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खारी मिट्टी में भी झमाझम उगेगा नया गेहूं

१३ मार्च २०१२

वैज्ञानिकों ने गेहूं की एक ऐसी नस्ल की तैयार की है जो खारी मिट्टी में भी बेहतर पैदावार दे सकती है. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इससे तेजी से बढ़ती आबादी के लिए पर्याप्त मात्रा में गेहूं का उत्पादन किया जा सकेगा.

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खारी जमीन में भी होगी गेहूं की पैदावार ज्यादातस्वीर: AP

दुरूम गेहूं का जीन नमक के साथ भी बढ़ने में सक्षम है. साथ ही खारी मिट्टी वाले क्षेत्रों में भी यह सामान्य गेहूं की तुलना में 25 प्रतिशत अधिक पैदावार देने में सक्षम है. दुरूम गेहूं को लेटिन में ट्रटिकम टुरगीडम कहा जाता है. इसका इस्तेमाल पास्ता बनाने में किया जाता है.

ताकि यह गेहूं खारी मिट्टी में ज्यादा पैदावार दे सके, इसके लिए इस गेहूं एक में जीन खोजा गया है. दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया के एडलेड विश्वविद्यालय के मैथ्यु ग्लीम ने " इस जीन को टीएमएचकेटी1,5-ए नाम दिया है. यह जीन पौधे की जड़ों से पत्तियों तक पहुंचने वाले पानी से सोडियम को दूर करने में काफी मदद करता है." एक अध्ययन के दौरान यह भी देखा गया है कि कई देशों में गेहूं की पैदावार के लिए पारंपरिक तरीकों का ही इस्तेमाल किया जाता है. जेनेटिक इंजिनियरिंग के तरीकों का इस्तेमाल नहीं किया जाता.

बढ़ती वैश्विक आबादी, और जलवायु परिवर्तन के कारण 2050 तक दुनिया की 70 प्रतिशत आबादी की खाद्य जरूरतों को पूरा करने के लिए उत्पादन में बढोतरी करना बहुत जरूरी होगा.

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तस्वीर: AP

कई विकासशील देश पहले से ही उत्पादन समस्याओं का सामना कर रहे हैं. पूरी तरह सूखे या कम सूखे देशों में सबसे बड़ी समस्या खारे पानी की होती है. यहां जो पानी खेती में इस्तेमाल किया जाता है उसमें नमक की मात्रा बहुत ज्यादा होती है.

फ्रांस की विज्ञान पत्रिका के अनुसार वर्ल्ड वॉटर फोरम के पहले खेती की लिए पानी की जरूरत बड़ा मुद्दा होगा.

जनवरी में ब्रिटेन और जापान के वैज्ञानिक विशेष तरीकों का इस्तेमाल करके चावल के पौधों के लिए ऐसे जीन का प्रयोग करेगें जो नमक वाले क्षेत्रों में भी तेजी से पैदावार बढ़ा सके.

इसका सबसे अधिक लाभ जापान के उन क्षेत्रों को होगा जहां सुनामी के बाद समुद्र का खारा पानी भर गया है. उत्तरपूर्वी जापान की करीब 20 हजार हैक्टेयर जमीन पर भरे खारे पानी में चावल की खेती संभव हो सकेगी.

रिपोर्ट: एएफपी / जे.व्यास

संपादन : आभा एम

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