जर्मनी के बच्चों के खून में है बहुत सारा रासायनिक अवशेष
६ जुलाई २०२०आधुनिक विकास के साथ जिंदगी में रासायनिक पदार्थों का हस्तक्षेप बढ़ता गया है. आज रोजमर्रे में शायद ही कोई इलाका है जहां की कोई चीज रसायन से मुक्त है. फसल उगाने में, कीटनाशकों में, खाने की चीजों को ज्यादा समय तक रखने के लिए रसायनों का इस्तेमाल हो रहा है, कपड़े की सफाई और उसकी क्वालिटी बढ़ाने के लिए रसायनों का इस्तेमाल हो रहा है, बच्चों के खिलौने हों, कॉस्मेटिक्स हो या घर के पेंट्स, घर के बर्तन हों, कॉफी के कप, पानी की बोतल, तेल का डब्बा या कांटा चम्मच, हर कहीं प्लास्टिक, जिंदगी का कोई हिस्सा उससे अछूता नहीं.
जर्मनी की राष्ट्रीय पर्यावरण एजेंसी उमवेल्ट बुंडेसआम्ट के अनुसार बहुत से बच्चों के रक्त में दीर्घजीवी रसायनों के अवशेष हैं. एजेंसी के प्रमुख डिर्क मेसर ने चेतावनी दी है कि फ्लोरिनेटेड कार्बोक्सिलिक एसिड और पॉलीफ्लोरिनेटेड अल्कली वाले तत्वों के रसायनों से होने वाले नुकसान पर अभी बहुत ज्यादा शोध नहीं हुआ है. डिर्क मेसर ने कहा है कि जर्मन सरकार दूसरे यूरोपीय देशों के साथ मिलकर इन तत्वों पर जहां तक संभव हो रोक लगाने की कोशिश कर रही है. उनका कहना है कि एहतियात के तौर पर ये सही कदम है.
हर पांचवें बच्चे के खून में परफ्लोरोऑक्टेन एसिड
जर्मन पर्यावरण एजेंसी का कहना है कि ये रसायन कॉफी के कपों के बाहर या बाहर पहने जाने वाले जैकेटों पर इस्तेमाल किए जाते हैं ताकि वे पानी, गंदगी और वसा को रोक सकें. एजेंसी के अनुसार तीन साल से 17 साल की उम्र के बच्चों और किशोरों के बीच कराए गए अध्ययन में 21 प्रतिशत ब्लड सैंपलों में परफ्लोरिनेटेड कार्बोक्सिलिक एसिड की जो मात्रा मिली है वह उससे ज्यादा है जिसे विशेषज्ञों की एक समिति चिंतारहित मानती है. इन सैंपलों की जांच स्वास्थ्य पर हुए पर्यावरण अध्ययन के सिलसिले में की गई.
परफ्लोरिनेटेड और पॉलीफ्लोरिनेटेड अल्कली वाले तत्वों (PFAS) में 4,700 से ज्यादा रसायन शामिल हैं. ये प्राकृतिक रूप से पैदा नहीं होते और इंसानों के शरीर तथा पर्यावरण में संकेंद्रित होते हैं. वे माताओं द्वारा बच्चे को दूध पिलाने के दौरान ट्रांसफर किए जा सकते हैं. बच्चों से लिए गए ब्लड सैंपलों में सबसे ज्यादा परफ्लोरोरिनेटेड एसिड या परफ्लोरोऑक्टेनसल्फोनेट के रूप में मिला. इसका इस्तेमाल स्कॉचगार्ड में किया जाता था, जिसका कपड़े को सुरक्षित रखने और उस पर दाग न लगने लायक बनाने के लिए इस्तेमाल होता था. 2009 में इसे ऑर्गेनिक प्रदूषकों की सूची में शामिल कर दिया गया था. इन रसायनों की रक्त में बढ़ी हुई मात्रा टीके असर को कम कर सकती है, संक्रमित होने की प्रवृति बढ़ा सकती है, कोलेस्ट्रीन की मात्रा बढ़ा सकती है और जन्म के समय बच्चे का वजन कम होने की वजह बन सकती है.
रसायनों के स्रोत पर और रिसर्च की जरूरत
जर्मन पर्यावरण सर्वे के पांचवें चरण के दौरान जर्मनी में 3 से 17 साल के बच्चों और किशोरों पर PFAS के असर का अध्ययन किया गया. इसके लिए सैंपल 2014 से 2017 तक जुटाए गए. इस अध्ययन के लिए कुल मिलाकर 1,109 ब्लड प्लाज्मा सैंपलों में PFAS रसायनों के 12 प्रकारों का अध्ययन किया गया. सभी सैंपलों में परफ्लोरोऑक्टेन सल्फोनिक एसिड मिले जबकि ज्यादार सैंपलों में परफ्लोरोऑक्टेनोआइक एसिड पाया गया.
इस स्टडी में सबसे चिंता की बात ये है कि बच्चों और किशोरों के खून के सैंपलों में दोनों ही प्रकार के उन रसायनों के अवशेष भी मिले हैं जिनका इस्तेमाल अब नहीं होता. चूंकि अलग अलग लोगों के खून में इनका स्तर अलग अलग है, इसलिए रिसर्चरों का मानना है कि खाने या उपभोक्ता सामानों से आने वाले रसायनों के स्तर पर अलग से जांच की जरूरत है.
रिपोर्ट: महेश झा (डीपीए)
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