क्यों खास है पाकिस्तान की जनगणना
दुनिया के छठे सबसे ज्यादा आबादी वाले देश पाकिस्तान में 19 सालों के बाद राष्ट्रीय जनगणना होने जा रही है. देखिए भारत के इस पड़ोसी देश की जनगणना से जुड़ी कुछ और खास बातें.
पहली बार ट्रांस सेक्शुअल लोगों को भी जनगणना में अलग से गिना जाएगा. यह समुदाय पाकिस्तानी समाज में काफी प्रताड़ित रहा है.
ट्रांस सेक्शुअल लोगों को देश की आाबादी में गिने जाने का आदेश कोर्ट से आया और इसके लिए नये सेंसस फॉर्म छपवाते समय तीसरी श्रेणी रखी गई है.
गणना का काम करने वालों को ट्रेनिंग में बताया जा रहा है कि फार्म में तीन खाने होंगे: 1- पुरुष, 2- महिला और 3- ट्रांस सेक्शुअल लोगों के लिए.
कई जाति-समुदायों वाले पाकिस्तान में कई भाषाओं के प्रचलन से भी विविधता का पता चलता है. अनुमान तो करीब 70 का है लेकिन केवल 9 भाषाएं ही सूची में हैं.
कम आबादी वाले गिलगिट-बाल्तिस्तान इलाके की क्षेत्रीय भाषा या गुजराती को भी सूची में नहीं रखा है. भारत से पाकिस्तान पहुंचे कई मुस्लिम प्रवासी गुजराती को साथ लाए थे.
जनगणना से धार्मिक अल्पसंख्यकों की सही तादाद का पता चलेगा, जैसे ईसाई और हिन्दू. करीब 20 लाख से 1 करोड़ ईसाइयों और 25 लाख से 45 लाख हिन्दुओं का अनुमान है.
नागरिक खुद को मुसलमान, ईसाई, हिन्दू या अहमदी धर्म को मानने वाला बता सकेंगे. अहमदी इस्लाम की ही एक शाखा हैं, जिन्हें राज्य विधर्मी मानता है.
इन मुख्य धार्मिक विकल्पों के अलावा कोई व्यक्ति अपने आपको "अनुसूचित जाति का सदस्य" भी बता सकता है. इनमें ज्यादातर हाशिये पर रहने वाले कुछ हिन्दू परिवार हैं.
पाकिस्तान के बाकी धर्म के लोगों को खुद को "अन्य" की श्रेणी में रखवाना होगा. सिखों, पारसियों या बहाई लोगों के लिए कोई श्रेणी जनगणना सूची में नहीं रखी गई है.
एक बॉक्स में यह जानकारी भी देनी है कि घर में कितने शौचालय हैं. यूएन के अनुसार अब भी करीब 40 फीसदी पाकिस्तानी लोग खुले में शौच जाते हैं.
सरकारी जनगणना में राष्ट्रीयता दर्ज कराने के लिए दो खाने हैं. पाकिस्तानी या विदेशी. लेकिन इसी के साथ पाकिस्तानी सेना भी गणना करवाएगी, जिसमें अफगानी शरणार्थियों के भी आंकड़े दर्ज होंगे.
अफगान शरणार्थियों पर पाकिस्तान में आतंकवाद फैलाने से लेकर तस्करी में शामिल होने तक के आरोप लगते हैं. स्थानीय लोगों को डर है कि अगर अफगानियों को स्थानीय माना गया तो इलाके की पश्तून पार्टियां मजबूत बनेंगी.
पाकिस्तान के करीब 60 लाख लोग बाहर के देशों में काम कर रहे हैं, जिन्हें जनगणना में शामिल नहीं किया जाएगा.