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कोसोवो के लिए हुए युद्ध के 10 साल

२४ मार्च २००९

आज से ठीक 10 साल पहले सर्बिया के प्रदेश कोसोवो को उससे अलग करने का एक ऐसा युद्ध शुरू हुआ, जो जर्मन सेना बुंडेसवेयर के इतिहास में भी एक विवादास्पद अध्याय बन गया.

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कोसोवो में तैनात जर्मन सैनिकतस्वीर: Refki Alija

24 मार्च 1999 को नाटो की कमान के अधीन जर्मनी के टोर्नैडो युद्धक विमानों ने भी सर्बिया पर बमबारी की. इसी युद्ध के परिणामस्वरूप पिछले वर्ष से कोसोवो यूरोप का एक नया स्वतंत्र देश बन गया है.

जर्मन विमानों की भागीदारी के साथ 24 मार्च 1999 को सर्बिया पर शुरू हुई नाटो की बंबारी 79 दिनों तक चली थी. नाटो आज तक यह बताने की स्थिति में नहीं है कि उसने वहां कितने लक्ष्यों पर बंबारी की और कितने असैनिक नागरिक हताहत हुए. उस समय कहा यह गया कि हम सर्बिया के राष्ट्रपति स्लेबोदान मिलोशेविच द्वारा कोसोवो में चलाये जा रहे जातीय सफ़ाई अभियान को रोकने के लिए, यानी कोसोवो से वहां की मुस्लिम अल्बानी जनता को बचाने के लिए ऐसा कर रहे हैं. तत्कालीन जर्मन चांसलर गेरहार्ड श्रोएडर ने भी युद्ध के बचाव में यही तर्क दियाः

"कोसोवो में मानवाधिकारों के और अधिक सुनियोजित हनन और किसी मानवीय आपदा को रोकने के लिए नाटो यह क़दम उठाने पर मजबूर हो गया था."

Kosovo bereitet Unabhängigkeit vor Flagge Frau auf der Straße
आज़ादी की ख़ुशीतस्वीर: AP

जर्मन संसद में वक्तव्य देते हुए तत्कालीन चांसलर ने कहाः

"हम सभी जानते हैं कि द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद यह पहली बार है कि जर्मन सैनिक किसी युद्ध में भाग ले रहे हैं. लेकिन, मैं आपको विश्वास दिलाना चाहता हूँ कि जर्मन सरकार ने बहुत भारी मन से यह निर्णय लिया है."

जर्मन संसद ने अक्टूबर 1998 में ही भारी बहुमत से निर्णय ले लिया था कि कोसोवो के पक्ष में सैनिक हस्तक्षेप की अनुमति देने वाला संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का कोई प्रस्ताव न होने पर भी जर्मन सेना नाटो की ओर से लड़ने जायेगी. सुरक्षा परिषद ने ऐसा कोई प्रस्ताव पास नहीं किया. इस दृष्टि से कोसोवो युद्ध अंतरराष्ट्रीय नियमों-क़ानूनों का उल्लंघन कहा जा सकता है. कोसोवो युद्ध मे 14 जर्मन टोर्नैडो विमानों ने बमबारी की. जर्मन जनता का एक वर्ग युद्ध के सरासर विरुद्ध था

जून 1999 में सर्बिया ने कोसोवो से अपने सैनिक हटा लिये. वहाँ जर्मनी सहित नाटो देशों के सैनिक तैनात हुए. आज कोसोवो सर्बइया से अलग एक स्वतंत्र देश है. जर्मनी उसे कूटनैतिक मान्यता देने वाले प्रथम देशों में शामिल था.

रिपोर्ट : एजेंसियां, राम यादव
एडीटर :एस जोशी