कौन थी विवियन मायर
आज उन्हें अमेरिका का सबसे महत्वपूर्ण स्ट्रीट फोटोग्राफर माना जाता है, लेकिन ख्याति उन्हें मरने के बाद मिली. और जब ख्याति मिलनी शुरू हुई तो उनकी विरासत पर विवाद हो गया.
रहस्यमयी महिला
न्यूयॉर्क और शिकागो की सड़कों पर रोजमर्रा की जिंदगी की तस्वीर खींचने की हठी इस झक्की महिला की कहानी उतनी ही अद्भुत है जितनी हाल में मिली उनकी तस्वीरों की. यदि उनसे कोई पूछे कि रोजी रोटी के लिए वे क्या करती हैं तो वे कहतीं, "मैं एक तरह की जासूस हूं."
कैमरे वाली मेरी पॉपिंस
फ्रेंच मां और ऑस्ट्रो हंगेरियन पिता के घर न्यूयॉर्क में 1926 में पैदा हुई विवियन का बचपन यूरोप और अमेरिका के बीच बीता. 1951 में वह अमेरिका में बस गई और अगले 40 सालों तक विभिन्न परिवारों में नैनी का काम करती रहीं. उनमें से एक बच्चे का कहना है, "वे असली, जीवित मेरी पॉपिंस जैसी थीं."
काम के दौरान
जिन बच्चों की वे देखभाल कर रही होती, उन्हें रोजाना न्यूयॉर्क में सिटी सेंटर में या बाद में शिकागो में पुराने इलाकों में घुमाने ले जाती और इस दौरान अपने आसपास की जिंदगी कैमरे में रिकॉर्ड करतीं. गले में लटका रोलाईफ्लेक्स कैमरा उनकी पहचान बन गया था, लेकिन किसी को उनके कामों का पता नहीं था.
यादों के ढेर
उनका जीवन नितांत निजी था. अपने नियोक्ताओं के यहां वे अपना कमरा बंद रखतीं. तस्वीरें अपने पास सहेज कर रखतीं. इन सालों में उन्होंने डेवलप नहीं हुए 100,000 से ज्यादा निगेटिव इकट्टा किए और साथ ही होममेड दस्तावेजी फिल्में और ऑडियो रिकॉर्डिंग. ये सब बाद में स्टोर रूम में पहुंचा दिए जाते थे.
सामानों की नीलामी
जिंदगी के आखिरी दिनों में विवियन मायर इतनी गरीबी में जी रही थीं कि उनके लिए स्टोर रूम का किराया देना भी मुश्किल हो रहा था. आखिरकार उनकी तस्वीरों को नीलाम करना पडा. गैरेजों को किराये पर लगाने के लिए मशहूर जॉम मैलूफ ने 2007 में 400 डॉलर में वह बक्सा खरीदा जिसमें 30,000 निगेटिव थे.
गुमनाम मौत
भले ही विवियन मायर अब अमेरिका की सबसे मशहूर स्ट्रीट फोटोग्राफर हों, लेकिन अपनी ख्याति ले उनका कोई लेना देना नहीं था. जिंदगी के आखिरी दिनों में उनके पास पैसे नहीं थे और उन्हें उनके सस्ते फ्लैट से भी निकाला जा रहा था. 1970 के वर्षों में उन्हें नौकरी देने वाले गेंसबुर्ग परिवार ने उनकी मदद की. 2009 में उनकी 83 वर्ष की आयु में मौत हो गई.
दुनिया को पता
जॉन मैलूफ 2009 में विवियन मायर को खोजने की कोशिश कर रहे थे, जब उन्होंने इंटरनेट पर उनकी मौत की खबर देखी. उसके बाद उन्होंने विवियन के बारे में जानने की कोशिश की और उन लोगों से मिले जो विवियन को जानते थे. चर्चा के लिए फ्लिकर पर पोस्ट की विवियन की तस्वीरें वायरल हो गईं. फिर जॉन ने उनका प्रचार शुरू किया.
विवियन की खोज
जॉन मैलूफ ने अपनी इस खोज पर डॉक्युमेंटरी बनाने का फैसला किया कि आखिर एक नैनी सालों तक ऐसी तस्वीरें क्यों खींचेगी. फिल्म फाइंडिंग विवियन मायर ने बहुत सारे पुरस्कार जीते और उसे ऑस्कर की सर्वोत्तम डॉक्युमेंटरी फीचर केटगरी के लिए भी नामित किया गया. विवियन की कहानी महत्वाकांक्षाओं को मूर्त रूप देने की कहानी है.
कानूनी झगड़े
कुछ लोगों ने जॉन मैलूफ द्वारा अपनी खोज का प्रचार किए जाने के तरीके की आलोचना की है. विवियन की विरासत पर भी झगड़े हुए हैं. इस बीच उनकी तस्वीरों के प्रमुख मालिक जॉन मैलूफ और विवियन की एक फ्रेंच रिश्तेदार के बीच कॉपीराइट पर समझौता हो गया है. पर संपत्ति के एक्जेक्यूटर को 2014 के बाद से विवियन के 10 और रिश्तेदार मिले हैं.
महान फोटोग्राफर
कॉपीराइट विवाद के सुलझने में अभी सालों लगेंगे. इस निजी महिला की तस्वीरों को उनके मरने के बाद प्रचारित किए जाने पर भी कला जगत में विवाद है. लेकिन इस विवाद का विवियन मायर की तस्वीरों की क्वालिटी पर साया नहीं पड़ना चाहिए जो रोबर्ट फ्रैंक या डाएन आर्बुस जैसे फोटोग्राफरों के समतुल्य हैं. उनकी तस्वीरें इस समय विली ब्रांट हाउस बर्लिन में दिखाई जा रही हैं.