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क्या है पाकिस्तान के ईशनिंदा कानून में

२ मार्च २०११

पाकिस्तान में पिछले साल नवंबर में चार बच्चों की मां ईसाई समुदाय की आसिया बीबी को मौत की सजा दी गई, जिसके बाद से ईशनिंदा कानून की चर्चा बढ़ी. इसी वजह से पंजाब के गवर्नर सलमान तासीर की भी हत्या हुई.

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आसिया बीबी के समर्थन मेंतस्वीर: picture alliance/dpa

17 करोड़ की आबादी वाले पाकिस्तान में इस विवादित कानून की मुख्य बातें -

इस कानून की जड़ें 19वीं सदी के ब्रिटिश साम्राज्य के नियमों पर आधारित हैं. लेकिन 1980 के दशक में जियाउल हक के राष्ट्रपति बनने के बाद इसे एक बार फिर बढ़ा चढ़ा कर पेश किया गया.

इस कानून के तहत कोई भी इस्लाम या पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ बोलेगा, तो उसे मौत की सजा दी जाएगी. अगर मौत की सजा नहीं दी जाती है तो इस व्यक्ति को या तो आजीवन कारावास झेलना पड़ेगा और साथ ही जुर्माना देना पड़ेगा.पाकिस्तान की जनसंख्या में से 4 प्रतिशत ईसाई नागरिकों का कहना है कि इस कानून से उन्हें नुकसान होता है. उनका कहना है कि कई बार इस कानून से संबंधित शिकायतें निजी दुश्मनी में बदला लेने के लिए की जाती है.

Pakistan Gouverneur Salman Taseer ermordet
पंजाब के गवर्नर तासीरतस्वीर: DW

अल्पसंख्यको को परेशानी

ब्लास्फेमी लॉ या ईशनिंदा कानून के तहत कम ही लोगों को मुजरिम ठहराया गया है. मौत की सजा को आज तक लागू नहीं किया गया है लेकिन गुस्से में आए लोगों ने ईशनिंदा के आरोपी व्यक्तियों को मार डाला है. 2009 में पंजाब के गोजरा गांव में 40 घरों और एक गिरजाघर में आग लगा दी गई थी. सात ईसाइयों को जला कर मार दिया गया था. इस मामले में रिपोर्टें आई थीं कि कुरान की उपेक्षा की गई है जिसके बाद पुलिस ने तीन ईसाई नागरिकों के खिलाफ ईशनिंदा के तहत शिकायत दर्ज कर दी थी. पिछले साल जुलाई में दो ईसाई भाइयों को फैसलाबाद शहर में बंदूकों से मार दिया गया क्योंकि उन पर आरोप थे कि उन्होंने पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ आपत्तिजनक पत्र लिखे थे. सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस कानून के तहत आरोप और शिकायते ही आरोपियों के लिए मौत की सजा के बराबर है.

कानून अभी कायम रहेगा

इस कानून को खारिज करने की बात कई बार की गई है लेकिन हर बार सरकार को धार्मिक रूढ़िवादियों की आलोचना का सामना करना पड़ा है. वर्तमान सरकार इस मुद्दे पर बहस करने से भी इनकार कर रही है. उसका कहना है कि इस कानून को खारिज करने से उग्रपंथियों को आतंकवाद फैलाने का एक और बहाना मिल जाएगा. इस्लामी पार्टियों ने भी कानून को बदलने से इंकार किया है, उनका कहना है कि इससे देश के इस्लामी ढांचे को नुकसान पहुंचेगा. पार्टी समर्थकों ने लगातार सड़कों पर प्रदर्शन किए हैं और कहा है कि कानून केवल उनकी 'लाश पर' लागू किया जा सकता है. दिसंबर में ही तालिबान के करीब माने जाने वाले एक धर्मशास्त्री ने एक ईसाई महिला आसिया बीबी नाम की एक महिला को मारने के लिए लगभग 6,000 डॉलर के इनाम की घोषणा की थी. आसिया बीबी पर भी उनके गांव में रह रही महिलाओं ने ईशनिंदा कानून के तहत आरोप लगाए थे. उन्हें मौत की सजा सुना दी गई है. आसिया बीबी का पक्ष लेने पर पंजाब के गवर्नर सलमान तासीर को मार दिया गया था. अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री शहबाज भट्टी की हत्या के पीछे भी इसी कानून के समर्थकों का हाथ माना जा रहा है.

रिपोर्टः रॉयटर्स/एमजी

संपादनः उ भ

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