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क्या क्या जलेगा ईरान और अमेरिका के बीच सुलग रही आग में

७ जनवरी २०२०

ईरान के इस्लामिक सुरक्षा बल के नेता ने अमेरिका समर्थित इलाकों को जला कर राख कर देने की धमकी दी. वहीं अमेरिका ने सुरक्षा परिषद की बैठक में भाग लेने के लिए ईरान के विदेश मंत्री को नहीं दिया वीजा.

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Iran Begräbnis von General Soleimani in Kerman
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Tasnim News Agency/E. Kouchari

ईरान के विशिष्ट सुरक्षाबल इस्लामिक क्रांतिकारी रक्षक दल के नेता ने जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या के बदले अमेरिका के समर्थन वाले ठिकानों को आग लगाने की धमकी दी है. जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या के बदले में ईरान द्वारा प्रति-हिंसा की आशंकाओं के बीच, ईरान के इस्लामिक क्रांतिकारी रक्षक दल (आईआरजीसी) के मुखिया के इस बयान के बाद उनके समर्थकों की भीड़ ने "इस्राएल को मौत दो" के नारे लगाए.

हुसैन सलामी ने यह शपथ सुलेमानी के गृह-नगर केरमान में एक केंद्रीय चौराहे पर हजारों लोगों की भीड़ के सामने ली. माना जा रहा है कि उनकी यह धमकी देश के सबसे बड़े नेता अयातोल्लाह अली खमेनेई समेत सभी वरिष्ठ ईरानी नेताओं से लेकर  पूरे देश में फैले उनके समर्थकों की मांग का प्रतिबिंब है. सुलेमानी की हत्या के बदले में अमेरिका के खिलाफ पलटवार करने की मांग ईरान के लगभग हर समुदाय ने की.

इसी बीच, ईरान के संसद ने एक बिल पारित कर वाशिंगटन के पेंटागन में स्थित अमेरिकी सेना की कमान को और उसकी ओर से कदम उठाने वाले लोगों और संस्थाओं को "आतंकवादी" घोषित कर दिया, जिन पर ईरान के प्रतिबंध लागू होंगे. इस निर्णय के लिए एक विशेष प्रक्रिया को अपनाया गया और उसके जरिए फटाफट बिल को कानून में बदल दिया गया.

Irans Außenminister Mohammad Javad Zarif
ईरान के विदेश मंत्री जरीफ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में हिस्सा लेने अमेरिका जाने वाले हैं.तस्वीर: picture-alliance/V. Flauraud

सुरक्षा परिषद की बैठक में ईरान का पक्ष

दूसरी ओर, अमेरिकी मीडिया में खबर आई है कि अमेरिका ने ईरान के विदेश मंत्री  मोहम्मद जावेद जरीफ को वीजा नहीं दिया. उन्हें अमेरिका में होने वाली सुरक्षा परिषद की बैठक में हिस्सा लेने जाना था और जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या के बाद उस पर यह पहली चर्चा होती. संयुक्त राष्ट्र के मिशन का कहना है कि उनके पास ऐसी जानकारी नहीं है कि अमेरिका ने ईरान के विदेश मंत्री को वीजा नहीं दिया. मिशन के मुताबिक जरीफ ने कई हफ्ते पहले अमेरिका जाने के लिए वीजा आवेदन भरा था, लेकिन इसका क्या हुआ इसकी जानकारी अब तक नहीं आ पाई है. ईरान के यूएन मिशन ने कहा, "हमने मीडिया रिपोर्ट्स को देखा है लेकिन आधिकारिक तौर पर अमेरिका या संयुक्त राष्ट्र की ओर से जानकारी नहीं मिली है."

तीन जनवरी को अमेरिकी ड्रोन हमले में मारे गए जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या के बाद ईरान के विदेश मंत्री जरीफ के लिए यह पहला मौका होता जब नौ जनवरी को होने वाली संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वह ईरान का पक्ष रखते. ईरान के संयुक्त राष्ट्र के दूत माजिद तख्त रवांची ने सुरक्षा परिषद से सुलेमानी की हत्या की निंदा करने को कहा है. माजिद ने यूएन से अमेरिका की एकतरफा कार्रवाइयों पर अंकुश लगाने का अनुरोध किया है. माजिद ने कहा, "सुलेमानी की हत्या राष्ट्र के आतंकवाद का नमूना है. संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अंतरराष्ट्रीय कानून के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन है."

ईरान बदला लेने की फिराक में

जरीफ का वीजा खारिज होने की खबरों के बीच छह जनवरी को पेंटागन ने अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के उस दावे से दूरी बना ली जहां ट्रंप कहा था कि अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के बावजूद अमेरिकी सेना ईरानी सांस्कृतिक स्थलों को निशाना बना सकती है. अमेरिका के रक्षा सचिव मार्क एस्पर ने ट्रंप के बयान के उलट कहा कि अगर ईरान के साथ पहले सैन्य संबंध रहे हैं तो अमेरिका "सशस्त्र संघर्ष के कानूनों" का पालन करेगा.

इस पूरे घटनाक्रम पर नजर रखने वालों की मानें तो सुलेमानी की हत्या के बाद ईरान अमेरिका को करारा जवाब देने की फिराक में है. इससे दोनों देशों के बीच सैन्य टकराव हो सकता है. ईरानी अधिकारियों ने अमेरिका से बदला लेने की कसम खाई है. हालांकि यह स्पष्ट नहीं है यह बदला लिया कैसे जाएगा. सुलेमानी की हत्या के बाद ट्रंप की धमकी पर ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने ट्विटर पर चेतावनी देते हुए लिखा: "कभी भी ईरानी राष्ट्र को धमकी मत देना." रूहानी ने उस घटना का भी जिक्र किया जब ईरान की एयरलाइन पर अमेरिका की वॉरशिप ने हमला किया था. इस हमले में 290 लोगों की मौत हो गई थी.

Symbolbild: USA ziehen Truppen aus dem Irak ab
इराक में तैनात अमेरिकी सेना को वहां से बाहर निकालने को लेकर है विवाद.तस्वीर: picture-alliance/dpa/K. Talbot

जर्मन रक्षा मंत्री ने डाली ईरान पर जिम्मेदारी

जर्मन रक्षा मंत्री और सत्ताधारी सीडीयू पार्टी की प्रमुख आनेग्रेट क्रांप कारेनबावर ने ईरान पर इलाके में तनाव बढ़ाने का आरोप लगाते हुए कहा है कि ईरान को मध्य पूर्व में तनाव बढ़ाने से बचना चाहिए. उन्होंने कहा, "मैं साफ तौर पर कहूंगी कि ईरान इलाके में तनाव बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है, इसलिए यह ईरान की जिम्मेदारी है कि वह तनाव घटाने में योगदान दे." विदेशी सैनिकों को देश छोड़ने के लिए कहने वाले इराकी संसद के प्रस्ताव पर क्रांप कारेनबावर ने कहा कि जर्मनी चाहता है कि इस्लामिक स्टेट के चरमपंथियों से लड़ रही अंतरराष्ट्रीय सेना इराक में रहे. उन्होंने कहा, "हम अपना काम जारी रख सकेंगे या नहीं यह मुख्य रूप से इराक सरकार के फैसले पर निर्भर है. इसके लिए इस समय बात चल रही है."

सीके, एसबी/आरपी (रॉयटर, एपी)

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