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गरीबी मिटाने के लिए अच्छी नौकरी जरूरी

७ नवम्बर २०१५

आठ साल पहले वित्तीय संकट शुरू होने के बाद से दुनिया भर में बेरोजगारों की संख्या बढ़कर 20 करोड़ हो गई है. 80 फीसदी कामगार फॉर्मल सेक्टर के बाहर काम करते हैं और उन्हें बेरोजगारी भत्ता या दूसरी सामाजिक सुरक्षा नहीं मिलती.

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तस्वीर: picture-alliance/Stephan Goerlich

सामाजिक सुरक्षा के अभाव में दुनिया के ज्यादातर गरीब लोगों के लिए बेरोजगारी कोई विकल्प नहीं है. उन्हें परिवार का पेट भरने के लिए कम आय और संभावनाओं वाली नौकरी करनी पड़ती है. वर्ल्ड बैंक के ताजा आंकड़ों के अनुसार हर रोज 1.25 डॉलर कमाने वाले अत्यंत गरीब लोगों की संख्या 1990 के 1.91 अरब से घटकर 2011 में 1.01 अरब रह गई है. और 2015 तक उसके गिरकर 83.55 करोड़ रह जाने का अनुमान है. लेकिन विश्व भर में कम होने वाले आर्थिक विकास और 2014 से कृषि उत्पादों की घटती कीमत के कारण इस उम्मीद के पूरा होने की संभावना संदेहपूर्ण है. 2008 के पहले का आधा दशक विकास के बावजूद पर्याप्त रोजगार पैदा करने में नाकाम रहा.

Indien Reifenrecyclinganlage
तस्वीर: Reuters/UNI

रोजगार के मौके

सिर्फ बेरोजगारों या योग्यता से कम दर्जे का रोजगार करने वालों की ही संख्या नहीं बढ़ रही, नौकरीशुदा लोगों की हालत भी खराब हो रही है. दुनिया भर में पिछले सालों में कर्मचारियों को थोड़ी सुरक्षा का अहसास देने वाले अनौपचारिक रोजगार या छोटे समय के कॉन्ट्रैक्ट सामान्य बात होते जा रहे हैं और पक्की नौकरियां दुर्लभ होती जा रही हैं. ऑउटसोर्सिंग और सब कॉन्ट्रैक्ट कारोबार जगत का हिस्सा बनता जा रहा है जो कामगारों के लिए बढ़ती असुरक्षा का कारण बनता जा रहा है. रोजगार के माहौल में यह बदलाव खासकर कम शिक्षा और हुनर वाली नौकरियों के लिए दुनिया भर में दिख रहा है.

Bildergalerie Verschrottung von alten Schiffen in Indien Gujarat
तस्वीर: Reuters/A. Dave

इन रुझानों को रोकने और बेरोजगारी कम करने की राष्ट्रीय कोशिशों का ज्यादा असर नहीं दिखा है. प्रतिस्पर्धी बने रहने की चाह में दुनिया भर में सरकारों और उद्यमों ने श्रम बाजार को लचीला बनाने के कदम उठाए हैं, श्रमिक अधिकारों में कटौती की है और इसके साथ कामगारों के लिए असुरक्षा बढ़ा दी है. इन सुधारों ने आर्थिक असुरक्षा और विषमता बढ़ाई है और इज्जत के साथ गुजारा करने वाले रोजगार की संभावना को नुकसान पहुंचाया है. वैश्विक रोजगार में सर्विस सेक्टर का हिस्सा कृषि क्षेत्र से ज्यादा हो गया है. रोजगार बाजार में उसका दबदबा है और वहां नौकरियां कम वेतन और जोखिम वाली हैं. नतीजतन विकसित देशों में बहुत से लोगों के लिए बेरोजगारी भत्ता सामाजिक अधिकार नहीं रह गया है.

Indien Frauenarbeit Symbolbild Internationaler Frauentag
तस्वीर: Anuwar Hazarika/AFP/Getty Images

सम्मानजनक नौकरी

गरीब कामगारों के लिए अच्छी नौकरी का लक्ष्य अभी भी दूर की कौड़ी है. यह लक्ष्य अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने 1999 में तय किया था और इसका मकसद था उत्पादक, फलप्रद और सुरक्षित रोजगार जिसमें कामगार को उचित वेतन मिले और परिवार को सामाजिक सुरक्षा. अच्छी नौकरी का मतलब संभावनाओं और बर्ताव की समानता के अलावा व्यक्तिगत विकास और सामाजिक समावेश भी है. यह लोगों को अपनी चिंताएं व्यक्त करने, संगठित होने और जिंदगी को प्रभावित करने वाले फैसलों में हिस्सेदार बनने का अधिकार देता है. उत्पादक रोजगार और अच्छी नौकरी को बढ़ावा देने वाली नीति में वेतन की विषमता को खत्म करना होगा और सबको समान अवसर की गारंटी करनी होगी.

Indien Arbeiter in einer Ziegelfabrik 12.01.2015
तस्वीर: Reuters/N. Chitrakar

इसी तरह मुश्किल और खतरनाक कामों में रोजगार की परिस्थितियों को नियमित रूप से सुधारना होगा. यह तभी संभव है जब सरकारें और गैर सरकारी उद्यम सामाजिक जिम्मेदारी उठाएं. बेहतर रोजगार के जरिये ही आर्थिक कामयाबी का फायदा और समृद्धि देशों के बीच और कामगारों के बीच उचित रूप से बांटा जा सकता है. गरीबी और भूखमरी के चक्रव्यूह से बाहर निकलने के लिए सम्मानजनक नौकरी सबसे अच्छा रास्ता है. इसे प्राथमिकता बनाए जाने की जरूरत है.

एमजे/आईबी (आईपीएस)