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गुजरात: सोशल मीडिया पर जारी है घमासान

१८ दिसम्बर २०१७

गुजरात विधानसभा चुनाव अब तक के सबसे हाईप्रोफाइल चुनावों में से एक है. देश के दोनों अहम राजनीतिक दलों ने प्रचार अभियान में आखिर तक कोई कसर नहीं छोड़ी. स्थानीय नेताओं से लेकर आलाकमान तक के लिए ये साख का सवाल बने रहे.

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Indien Wahlen in Gujarat
तस्वीर: Reuters/A. Dave

गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव नतीजों पर पूरे देश की नजर बनी रही. मतगणना के शुरुआती चरण से लेकर दिन चढ़ने तक सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं का तांता लगा रहा. सोशल मीडिया पर मोदी समर्थक और कांग्रेस समर्थकों ने बयानबाजी की झड़ी तो लगा ही दी साथ ही अपने नेताओं का बचाव करने से भी नहीं चूके. किसी ने इसे मोदी का जादू कहा तो किसी ने इसे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की परीक्षा बताया. टि्वटर पर सुबह से #गुजरात चुनाव, #चुनाव नतीजे, #हिमाचल प्रदेश चुनाव ट्रेंड करता रहा.

कांग्रेस पर जमकर निशाना साधने वाले भाजपा सांसद और अभिनेता परेश रावल यहां भी चुटकी लेने से नहीं चूके. रावल ने ट्वीट कर कहा, "राहुल गांधी का दो राज्यों में मिली हार के लिए मजाक नहीं बनाया जाना चाहिए. कोई भी नेता 100 फीसदी चुनाव नहीं जीत सकता. कुछ दिन पहले ही राहुल जी ने कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद का चुनाव इतने बड़े मार्जिन से जीता है. ऐसे में गुजरात चुनाव में मिली हार कोई बड़ी बात नहीं है."

गायक सोनू निगम ने ट्वीट कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा को बधाई दी लेकिन साथ में ये कहने से भी नहीं चूके कि सामान्य श्रेणी में आने वाला भाजपा का पारंपरिक वोट बैंक उससे खफा नजर आ रहा है. क्योंकि आरक्षण के चलते उन्हें नौकरियां नहीं मिल रहीं है. 

वंशवाद को लेकर आलोचना झेलती कांग्रेस के लिए ट्वीट कर कहा गया कि यह विकास की राजनीति की जीत है और वंशवाद की राजनीति की हार.

वहीं बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव ने ट्वीट कर कहा कि भाजपा की यह जीत एक षड्यंत्र के जरिये संभव हो सकी है और इस षड्यंत्र में चुनाव आयोग की अहम भूमिका है.

वहीं राहुल समर्थकों ने भी भाजपा को आड़े हाथों लिया. ट्वीट कर कहा गया कि राहुल गांधी का प्रचार अभियान असली मुद्दों से जुड़ा था. वहीं भाजपा का अभियान राहुल के धर्म, मणिशंकर अय्यर की डिनर पार्टी, अहमद पटेल को लेकर अटकलों पर आधारित था. लेकिन भाजपा जीत गई क्योंकि ध्रुवीकरण की राजनीति ने उनके पक्ष में काम किया है और यही सच्चाई है.

लोगों ने भाजपा के हिंदुवादी एजेंडे पर भी जमकर चुटकी ली. ट्वीट कर कहा गया कि अंतिम नतीजे जो भी हों, लेकिन भाजपा के जीत के प्रतिशत में आई कमी साफ बताती है कि गुजरात में भाजपा का हिंदुत्व एजेंडा अब बिखर रहा है.

इन चुनावों में हुई इस कांटें की टक्कर ने दोनों ही खेमों में उत्साह भर दिया है.