1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें
समाज

ताजमहल या तेजोमहालय शिव मंदिर?

फैसल फरीद
२१ मार्च २०१८

17वीं शताब्दी में बना, मोहब्बत की निशानी और दुनिया के अजूबों में शामिल ताजमहल अब समस्याओं से घिरता जा रहा है. ताजमहल पर कभी भीड़ का अत्यधिक दबाव, टिकट के मूल्यों में बढ़ोत्तरी, तो कोई न कोई विवाद सामने आता रहता है.

https://p.dw.com/p/2ugAY
Kate und William in Indien Taj Mahal
तस्वीर: picture-alliance/dpa

मुगल बादशाह शाहजहां द्वारा ताजमहल अपनी पत्नी मुमताज जहां की याद में बनवाया गया था. सन 1632 में इसका निर्माण शुरू हुआ और इसमें शाहजहां और मुमताज महल दोनों की कब्रें मौजूद हैं. ताजमहल अब भारत का सबसे महंगा पर्यटक स्थल हो चुका है. फिर भी यह सबसे ज्यादा कमाई वाला पर्यटक स्थल है. हजारो लोगों की आमदनी अब ताजमहल से जुड़ी है.

भारत सरकार ने पर्यटकों को सहूलियत के लिए कई कदम उठाए हैं लेकिन फिर भी आए दिन कोई न कोई दिक्कत सामने आ ही जाती है. विदेश का कोई राष्ट्राध्यक्ष हो या फिर आम विदेशी सैलानी, हर कोई चाहता है कि ताजमहल का दीदार एक बार जरूर कर ले.

पर्यटकों की बढ़ती भीड़

सबसे ज्यादा दिक्कत आ रही है पर्यटकों की रोज बढ़ती हुई संख्या पर. अब लगभग रोज 25-30 हजार लोग ताजमहल देखने आते हैं. सुरक्षा कारणों से जांच करके ही लोगों को अंदर जाने दिया जाता हैं. ऐसे में लंबी लाइन लग जाती है. एक बानगी देखिए, पिछले साल क्रिसमस और नव वर्ष के अवसर पर 40-50 हजार लोग पहुंच गए. भीड़ को संभालना मुश्किल हो गया और सैकड़ों लोग तय समय सीमा के अंदर प्रवेश नहीं पा सके.

ताजमहल सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच ही दर्शकों के लिए खुलता है. अभी भी वीकेंड और त्योहारों के अवसर पर भीड़ बढ़ जाती है. भारी भीड़ का दबाव इतना रहता है कि बहुत से लोग ठीक से घूम भी नहीं पाते. आमतौर पर एक साल में 70-80 लाख सैलानी ताजमहल घूमने आते हैं, जिनमें लगभग आठ लाख विदेशी होते हैं.

इस मामले पर कई मीटिंग्स हुई हैं. पुरातत्व विभाग ने कई जगह से रेलिंग हटा कर भीड़ का दबाव कम करने का प्रयास किया है. स्टेप टिकटिंग यानि ताजमहल के अंदर हर जगह का अलग टिकट करने और प्रतिदिन सैलानियों की संख्या निर्धारित करने पर भी सिर्फ विचार हुआ लेकिन अभी भी भीड़ संभालना मुश्किल रहता है. पुरातत्व विभाग के भुवन विक्रमा कहते हैं, "भीड़ होती है लेकिन अब किसी को रोका तो जा नहीं सकता. हम सब को आने देते हैं लेकिन क्राउड मैनेजमेंट करने की कोशिश रहती है, जैसे लाइन लगवाना और अंदर भीड़ को नियंत्रित करना."

टिकट के बढ़ते दाम

दूसरी दिक्कत रहती है टिकट खरीदने की. वैसे अब ऑनलाइन टिकट मिलने लगी है. लेकिन इधर टिकट के दाम बहुत बढ़ा दिए गए हैं. ताजमहल पर टिकट लगाना आज से 66 साल पहले शुरू हुआ. तब केवल 20 पैसे का टिकट था. तब से लेकर आज तक 10 बार टिकट के दाम बढ़ाए जा चुके हैं. अब तो भारतीयों के लिए अलग रेट और विदेशी सैलानियों के लिए अलग रेट हैं.

ताजमहल पर सबसे पहले 1966 में प्रवेश टिकट लगाया गया था. तब टिकट का मूल्य 20 पैसे था और यह इस वजह से लगाया गया था कि पर्यटकों की संख्या पता चल सके. उसके बाद साल 2000 में देशी और विदेशी पर्यटकों के टिकट के दाम अलग अलग कर दिए गए. इस वक्त भारतीयों के लिए 40 रुपये, विदेशियों के लिए 1000 रुपये और सार्क नागरिकों के लिए 530 रुपये का टिकट है. भुवन विक्रमा का कहना है कि टिकट के दाम में आगरा विकास प्राधिकरण का शुल्क भी शामिल है और पुराततव विभाग ने रेट नहीं बढ़ाये हैं. इतना टिकट होने पर भी सुविधाएं उच्चस्तरीय नहीं हैं. विदेशियों को एक पानी की बोतल और शू-कवर दिए जाते हैं. बढ़ती टिकट दरों पर अब विरोध के स्वर भी उठने लगने हैं.

ताजमहल परिसर में पर्यटकों को सैर करवाने वाले संजय शर्मा भी दुश्वारियों को लेकर खिन्न हैं. संजय रजिस्टर्ड गाइड एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं. उनका कहना है, "एक तो बैटरी बस जो पर्यटकों के लिए लगाई गयी थी, वह बहुत गंदी रहती है और उनकी संख्या भी कम है. इसके अलावा टिकट विंडो सूर्योदय से आधा घंटा पहले खुलती है और उसी टाइम उसमें सफाई होती है. इस वजह से टिकट बांटने में देर होती है और लंबी लाइन लग जाती है." पिछले 35 साल से गाइड के रूप में सेवा दे रहे संजय अभी भी ठगों से परेशान हैं. अभी तक इस ओर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया हैं.

ताजमहल पर अब प्रदूषण का भी असर होने लगा है. सफेद संगमरमर अब पीला पड़ने लगा है और यमुना के पानी की वजह से नीचे पत्थरों पर करी जमने लगी है. हालांकि पुरातत्व विभाग ने मिट्टी से इसको फेसलिफ्ट देने की कोशिश की है. ताज ट्रैपेजियम जोन में प्रदूषण वाली इकाई बंद कर दी गयी है. भुवन विक्रमा बताते हैं की ताज महल की मड थेरेपी की गयी थी और अब फिर आगे भी की जाएगी जिससे सफेदी बरकरार रहे.

ताजमहल और विवाद

ताजमहल भले ही मोहब्बत की निशानी माना जाता है लेकिन इसका विवादों से नाता रहता है. इधर कुछ दिनों से हिंदूवादी संगठन और नेता इसके तेजोमहालय शिव मंदिर होने का दावा करते हैं. इक्के दुक्के प्रयास वहां जा कर विरोध करने के भी हुए हैं. इससे पहले 2005 में उत्तर प्रदेश के सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष हाफिज मोहम्मद उस्मान ने ताजमहल के वक्फ प्रॉपर्टी होने का भी दावा किया था.

इधर कुछ दिनों से मुसलमान ताजमहल के अंसार स्थित लाल पत्थरों से बनी मस्जिद में शुक्रवार की नमाज पढ़ने को लेकर नाराज हैं. पुरातत्व विभाग ने केवल आगरा के निवासी मुसलमानों को ही शुक्रवार के दिन जुमे की नमाज की अनुमति दी है. मुसलमानों का कहना है कि मुसलमानों के बीच भेदभाव नहीं किया जा सकता और भारत का कोई भी मुसलमान नमाज पढ़ सकता है.

दूसरा, ताजमहल के दक्षिणी गेट से प्रवेश बंद कर दिया गया है. इससे नमाज पढ़ने जाने वाले मुसलमानों को दिक्कत होती है. पुरातत्व विभाग का कहना है कि ऐसा सुरक्षा कारणों से किया गया है. आगरा सर्किल के पुरातत्व विभाग के असिस्टेंट सुपरिंडेंडेंट आरके सिंह के अनुसार शुक्रवार को नमाज में केवल पारंपरिक लोगों को अनुमति है और बाहरी किसी को अनुमति नहीं है.

इससे पहले ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जब विदेशी नागरिक भी नमाज के बहाने अंदर प्रवेश कर गए. ताजमहल मस्जिद इंताजमियां कमिटी के चेयरमैन मुनव्वर अली का कहना है कि ऐसी रोक गलत है और सब भारतीय मुसलमानों को नमाज के लिए प्रवेश मिलना चाहिए. बताते चलें कि शुक्रवार को ताजमहल बंद रहता है और केवल 12 से 2 बजे दिन में खुलता है, जिसमे नमाज के लिए मुसलमानों को निःशुल्क प्रवेश मिलता है.

स्थानीय रोजगार

इतना सब होने के बावजूद भी ताजमहल अभी भी लाखों लोगों को रोजगार दे रहा है. होटल, रेस्तरां, टूरिस्ट गाइड, फोटोग्राफर, ट्रैवल एजेंट्स, हैंडीक्राफ्ट्स और तमाम तरह के लोग इससे जुड़े हुए हैं. मोहम्मद सलीम, ताजमहल के पास आर्टिफीशियल ज्वेलरी और पत्थरों की कलाकृतियों की एक छोटी सी दुकान चलाते हैं. सलीम के अनुसार ताजमहल की वजह से पर्यटक आते हैं और उनका रोजगार चल रहा है. लेकिन गाड़ियां ताजमहल से पांच सौ मीटर पहले खड़ी करवा लेने से दिक्कतें हैं.

पूरे आगरा में ताजमहल की वजह से रोजगार फैला है. गोकुलपुरी में पत्थरों के आइटम का थोक व्यापार होता है. यहां छोटी से बड़ी हर आकार की ताजमहल की आकृति मिलती है. देश भर में ऐसे आइटम यहीं से सप्लाई होते हैं. अगर ताजमहल न होता तो किसकी आकृति बनती!