गुरुग्राम में प्रकृति बनाम विकास
१७ जनवरी २०१९गुरुग्राम का अरावली जैव विविधता पार्क वहां के रहने वालों के जीवन का अहम हिस्सा है. जब से भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण ने पार्क के 20 एकड़ के हिस्से से एक्सप्रेस-वे निकालने की बात की है, तब से इसके खिलाफ लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
अपने खाली समय में लतिका ठुकराल और वसुंधरा अग्रवाल को अपने घर के पास के पार्क में घूमना पसंद है. कुछ ही साल पहले तक यहां कोई पार्क नहीं बल्कि केवल खाली जमीन होती थी. 2010 में गुरुग्राम के 35,000 लोगों ने 70 कंपनियों की मदद से इस 380 एकड़ की जमीन को पार्क में तब्दील किया. लोगों ने वहां से कचरा हटाया, पेड़ पौधे लगाए और नगर पालिका की मदद से पार्क के बीच में से गुजरने वाले फुटपाथ भी बनाए. अब यहां 180 प्रकार के पक्षियों की प्रजाति, हिरण, सिवेट बिल्लियां और सियार रहते हैं. इस पार्क से 32 करोड़ लीटर पानी भी साफ होता है.
ठुकराल ने अपनी बैंक की वरिष्ठ उपाध्यक्ष की नौकरी छोड़ कर पर्यावरण बचाने के लिए नागरिकों की एक पहल "मैं गुड़गांव हूं" को शुरु किया था. उनका कहना है, "गुड़गांव में रहने वाला हर कोई इस पार्क से जुड़ा हुआ है." मगर अब अरावली जैव विविधता पार्क खतरे में है. पार्क के पूर्वी हिस्से से एक छह लेन का एक्सप्रेस-वे निकालने की बात हो रही है. ठुकराल और बाकी लोगों का मानना है कि ये दो किलोमीटर का एक्सप्रेस-वे पार्क के लिए बड़ी चुनौती है.
पार्क है तो मगर आधिकारिक नहीं
इलाके में रहने वालों का मानना है कि इस एक्सप्रेस-वे की वजह से पार्क के 20 एकड़ के हिस्से पर और पार्क में रहने वाले वन्य जीवन पर असर पड़ेगा. शोर और हवा का प्रदूषण जो होगा वह अलग. इस एक्सप्रेस-वे को बनाने का प्रस्ताव भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण ने दिया है. लोगों में इस प्रस्ताव को लेकर काफी गुस्सा है.
इस पार्क को बनाने में मदद करने वाली यहां की एक निवासी वसुंधरा का कहना है कि "अगर इस पार्क को कुछ हुआ तो हम शहर छो़ड़ने के लिए तैयार हैं. ये जगह हमारे लिए बहुत जरुरी है और ये इस इलाके के फेफड़े का काम करती है. हम इसको बर्बाद होते नहीं देख सकते."
गुरुग्राम ने पिछले कुछ सालों में बहुत तेजी से तरक्की की है. दुनिया की फॉर्च्यून 500 कंपनियों में से 250 कंपनियों के दफ्तर दिल्ली के इस शहर में ही हैं. यहां कम से कम 20 लाख लोग काम करते और रहते हैं. इस वजह से गुरुग्राम कंक्रीट का जंगल बनता जा रहा है और पार्क जैसी हरी भरी जगहें लोगों के लिए और भी ज्यादा जरुरी हो गई हैं. पार्क की वजह से निवासियों को शोर और प्रदूषण से मुक्ति मिलती है. और इसी वजह से लोग पार्क पर आ रहे इस खतरे के खिलाफ लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं.
लोगों को शांत करने के लिए राज्य के वन और लोक निर्माण विभाग के मंत्री राव नरबीर सिंह ने लोगों को आश्वासन दिया है कि एक्सप्रेस-वे का रास्ता बदल दिया जाएगा. सिंह ने एक विरोध प्रदर्शन के बाद लोगों से कहा कि वे राजमार्ग प्राधिकरण से बात करेंगे ताकि एक्सप्रेस-वे का रास्ता बदला जा सके. उन्होंने भरोसा दिलाया, "हम पर्यावरण को किसी भी तरह का नुकसान नहीं होने देंगे."
मगर सच्चाई यह है कि सिंह के पास ऐसा कोई अधिकार नहीं हैं, जिससे वे कोई बड़ा बदलाव ला सके. भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने सिर्फ इतना कहा कि वे एक्सप्रेस-वे के बारे में अभी भी सोच रहे हैं. मुश्किल ये है कि पार्क आधिकारिक नहीं है. लोगों ने पार्क बना तो दिया मगर पार्क आधिकारिक तौर पर संरक्षित क्षेत्र में नहीं आता है. कानूनी तौर पर राजमार्ग प्राधिकरण बोल सकता है कि इस एक्सप्रेस-वे से गुरुग्राम की ट्रैफिक की परेशानी हल हो जाएगी.
प्रकृति बचाने के लिए उठा लेंगे थोड़ा कष्ट
दिल्ली स्थित आर्किटेक्चर फर्म एसकेडीएएस में आर्किटेक्ट जैन खान भी इस एक्सप्रेस-वे के खिलाफ हैं. उनका मानना है कि विकास करने के लिए प्रकृति को नुकसान पहुंचाने की कोई जरुरत नहीं हैं, कोई और तरीके भी देखे जा सकते हैं. खान कहते हैं, "मुझे नहीं लगता कि हमें हर समय संघर्ष करने की जरुरत है. कोई भी 15 मिनट के लिए और गाड़ी चलाने से नहीं कतराएगा अगर उससे ये पार्क बचाया जा सके तो. यह हमारे भविष्य के लिए जरुरी है."
पेशे से वकील श्याम कुमार का कहना है कि "ये गलत है. राजमार्ग प्राधिकरण को ऐसा नहीं करना चाहिए. ये पार्क लोगों की मेहनत की निशानी है. इसके बीच से एक्सप्रेस-वे निकालना गलत होगा." लोगों ने इस पार्क को बचाने के लिए कोर्ट तक जाने का मन बना लिया है.
रिपोर्ट: मुरली कृष्णन/एनआर