क्या जिंदगी की जंग जिता सकेगी जापान की जेल
१५ मार्च २०१८तस्वीर में नजर आ रहा यह बुजुर्ग व्यक्ति 92 साल का है. शरीर कमजोर हो गया है इसलिए यह ध्यान रखा जाता है कि बरामदे में सनबाथ लेते वक्त ये अपने ऊपर कोई दवाब न डाले. इनके जैसे दर्जनों लोगों को यहां ट्रेनर अपने आदेश में "दवाब न डालने" की सलाह देते हैं. लेकिन खास बात यह है कि ये बुजुर्ग अपने घर, अस्पताल या किसी आश्रम में नहीं रह रहे हैं बल्कि जेल की सलाखों के पीछे हत्या और बलात्कार जैसे गंभीर अपराधों की सजा काट रहे है. जापान के तोकोशिमा जेल प्रशासन ने अपने बुजुर्ग कैदियों के लिए कुछ अलग ही व्यवस्था की है.
राजधानी टोक्यो से करीब 520 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह जेल बुजुर्ग कैदियों के लिए तैयार की गई है. इन्हें परेशानी न हो इसलिए प्रशासन ने जेल की एक इमारत को घर में तब्दील कर दिया गया है. कोशिश है कि बुजुर्ग कैदियों की बढ़ती संख्या का कम किया जा सके. क्योंकि बुजुर्ग कैदियों की संख्या में एक बड़ा हिस्सा अपराध को दोहराने वाले कैदियों का है.
साल 2016 के आंकड़ों मुताबिक, जापान में पिछले एक दशक के दौरान 60 साल या इससे अधिक उम्र के कैदियों की संख्या में तकरीबन 7 फीसदी इजाफा हुआ है. आज जापान के कुल कैदियों में 19 फीसदी बुजुर्ग कैदी हैं. यह आंकड़ा अमेरिका में 6 फीसदी और दक्षिण कोरिया में 11 फीसदी है.
विशेषज्ञ मानते हैं कि जब ये बाहर जाते हैं तो इन्हें नौकरी खोजने में परेशानी होती है साथ ही यह अनिश्चिताओं में संभल नहीं पाते और अपराध कर बैठते हैं. इसलिए इनमें सुधार की यह कोशिश की जा रही है. इसी जेल में बंद में 81 वर्षीय एक कैदी ने बताया कि उसे दिल की समस्या है और जेल में काम करते हुए वह कई बार गिर जाता था. इस कैदी को एक टैक्सी ड्राइवर की हत्या करने के चलते उम्र कैद की सजा मिली है. लेकिन इसकी बीमारी के चलते अब इसके साथ आम कैदियों की तरह सलूक नहीं होता.
उम्रदराज दोषियों के लिए बनाई गई घरनुमा जेल में ये कैदी आराम करते हैं, तो कुछ कागज की चीजों को बनाने जैसे हल्के काम. वहीं इनके लिए वकर्स भी लगे हैं जो नूडल्स और अन्य खाना तैयार करते हैं. खाना भी बुजुर्ग लोगों की समस्याओं को ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है. इस आधुनिक और सुविधायुक्त जेल में एक केयरटेकर भी है जो बुजुर्गों की सेवा करता है साथ ही इन्हें अस्पताल भी ले जाता है.
जापान के न्याय मंत्रालय मुताबिक उसे ऐसे कदमों की कोई जानकारी नहीं है क्योंकि ऐसे निर्णय जेल अपने स्तर पर ले सकती है. हालांकि जापान की अन्य 13 जेलों में इस तरह की सुविधाएं नहीं है. लेकिन अब कुछ जेलें इस ओर कदम उठा रही हैं. तोकुशिमा जेल में कैदियों का ख्याल रखने वाले डॉक्टर कहते हैं कि वे बस ये सुनिश्चित करना चाहते हैं कि ये बुजुर्ग एकदम स्वस्थ्य रहें. डॉक्टर कहते हैं कि इन बुजुर्ग कैदियों को अपनी रिहाई का इंतजार है और हम चाहते हैं कि ये अच्छी सेहत के साथ जेल को अलविदा कहें.
लेकिन बुजुर्गों के लिए आम जीवन में लौटना मुश्किल भरा होता है. आंकड़ें बताते हैं कि 65 या इससे अधिक उम्र के कैदी अमूमन आजादी के दो साल बाद किसी न किसी वजह से वापस जेल आ जाते हैं. डॉक्टर कहते हैं कि अगर व्यक्ति जवान होता है तो उसके लिए आम जीवन में लौटना आसान होता है. लेकिन अब ये पहल इनकी परेशानियों को कम कर सकती है. क्योंकि अब उन्हें सजा के दौरान ही पता चल रहा है कि वे आम जीवन में कैसे रह सकते हैं. लेकिन कइयों को ये भी डर सताता है कि उन्हें तकनीक का कोई ज्ञान नहीं है ऐसे में बाहर जीवन इनके लिए मुश्किल भरा हो सकता है.
एए/ओएसजे (रॉयटर्स)