गर्भपात पर सख्त कानून क्यों?
दुनिया में अब भी कई ऐसे देश हैं जहां गर्भपात कराने पर रोक है. हाल के सालों में कई देशों ने इस बारे में अपने कानून को नरम किया है. लेकिन बाधाएं अभी बाकी हैं.
दुनिया में प्रजनन की उम्र वाली करीब नौ करोड़ महिलाएं ऐसे देशों में रहती हैं जहां गर्भपात कराने पर पूरी तरह प्रतिबंध है.
जिन देशों में गर्भपात विरोधी कड़े कानून हैं, वहां मातृत्व मृत्य दर नरम कानून वाले देशों के मुकाबले तीन गुना ज्यादा है. कड़े कानून वाले देशों में प्रति एक लाख जन्मों पर 223 माओं की मौत हुई, तो नरम कानून वाले देशों में यह आंकड़ा प्रति एक लाख 77 है.
गर्भ और बच्चे के जन्म के दौरान होने वाले जटिलताओं की वजह से दुनिया भर में 15 से 19 साल तक की लड़कियां बड़ी संख्या में मारी जाती हैं.
पिछले 25 सालों में लगभग 50 देशों ने गर्भपात कानूनों को उदार बनाया है. प्रजनन की उम्र वाली करीब 60 प्रतिशत महिलाएं ऐसे देशों में रहती हैं जहां मोटे तौर पर गर्भपात की इजाजत है.
कभी पूरी तरह कैथोलिक मान्यताओं पर चलने वाले आयरलैंड ने 2018 में एक जनमत संग्रह के बाद गर्भपात को कानूनी मान्यता दी. दो तिहाई मतदाताओं ने इसके हक में वोट दिया.
दक्षिण कोरिया के हाई कोर्ट ने अप्रैल में गर्भपात पर 65 साल से लगे प्रतिबंध को हटा दिया. अदालत के मुताबिक इस प्रतिबंध से महिलाओं के अधिकारों का हनन होता है.
हर साल दुनिया भर में करीब ढाई करोड़ असुरक्षित गर्भपात होते हैं और इनमें से ज्यादातर विकासशील देशों में होते हैं.
1990 के बाद से विकसित देशों में गर्भपात की दर 41 प्रतिशत गिर गई है जबकि विकासशील देशों में ये उतनी ही है.
अमेरिका के पांच राज्यों जॉर्जिया, ओहायो, केंटकी, मिसिसिप्पी और लुइजियाना में छह सप्ताह के बाद गर्भपात कराने पर प्रतिबंध है.