गेन्ट नगर में सप्ताह में एक दिन सिर्फ शाकाहारी भोजन के बारे में जो जानकारी दी, वे बहुत महत्वपूर्ण हैं. वैसे तो शाकाहारी भोजन स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के हित में है, फिर भी शाकाहार की तरफ आगे बढ़ने की बात एक अच्छा कदम है. इसका अधिक से अधिक प्रचार और प्रसार होना चाहिये.

विभा मालू, फतेहपुर, शेखावटी, राजस्थान

Indien Kaschmit Obst und Gemüse Markt in Srinagar
तस्वीर: AP

बेल्जियम के गेन्ट शहर में हफ़्ते में गुरुवार के दिन कैंटीनों और रेस्टोरेन्टों में शाकाहार दिन पालने के बारे में जानने को मिला, जो सुनने में काफी अच्छा लगा. सब्ज़ियां स्वाद और स्वास्थ्य के लिए अच्छी होती हैं, नॉनवेज़ कम खाने से प्रदूषण में कटौती होती है और हफ़्ते में एक दिन शाकाहारी होने से 250 जानवरों की जान बचती है, इन बातों से बेल्जियम में शाकाहार के प्रति जागरूक होती दिख रहीं है और ये काफी प्रसन्नता की बात लगी. मैं ते चाहता हूँ कि धीरे धीरे हफ़्ते में एक से ज्यादा दिन शाकाहार पालने के प्रयास होने चाहिए, जिससे जानवरों की जान अधिक दिनों तक बच पाएगी.

संदीप जावले, मारकोनी डीएक्स क्लब, पारली वैजनाथ, महाराष्ट्र

आपके द्वारा प्रस्तुत 19 जनवरी के लाइफ लाइन जिसमें बताया गया कि पर्यावरण की रक्षा के लिए बेल्जियम में एक नियम बनाया गया है कि हर मांसाहार के बदले केवल सब्ज़ियों का ही इस्तेमाल किया जाएगा और इससे 250 जानवरों की जान बच जाती है. काश भारत सरकार भी कोई ऐसा नियम बनाती.

हीरालाल प्रसाद सोनी, छपरा , बिहार

15 जनवरी को प्रसारित धड़कन कार्यक्रम में इन दिनों जर्मनी में जो भारतीय सर्कस दिखाई जा रहीं है उस पर विशेष चर्चा की गई. आज भी इंडिया के सर्कस की धूम विदेशों में है. इतनी अच्छी रिपोर्ट के लिए ओंकार सिंह जनोटी का शुक्रिया.

मधु देवी, सरन रेडियो श्रोता संघ, दुमर्सन छपरा बिहार