क्या ताजमहल का रंग बदल रहा है?
४ मई २०१८इसी हफ्ते अदालत में सुनवाई के दौरान पर्यावरण वकील एमसी मेहता ने दलील दी कि प्रदूषण और कीटों के मल की वजह से 17वीं सदी की यह इमारत अपनी रंगत खो रही है. सुनवाई के दौरान जज ने कहा, "पैसे की कोई बात नहीं है, हम भारत के या विदेश के विशेषज्ञों को भी काम पर लगाने का आदेश दे सकते हैं. हमें इसे बचाना होगा." सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और उत्तर प्रदेश की सरकार के अधिकारियों से इस बारे में योजना तैयार करके रिपोर्ट पेश करने को कहा है.
मुगल शहंशाह शाहजहां ने अपनी प्रिय बेगम की याद में इसे बनवाया था लेकिन बीते सालों में यह लगातार अपनी चमक खो रहा है.
देश में स्मारकों के रखरखाव का जिम्मा संभालने वाले पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने इसके कुछ हिस्सों पर एक खास तरह की मिट्टी का लेप लगाया है. मिट्टी जब हटाई जाती है तो यह अपने साथ पत्थरों पर लगे मैल को भी अपने साथ हटा देती है. हालांकि मामले को अदालत लेकर जाने वाले वकील एमसी मेहता का कहना है कि इसे बचाने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए गए हैं. मेहता का कहना है, "सफेद चमक लुप्त हो रही है और उसकी जगह हरे, भूरे और दूसरे रंग ...नजर आ रहे हैं, तो इसकी क्या वजह है? इसकी वजह है कि प्रदूषण खतरनाक स्तर तक जा पहुंचा है."
दुनिया भर के सैलानी ताजमहल को देखने आते हैं और मशहूर हस्तियों में भी इसके सामने खड़े हो कर तस्वीर खिंचवाने की बड़ी ललक रहती है. पूरे चांद की रातों में इसकी चमक देखने के लिए तो लोगों में होड़ मच जाती है. हालांकि इसकी चमक पर बीते कई दशकों से प्रदूषण की छाया पड़ने लगी है.
आगरा उत्तर भारत का एक औद्योगिक केंद्र है और यह शहर भारी प्रदूषण की चपेट में है. हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनिया के सबसे अधिक प्रदूषित 15 शहरों की जो सूची जारी की है उनमें आगरा समेत भारत के 14 शहर हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि वायु प्रदूषण और कीटों के झुंड का प्रजनन ताज पर हरे, पीले और काले धब्बे बना रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों से ताज की सुरक्षा के लिए आस पास के इलाकों से फैक्ट्रियों को बंद करने का आदेश दिया था. एमसी मेहता का कहना है कि अधिकारियों ने इस दिशा में हुई कार्रवाई की कोई रिपोर्ट कोर्ट को नहीं सौंपी.
ऐतिहासिक शहर आगरा में प्रदूषण का हाल देखने के लिए बहुत मेहनत नहीं करनी होगी. यमुना के किनारे बसे होने के बावजूद इस शहर का पानी बिल्कुल खारा हो चुका है. यमुना नदी गंदे नाले में तब्दील हो चुकी है और शहरीकरण के विस्तार ने इसका दम घोंटने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है. रही सही कसर यहां की फैक्ट्रियों ने पूरी कर दी है. ऐसे हाल में ताजमहल आखिर कब तक अपनी चमक बचाए रखेगा?
एनआर/ओएसजे (एपी)