गीत, ढपली और ग्रैफिटी बने विरोध के हथियार
संशोधित नागरिकता कानून और प्रस्तावित नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एनआरसी) के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. बैनर, पोस्टर और ग्रैफिटी के जरिए छात्र अपनी बात सरकार तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं.
दीवारें बोलती हैं!
दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र कई दिन से मुख्य गेट के बाहर डटे हुए हैं. विरोध प्रदर्शनों में छात्रों ने क्रांतिकारी नारे के साथ ग्रैफिटी और बैनर बनाए हैं. जामिया के छात्र संशोधित नागरिकता कानून और एनआरसी के साथ-साथ कैंपस में कथित पुलिस ज्यादती का विरोध कर रहे हैं. छात्रों का कहना है कि अगर सरकार उनकी आवाज नहीं सुन सकती है तो दीवारें बोलेंगी.
बीजेपी पर वार
जामिया की दीवारों पर छात्रों ने इंकलाबी नारों के साथ-साथ बीजेपी के राजनीतिक 'एजेंडे' को भी उजागर करने की कोशिश की है. जामिया की एक दीवार पर छात्रों ने राम मंदिर, मूर्ति, मुस्लिम और गाय को बीजेपी का एजेंडा बताया है. ग्रैफिटी बनाने वाले छात्रों का कहना है कि इसके जरिए बहस की दशा और दिशा बदलेगी.
पोस्टर-बैनर बना हथियार
हिंदुस्तान जिंदाबाद, हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, आपस में सब भाई-भाई जैसे नारों के साथ दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. सीएए और जामिया के छात्रों पर पुलिस की कथित ज्यादतियों के विरोध में लोग अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं.
शायराना विरोध
दिल्ली में छात्रों के साथ अधिकार समूहों के सदस्य गीत, नारे, कविता, पोस्टर के साथ विरोध की आवाज बुलंद कर रहे हैं. कई बार विरोध प्रदर्शन में संविधान की प्रस्तावना के पोस्टर भी देखने को मिले. तस्वीर में एक प्रदर्शनकारी ने राहत इंदौरी के एक शेर की लाइन को विरोध का जरिया बनाया है.
असंतोष का कैनवास
प्रदर्शन में शामिल कई लोगों का आरोप है कि केंद्र सरकार संशोधित नागरिकता कानून के जरिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन कर रही है. हालांकि संसद में गृह मंत्री अमित शाह कह चुके हैं कि यह कानून आर्टिकल 14 समेत संविधान के किसी भी अनुच्छेद का उल्लंघन नहीं करता है.
'लाजिम है हम भी देखेंगे'
फैज अहमद फैज की मशहूर नज्म-'लाजिम है कि हम भी देखेंगे, वो दिन कि जिसका वादा है..' लिखे पोस्टर और बैनर के साथ सीएए के विरोध में लोग सड़कों पर उतरे. छात्रों का कहना है कि पुलिस उनकी हड्डी तोड़ सकती है लेकिन उनके विचारों को नहीं तोड़ सकती.
विरोध की ढपली
धरने और प्रदर्शनों में कई बार कला और रचनात्मकता आगे आ जाती है और हिंसा पीछे चली जाती है. छात्र अपनी रचनात्मकता के साथ विचार और अंसतोष जाहिर कर रहे हैं.
बाबा साहेब की तस्वीर के साथ प्रदर्शन
कई बार प्रदर्शनकारी तेज नारेबाजी और भाषणबाजी से दूर रहते हुए सिर्फ तस्वीरों के सहारे अपनी बात दुनिया तक पहुंचाने की कोशिश करते हैं. इस तस्वीर में एक प्रदर्शनकारी डॉ. आंबेडकर की तस्वीर के साथ सीएए का विरोध करता हुआ.
'हिंदुस्तां हमारा'
'हिंदी है हम वतन हैं, हिंदुस्तां हमारा' के पोस्टर के साथ एक प्रदर्शनकारी इस बात पर जोर देता है कि वह भी भारत देश का ही नागरिक है और इस देश पर भी उनके समुदाय के लोगों का उतना ही हक है जितना किसी और मजहब के लोगों का है.