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हिटलर की मूंछों की वैक्सिंग

मानसी गोपालकृष्णन/ईशा भाटिया६ मई २०१६

वैक्सिंग बाल हटाने का काफी दर्दनाक तरीका है और किसी की मूंछों को इस तरीके से हटाने का आइडिया तो तभी आ सकता है, अगर वह व्यक्ति बेहद नापसंद हो.

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Waxing gegen Rechts
तस्वीर: www.waxing-gegen-rechts.de

जर्मनी के तानाशाह अडोल्फ हिटलर का नाम लेते ही यहूदियों के साथ हुई बर्बरता की याद ताजा हो जाती है. आंखों में अजीब सा जुनून और छोटी सी मूंछें. यह चेहरा वैसे तो जर्मनी के लोगों को काफी नापसंद है लेकिन कुछ उग्रदक्षिणपंथी आज भी देश में सक्रिय हैं, जो हिटलर को अपना आदर्श मानते हैं. इन्हीं लोगों के खिलाफ एक मुहिम छेड़ते हुए जर्मनी की एक हेयर ड्रेसर ने हिटलर की मूंछों की वैक्सिंग का आइडिया निकाला.

दरअसल बवेरिया की रहने वाली उर्जुला ग्रेसर ने हिटलर की तस्वीर वाले पैम्फ्लेट बांटने शुरू किए. तस्वीर के ऊपर एक टेप चिपकी होती है. इसे किसी वैक्सिंग स्ट्रिप की तरह खींचा जा सकता है. जोर से टेप खींचिए और उखाड़ लीजिए हिटलर की मूंछें. नीचे दिए गए ट्वीट में देखिए कि यह कैसे किया जाता है.

ग्रेसर का मकसद सिर्फ लोगों के साथ थोड़ा सी मस्ती और मजाक करना नहीं है, बल्कि हिटलर की मूंछ उखाड़ने का मौका उसी को मिलता है जो उग्रदक्षिणपंथियों के खिलाफ मुहिम चलाने के लिए कम से कम एक यूरो का चंदा देता है. हालांकि इस अनोखे आइडिया के लिए ग्रेसर को थोड़ी सी परेशानी भी उठानी पड़ी. जर्मन कानून के तहत हिटलर की तस्वीरें बांटना, हिटलर के नाम या चेहरे वाले पोस्टर लगाना या फिर हिटलर की तरह कपड़े पहनना दंडनीय है. ऐसे में ग्रेसर पर भी मामला दर्ज हुआ. लेकिन जब अधिकारियों को उनकी मंशा के बारे में पता चला, तो उन पर से सभी इल्जाम हटा लिए गए.

ग्रेसर के सैलून 'बोडरवैर्क' की वेबसाइट पर इस बारे में किसी परिकथा के रूप में लिखा गया है, "एक वक्त की बात है जब बवेरिया प्रांत में कहीं एक छोटा सा हेयर सैलून हुआ करता था. उसका खूबसूरत सा नारा था: एक विद्रोही मन, एक बवेरियन दिल. सैलून की मालिक बड़ी बड़ी बातें सुन कर थक चुकी थी, अब वह कुछ कर के दिखाना चाहती थी, नस्लवाद के खिलाफ, विदेशियों के प्रति हीन भावना के खिलाफ."

पैम्फ्लेट पर हिटलर की मूंछें उखड़वा कर तो ग्रेसर चंदा जमा कर ही रही हैं, साथ ही उनकी दुकान में होने वाले हर हेयरकट, शेव या वैक्स के बिल में से भी एक एक यूरो इस काम के लिए दिया जाता है. वह यह धन एक ऐसी संस्था को देती हैं, जो देश में फैल रहे उग्रदक्षिणपंथ के खिलाफ काम कर रही है.