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समाज

गांजे की लत का शिकार बनता पाकिस्तान

१८ दिसम्बर २०१७

रुढ़िवादी पाकिस्तान में इस्लाम के तहत हर तरह के नशे पर रोक है लेकिन देश में एक बहुत बड़ा तबका है जो गांजे की लत में अपना धन लुटा रहा है. देश में गांजे की लत की शिकार महिलाएं और किशोर बच्चे भी हैं.

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Pakistan Haschisch
तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Majeed

पेशावर के नियाज अली एक धार्मिक इंसान हैं. पांचों वक्त नमाज पढ़ने के अलावा अक्सर वो समय निकाल कर मस्जिद भी जाते हैं. हालांकि इसके बावजूद वो गांजे की लत से दूर नहीं हो पाते. बकौल नियाज ड्राइवर के रूप में वो जितना कमाते हैं उसका एक तिहाई इस नशे की भेंट चढ़ जाता है.

गांजे के साथ उनका रिश्ता किशोरावस्था के दिनों में दोस्तों के साथ एकाध कश लगाने से शुरू हुआ. 9 बच्चों का बाप बनते बनते ये कब लत में बदल गया इसका उन्हें भी पता नहीं लगा. अब वो कहते हैं, "यह एक पाक पौधा है. एक पाक नशा." नाम छिपाने का अनुरोध करते अली ने हुक्के में गांजे की पुड़िया डालते हुए कहा, "इसका नशा दूसरी बीवी की तरह है."

अली साफतौर पर मानते हैं कि गांजे का इस्तेमाल इस्लाम के खिलाफ है लेकिन फिर भी वो जोर देते हैं कि इसके फायदे भी हैं. उन्होंने कहा, "हम जानते हैं कि यह हराम है लेकिन यह एक नशा है इसमें किसी और का नुकसान नहीं होता." रुढ़िवादी पाकिस्तान में मुसलमानों के लिए शराब पीने पर सख्त मनाही है. शाम को विलासी तरीके से गुजारने का हर काम बंद दरवाजों के पीछे चोरी चुपके होता है, पर यहां का कुलीन वर्ग शराब का घूंट भरने से गुरेज नहीं करता. 

Pakistan Haschisch
तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Majeed

हैरानी इस बात से है कि बहुत से पाकिस्तानी खुले आम गांजा पीते हैं. काले रंग का गांजा यहां का पसंदीदा नशा है जो देश के कबायली इलाके और पड़ोसी अफगानिस्तान में उगाई जाने वाली भांग के पौधे से तैयार होता है.

इन जगहों पर कई सदियों से लोग गांजे का नशा करते हैं. इस्लाम के आने के बहुत पहले से यहां गांजा इस्तेमाल होता है. हिंदुओं के अथर्ववेद में इसके दवाई और रीति रिवाजों में इस्तेमाल का जिक्र मिलता है. 2013 में संयुक्त राष्ट्र के एक सर्वे के मुताबिक पाकिस्तान में 40 लाख से ज्यादा लोग गांजा पीते हैं जो यहां की आबादी का करीब 3.6 फीसदी है.

नशीली दवाओं के आदी लोगों का इलाज करने वाले एक संगठन के डॉक्टर परवीन आजम खान कहते हैं, "यह आंकड़ा बहुत कम है." पाकिस्तान में इसका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है लेकिन बहुत से लोग हैं जो इससे खुश नहीं हैं. पेशावर की मुख्य मस्जिद के इमाम मौलाना मोहम्मद तैयब कुरैशी कहते हैं, "गांजे के साथ कोई समझौता नहीं है." कुरैशी का कहना है कि कोई भी चीज जिससे नशा होता है और जो शरीर को नुकसान पहुंचाती है उसके लिए इस्लाम में साफ मनाही है. चरस की लोकप्रियता को वे कानून व्यवस्था में कमी का मामला मानते हैं.

सार्वजनिक स्वास्थ्य के विशेषज्ञ भी चेतावनी देते हैं कि उत्तर पश्चिम पाकिस्तान में सस्ते में मिलने वाला गांजा खासतौर से गरीब बच्चों के लिए नुकसानदेह है जो गरीबी और सालों से चली आ रही हिंसा की मुश्किलों का सामना करने के दौरान इसकी लत के शिकार होते हैं.

सिर्फ पुरुष ही नहीं महिलाएं भी इसका इस्तेमाल करती हैं. तीन बच्चों की अकेली मां महविश बताती हैं कि रोजमर्रा की जिंदगी में आने वाले तनाव से निपटने के लिए कभी कभी इसका इस्तेमाल आराम देता है. महविश (बदला हुआ नाम) कहती हैं, "आप गांजा इस्तेमाल कर सकते हैं जब आप अकेले हों, तब आप थोड़ा सा आराम से सोच सकते हैं." उनके परिवार के लोग उनकी इस आदत के बारे में नहीं जानते हालांकि 26 साल की महविश इसके फायदों का जिक्र करते हुए कहती हैं, "जब आप अच्छा महसूस करते हैं, सक्रिय रहते हैं और आपके चेहरे पर मुस्कान होती है तो कोई परवाह नहीं करता."

एनआर/एमजे (रॉयटर्स)