खाने जो जर्मनी की पहचान हैं
जर्मन केटरिंग कंपनी कंपास ने उन खानों की लिस्ट तैयार की है, लंच के समय कैफेटेरिया में जर्मन जिनका बेसब्री से इंतजार करते हैं. असल जर्मन खाने...
श्नित्सेल
मुर्गी या फिर किसी और तरह के मांस के टुकड़े को ब्रेड के चूरे में लपेट कर तला जाता है. इसे सलाद और सॉस के साथ परोसा जाता है. डॉयचे वेले कैफेटेरिया के शेफ हरमन म्युलर के मुताबिक यहां भी लोगों को सबसे ज्यादा श्नित्सेल का इंतजार रहता है.
करी वुर्स्ट
जर्मनी के कैफेटेरिया में सबसे ज्यादा बिकने वाले खानों में करी वुर्स्ट का नंबर दूसरा है. इसकी शुरुआत 1949 में बर्लिन में हुई थी. म्युलर का कहना है कि न चाहने पर भी उन्हें करी वुर्स्ट बेचना पड़ता है क्योंकि 1700 प्लेटों में करी वुर्स्ट 900 प्लेटें बिकती हैं.
स्पागेटी बोलोनेज
इतालवी नूडल डिश जर्मनी में बेहद पसंद की जाती है. नूडल के अलावा डिश में कीमा और टमाटर का सॉस होता है. जर्मनी के दफ्तरों में लगभग हर कैंटीन और केफेटेरिया में यह डिश हर रोज मिलती है.
हैमबर्गर, सॉसेज, सलाद और पिज्जा
जर्मनी में मांस बहुत शौक से खाया जाता है. हैमबर्गर और मीट बॉल्स को लिस्ट में चौथा स्थान मिला है. पांचवें स्थान पर उबले आलू से तैयार डिश और छठे पर सलाद के साथ चिकेन की डिश आती है. लिस्ट में पिज्जा सातवें स्थान पर है.
सीफूड
तली या भुनी हुई मछली भी जर्मन लोगों की पसंदीदा डिश है. म्युलर ने बताया कि उनके यहां हफ्ते में एक दिन मेनू में मछली जरूर होती है. जर्मन कैंटीनों में रोजाना 1.3 करोड़ लोग खाना खाते हैं और हर रोज कुल व्यवसाय 3.3 करोड़ यूरो का होता है.
शाकाहारी खाना
कंपास ने इस लिस्ट में शाकाहारी खानों को शामिल नहीं किया है. हालांकि डॉयचे वेले कैंटीन में हर रोज करीब 200 प्लेट शाकाहारी भोजन बिकता है. आस पास रहने वाले लोगों के अलावा अक्सर कंपनी छोड़ चुके लोग भी यहां सिर्फ खाना खाने आ जाया करते हैं.
मौसम के मुताबिक
कैफेटेरिया में दोपहर के खाने में अक्सर मौसम के मुताबिक डिश होते हैं. ठंड आते ही क्रिसमस के मशहूर पकवान मेज पर नजर आने लगते हैं. जैसे तली हुई बतख के साथ बंद गोभी के पत्ते.
मेनू की तैयारी
मेनू में ज्यादातर उन चीजों को जगह मिलती है जिनकी मांग ज्यादा होती है. खुद कंपास ग्रुप जर्मनी भर में हर रोज करीब 4 लाख प्लेट दोपहर का खाना कैंटीनों और कैफेटेरिया में बेचता है.
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