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क्या चाइल्ड पोर्न से लड़ने में एक रोड़ा है एन्क्रिप्शन

२७ जनवरी २०२०

भारत की एक संसदीय समिति ने सिफारिश की है कि बच्चों की अश्लील तस्वीरें और वीडियो को इंटरनेट पर फैलने से रोकने के लिए एजेंसियों को एन्क्रिप्शन को तोड़ने की आजादी दी जाए.

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Symbolbild  Kinderpornografie
तस्वीर: Imago Images/C. Ohde

एक संसदीय समिति ने कहा है कि भारत में बच्चों की पोर्नोग्राफी से लड़ने के लिए पुलिस और उस जैसी अन्य संस्थाओं को सोशल मीडिया सेवाओं पर एक सिरे से दूसरे सिरे तक एन्क्रिप्शन को तोड़ने की आजादी होनी चाहिए. समिति का कहना है कि बच्चों की अश्लील तस्वीरें और वीडियो को इंटरनेट पर फैलाने वालों को पकड़ने के लिए यह जरूरी है. समिति के सदस्य गूगल, ट्विटर, फेसबुक और व्हाट्सऐप जैसी सोशल मीडिया कंपनियों के अधिकारियों से मिले और उनसे बातचीत करके एक रिपोर्ट तैयार की जिसे कई मंत्रालय भविष्य में नीतियां और कानून बनाते समय ध्यान में रखेंगे. 

चाइल्ड पोर्नोग्राफी के बारे में समिति ने 21 पन्नों की इस रिपोर्ट में कहा है, "ये हमारी सामूहिक अंतरात्मा के लिए एक चुनौती है." समिति ने मांग की है कि एजेंसियों को एन्ड-टू-एन्ड एन्क्रिप्शन को तोड़ने की इजाजत दी जाए ताकि बच्चों के खिलाफ इस तरह के जघन्य अपराध करने वालों को पकड़ा जा सके. समिति का कहना है कि एक बार एजेंसियों को पता चल जाए कि इस तरह की तस्वीरें या वीडियो सोशल मीडिया के जरिये साझा की गई हैं, फिर उन्हें ये इजाजत होनी चाहिए कि इस तरह के संदेश को सबसे पहले भेजने वाले का पता लगाया जा सके.

समिति की यह सिफारिश ऐसे समय में आई है जब केंद्र सरकार इंटरनेट पर अवैध सामग्री के खिलाफ कदम उठाने के लिए सोशल मीडिया कंपनियों को मजबूर करने के नियम बना रही है. फेसबुक के स्वामित्व वाले व्हाट्सऐप का पहले से ही भारत सरकार के साथ मतभेद चल रहा है. सरकार व्हाट्सऐप पर लगातार दबाव बना रही है कि वो संदेश सबसे पहले भेजने वाले की पहचान करने में सरकार की मदद करे. पिछले कुछ सालों में व्हाट्सऐप पर आरोप लगे हैं कि उसके संदेशों के जरिये फैली अफवाहों की वजह से भीड़ द्वारा पीट-पीट कर मार देने की कई घटनाएं हुईं. 

40 करोड़ उपभोक्ताओं के साथ भारत व्हाट्सऐप के लिए सबसे बड़ा बाजार है. कंपनी का कहना है कि उपभोक्ताओं की निजता को सुरक्षित रखने के लिए वह एन्ड-टू-एन्ड एन्क्रिप्शन प्रदान करता है जिसके कारम किसी संदेश को खुद कंपनी भी नहीं पढ़ सकती और ना ही उपभोक्ता के अलावा कोई और पढ़ सकता है. समिति की सिफारिश के बारे में तकनीकी उद्योग से जुड़े एक सूत्र ने पहचान गुप्त रहने की शर्त पर कहा, "अगर कोई कंपनी चाइल्ड पोर्न को रोकने के लिए इस तरह के एन्क्रिप्शन को तोड़ने का प्रस्ताव देती है तो हर एजेंसी उससे यही मांग करेगी. ये सुरक्षित सीमाओं को खोल देने जैसा है".

समिति ने यह सिफारिश भी की है कि इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को सक्रिय रूप से इस तरह की सामग्री पर निगरानी रखने के लिए, उसे हटाने के लिए और उसके बारे में एजेंसियों को बताने के लिए बाध्य कर देना चाहिए. समिति ने ये भी कहा कि इंटरनेट पर सर्च वेबसाइटों को खुद ही चाइल्ड पोर्न ढूंढ़ने की गतिविधि को ब्लॉक कर देना चाहिए. इसके आलावा समिति चाहती है कि नेटफ्लिक्स जैसी वीडियो स्ट्रीम करने वाली वेबसाइटों और ट्विटर और फेसबुक जैसी सोशल मीडिया वेबसाइटों पर व्यस्क हिस्से भी होने चाहिए जिनका नाबालिग बच्चे इस्तेमाल ना कर सकें.

अमेरिका के नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लोइटेड चिल्ड्रन का कहना है कि 1998 से 2017 के बीच, भारत से बच्चों की अश्लील तस्वीरें और वीडियो इंटरनेट के द्वारा भेजे जाने के 38 लाख मामले सामने आए, जो कि पूरी दुनिया में इस तरह का सबसे बड़ा आंकड़ा है. 

सीके/आरपी (रायटर्स)

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