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गद्दाफ़ी के ग्राफ में एकीकृत अफ्रीका टॉप पर

३ फ़रवरी २००९

लीबिया के राष्ट्रपति कर्नल मुअम्मर गद्दाफ़ी, अफ़्रीकी संघ के नए अध्यक्ष चुने गए हैं. पद संभालते ही उन्होंने कहा कि वो एक वृहद अफ़्रीका यानी संयुक्त राज्य अफ्रीका के निर्माण के लिए काम करेंगे.

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गद्दाफ़ी अफ्रीकी संघ के अध्यक्षतस्वीर: picture-alliance/ dpa

गद्दाफी एक कद्दावर नेता रहे हैं. और अब उनकी छवि एक बदलते नेता की भी बनी है.ऐसा नेता जो अपने पुरानी टकराहटों को भुलाकर नई दोस्तियां करने का माद्दा रखता है. लेकिन क्या वो अपने इरादों में सफल हो पाएंगे.


भूख गरीबी और हिंसा से बेहाल अफ्रीकी देश इथोपिया की राजधानी आदिस अबाबा में एक भव्य रंगारंग और राजसी से दिखते समारोह में लीबियाई नेता मुअम्मर गद्दाफी को शहंशाओं का शहंशाह के खिताब के साथ नये पद पर ताजपोशी की गयी. पारंपरिक पोशाकों और निराली झांकियों के बीच अफ्रीका के कबाईली नेता और राजनैतिक दिग्गज समारोह में मौजूद थे. ये समारोह होता भी कुछ इस तरह है मानो किसी का राजतिलक हो रहा है. गद्दाफी अब अफ्रीकी संघ के नए चेयरमैन बन गए हैं. उन्होंने तंज़ानियां के राष्ट्रपति जकाया किकवेते से ये ज़िम्मेदारी ली.

Muammar Gaddafi
एकीकृत अफ्रीका का एजेंडातस्वीर: AP



समारोह में आए नेताओं से गद्दाफी ने कहा कि अगर उनके विचार के पक्ष में बहुमत रहा तो जुलाई में होने वाली अगली बैठक में वो एक संयुक्त महाद्वीपीय अफ्रीकी सरकार के गठन का प्रस्ताव पेश कर देंगे. यानी संयुक्त राज्य अमेरिका की तर्ज पर संयुक्त राज्य अफ्रीका. गद्दाफी ने कहा कि अगर इस प्रस्ताव को खारिज करने के लिए कोरम नहीं बना तो इसका मतलब प्रस्ताव सबको स्वीकार्य है.


गद्दाफी के इस प्रस्ताव को सेनेगल जैसे देशों का समर्थन हासिल है जिनका मानना है कि एकीकृत सरकार, अफ्रीकी महाद्वीप की ग़रीबी भुखमरी टकराहटों और समस्त बदहाली को खत्म करने में प्रभावी भूमिका निभा सकती है. लेकिन दक्षिण अफ्रीका जैसे दबदबे वाले देश इस विचार के ख़िलाफ़ हैं. वे मानते हैं कि ये विचार अव्यवहारिक और दूर की कौड़ी सरीखा है.और इससे सदस्य देशों की संप्रभुता ख़तरे में पड़ जाएगी.

आतंक के आरोपों से पीछा छुड़ाकर और सार्वजनिक रूप से इस मामले पर अपनी जवाबदेही दिखाकर गद्दाफी ने हाल के वर्षों में पश्चिम देशों से भी नज़दीकियां बढ़ायीं. अमेरिका से रिश्ते सुधरे हैं और फ्रांस जैसे यूरोपीय देशों में उनकी राजनैतिक कद काठी थोड़ा ऊंची हुई है.

Sudan ausgegrabene Schädel aus Massengrab
भूख और हिंसा के बीच फंसा अफ्रीकातस्वीर: AP


कुछ अरसा पहले यानी तीन दशकों तक गद्दाफी अरब एकता का नारा बुलंद किए हुए थे, लेकिन वहां उनकी दाल नहीं गली और अब उन्होंने एक अफ्रीका का नारा गढ़ा है. उनका कहना है कि अफ्रीका महाद्वीप मध्य पूर्व के देशों से उनकी भावनाओं के ज़्यादा नज़दीक है. लेकिन अफ्रीकी देशों ने भी इस मामले पर अभी किसी तरह की पहल नहीं की है, लिहाज़ा गद्दाफी का विचार फलीभूत होना कई नेताओं को ज़रा टेढ़ी खीर ही लगता है. फिल्हाल अफ्रीकी संघ ने किया ये है कि अपने आयोग को बदलकर प्राधिकरण बना दिया है. और उसे ज़्यादा शक्तियां दे दी हैं.