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क्या कम भ्रष्ट होती हैं महिलाएं

४ दिसम्बर २०१२

आम तौर पर धारणा यह है कि जहां भ्रष्टाचार बढ़ रहा हो, वहां महिलाओं को अधिकार दे दो, मामला साफ हो जाएगा. क्या यह बात सच है, क्या महिलाएं भ्रष्टाचार को काबू पाने में मददगार होती हैं. दिलचस्प रिसर्च कुछ और ही सामने आया है.

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तस्वीर: AP

मोटा जवाब है, नहीं. हाल के दिनों में बराबर कहा गया है कि जैसे जैसे महिलाएं बड़े पदों पर चढ़ती जा रही हैं, वैसे वैसे भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी पर लगाम लगाने की उम्मीद बढ़ती जा रही है. लेकिन गहराई से किए गए सर्वे के बाद बहुत जटिल नतीजे सामने आए हैं.

अहम बात यह है कि पुरुषों की तरह महिलाएं भी लालची होती हैं और सत्ता पाने के लिए हर हथकंडा अपनाने को तैयार रहती हैं. हालांकि इस तरह जो समाज बनता है, वह लोकतांत्रिक समझा जाता है, जहां गलत तरीकों के खिलाफ आवाज उठाना आसान होता है. अमेरिका की वैश्विक महिला मामलों की दूत मेलेना वेरवीयर का कहना है, "ऐसा नहीं है कि राजनीति में ज्यादा महिलाओं को शामिल कर दो और कह दो कि वाह, अब तो सब कुछ ठीक हो जाएगा. चुनौती यह है कि लिंग के आधार पर असंतुलन को पहले खत्म किया जाए और उसके बाद इन समस्याओं से निपटने की कोशिश की जाए."

तो इसलिए ऐसा नहीं कहा जा सकता है कि महिलाएं कम भ्रष्ट होती हैं लेकिन हाल के नमूनों को ध्यान में रखते हुए यह जरूर कहा जा सकता है कि अगर सरकारों में ज्यादा महिलाएं होंगी तो काम करने का माहौल बेहतर हो सकता है. मिसाल के तौर पर पेरू की राजधानी लीमा में लोगों में 2012 में सर्वे किया गया कि ट्रैफिक पुलिस क्या रिश्वत लेती है. ऐसा ही सर्वे 14 साल पहले भी किया गया था. सबरीना करीम के इस ताजा सर्वे में लोगों ने बेहतरी के संकेत दिए. इस दौरान ट्रैफिक पुलिस में 2,500 महिलाओं को भर्ती किया गया.

इससे अलग एक सर्वे में 86 फीसदी लोगों ने माना है कि महिला पुलिस ट्रैफिक अधिकारी अपना काम पूरा कर रही हैं. करीम ने अपने सर्वे में यह नतीजा निकाला कि 95 फीसदी लोग समझते हैं कि महिलाओं के शामिल होने की वजह से भ्रष्टाचार कम हुआ है. इनमें से 67 फीसदी लोगों का मानना है कि महिलाएं कम भ्रष्ट होती हैं. लीमा की ही तरह मेक्सिको में भी महिला ट्रैफिक अधिकारियों की भर्ती की गई है.

भारत में भी ऐसा हुआ है. 1993 के कानून के तहत ग्राम पंचायत चुनावों में एक तिहाई हिस्सेदारी महिलाओं को दी गई है. विश्व बैंक की सालाना रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके बाद से भारत के गांवों की बेहतरी हुई है और वहां ज्यादा साफ पानी, साफ सफाई, स्कूल और दूसरी संस्थाएं बन पाई हैं.

वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट कहती है कि जिन गांवों की कमान महिलाओं के हाथ है, वहां 2.7 से 3.2 प्रतिशत कम रिश्वत दी जाती है. इसमें कहा गया है कि ज्यादातर चीजों पर पुरुष का काबू है और सड़क निर्माण जैसी चीजों में ज्यादा रिश्वत का चलन है.

ईरान में 1975 से 1978 तक महिला मामलों की मंत्री रहने के बाद महनाज अफखामी का मानना है कि महिलाओं की भागीदारी से सरकार के स्तर पर अच्छा प्रभाव पड़ सकता है. उनका कहना है, "लोकतंत्र के स्तर और नेतृत्व में महिलाओं की हिस्सेदारी को लेकर सीधा संबंध है. वे पुरुषों के रूढ़ीवादी समाज का हिस्सा नहीं हैं और वे जानती हैं कि काम कैसे करना है." अफखामी अब मेरीलैंड में रहती हैं और महिला अधिकार संगठन में काम करती हैं. उनका कहना है कि ईरान में मंत्री रहते हुए उनहोंने देखा कि कई मामलों में किस तरह महिलाओं को बराबरी का अधिकार मिला, जिसमें तलाक जैसे संवेदनशील मामले भी थे.

इंडोनेशिया की पहली महिला वित्त मंत्री स्रीमुलयानी इंद्रावती का कहना है कि बुनियादी स्तर पर सरकार में ज्यादा महिलाओं की भागीदारी से संसाधनों के बंटवारे में आसानी होती है. गैलप ने मई में 140 देशों में सर्वे किया था, जहां दो तिहाई लोगों ने कहा कि उनकी सरकार में रिश्वत और भ्रष्टाचार बड़ा मुद्दा है.

एजेए/ओएसजे (ट्रस्टलॉ)

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