क्या हो गया महिलाओं के सबरीमाला दर्शन से
जैसे ही दो महिलाओं ने सबरीमाला में स्वामी अयप्पा के दर्शन किए, इसका विरोध करने वालों के प्रदर्शन भी हिंसक हो गए. उधर बराबर अधिकारों के हिमायती लाखों लोगों ने मानव श्रृंखला बनाकर जताया समर्थन.
भोर में चुपके से दर्शन
कई सदियों से 10 से 50 साल की महिलाओं को ब्रह्मचारी माने जाने वाले देवता अयप्पा के दर्शन करने की अनुमति नहीं थी. सन 1972 के एक कानून में भी यह प्रतिबंध दर्ज था, जिसे 2018 में एक बेहद उथल पुथल वाले मुकदमे के बाद हटा लिया गया. हालांकि परंपरावादी फिर भी इसका विरोध करते रहे और इसी लिए दो महिलाओं ने चुपचाप मंदिर में प्रवेश करने के लिए भोर का समय चुना.
जश्न और विरोध दोनों
जैसे ही महिलाओं के दर्शन की खबर आई, एक ओर महिला-पुरुष के बराबरी के अधिकारों के समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई तो दूसरी ओर इसका विरोध करते आ रहे परंपरावादियों ने अपना प्रदर्शन और तेज कर दिया. शांति स्थापित करने की कोशिश में पुलिस के साथ हुई झड़प में काफी हिंसा भी हुई. केरल में लेफ्ट फ्रंट की सरकार है, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए महिलाओं के संवैधानिक हक की रक्षा की बात कह रही है.
पुजारी लगे मंदिर के 'शुद्धिकरण' में
सबरीमाला मंदिर को महिलाओं के दर्शन की खबर के बाद थोड़े समय के लिए बंद कर दिया गया. बताया गया कि इस दौरान पुजारियों ने शुद्धिकरण की रस्में की क्योंकि उनका मानना है कि महिलाओं के अनचाहे प्रवेश के कारण मंदिर अशुद्ध हो गया. आधुनिक युग में महिलाओं को अछूत मान जब मंदिर दोबारा शुद्ध कर दिया गया, तो फिर पुरुष श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया.
श्रद्धा से हिंसा तक
सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश का विरोध करने वाले लोगों की केरल के कई शहरों में पुलिस के साथ झड़पें हुईं. केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी ने केरल की वामपंथी सरकार पर "हिंदू मंदिरों को नष्ट करने" की "साजिश" रचने का आरोप लगाया है. विरोध प्रदर्शन के दौरान चोट लगने से एक बीजेपी समर्थक की मौत की भी खबर है.
बराबरी की दीवार
विरोध प्रदर्शनों के हिंसक होने से ठीक पहले ही, केरल में ही लाखों महिलाओं ने 620 किलोमीटर (385 मील) लंबी मानव-ऋंखला बनाई और सबने साथ में भारत में लैंगिक बराबरी लाने की प्रतिज्ञा ली. (डार्को यानयेविक/आरपी)