कोसी फिर लबालब
नेपाल मे एक बार फिर बाढ़ आई है, जिसका असर बिहार पर भी पड़ रहा है. हालांकि इस बार 2008 की बाढ़ से कुछ सीख मिलती दिख रही है और वक्त रहते लोगों को हटाया जा रहा है. इस बाढ़ से खुद नेपाल भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है.
रात के अंधेरे में बाढ़
शनिवार को रात के दो बज रहे थे. दिन भर की बारिश से वैसे ही लोग परेशान थे कि कोसी में बाढ़ आ गई. इसके बाद नेपाल में मिट्टी का भारी कटाव और घाटी में पानी का सैलाब. आपदा की गंभीरता सुबह में ही पता लग पाई.
संसार खत्म हो गया
नेपाल में घाटी के जूर शहर में ज्यादा कुछ नहीं बचा. लगभग तीन दर्जन घर बह गए. कांतिपुर टेलीविजन ने इस घटना की रिपोर्टिंग की, तो वहां किसी तरह बचे एक शख्स का कहना था, "इस भूस्खलन के बाद मेरी दुनिया खत्म हो गई. भाई और उसके बच्चे सब दब गए."
कातिल मलबे
कई लोगों की मलबे में दब कर मौत हो गई. 34 लोगों को हेलिकॉप्टर से काठमांडू ले जाया गया. इनमें से 19 बुरी तरह जख्मी थे. एक बेल्जियम का यात्री भी जख्मियों में शामिल था, "मैंने जोर की आवाज सुनी. इसके बाद खिड़की से कीचड़ मेरे कमरे में घुसा. मैंने दो लोगों को बचाने की कोशिश की लेकिन नाकाम रहा."
सैकड़ों लोग लापता
गायब हुए लोगों की संख्या अभी भी साफ नहीं है. पहले कुछ 20 लोगों के ही गायब होने की बात थी लेकिन बाद में यह संख्या बढ़ते हुए 150 के पार तक जा पहुंची. हालांकि पक्के नंबर किसी के पास नहीं हैं.
और आपदाओं का खतरा
इस बीच कीचड़ और पत्थरों ने कोसी नदी का रास्ता रोक लिया है. यहां बांध के पास काफी पानी जमा हो गया है. गृह मंत्री बामदेव गौतम का कहना है, "अगर इसकी वजह से बांध टूटता है, तो भारी तबाही होगी."
गांव खाली कराए गए
सरकार ने नदी के आस पास इमरजेंसी का एलान कर दिया है. सिंधुपालचोक इलाके में 700 सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है. बांध के पास से खास तौर पर लोगों को हटाया जा रहा है.
दर्जनों गांव जलमग्न
बांध के आस पास बड़ी आबादी है. इसकी वजह से दर्जनों गांवों को खाली करा लिया गया है. इन लोगों ने आस पास की जगहों में शरण ली है. बाढ़ की वजह से पास का आरानिको हाइवे भी पानी में डूब गया है, जो नेपाल को चीन से जोड़ता है.
मुश्किल लम्हे
इस घटना के 12 घंटे बाद पानी बांध तक पहुंच गया और लबलबाने लगा. सेना ने पानी का बहाव तेज करने के लिए तीन छोटे धमाके किए. लेकिन स्थानीय लोगों ने ट्वीट किया कि इतना करना काफी नहीं है.
लगातार भूस्खलन
राहत काम में उस वक्त बाधा उत्पन्न हो गई, जब एक के बाद एक कई भूस्खलन होने लगे. विदेशी राहतकर्मी हादसे की जगह तक नहीं पहुंच पाए. इसकी वजह से भारी उपकरणों को भी यहां तक नहीं पहुंचाया जा सका.
लोगों की तलाश जारी
राहतकर्मियों को सारा काम सिर्फ हाथों से करना पड़ा. धीरे धीरे गायब हुए लोगों को खोज पाना मुश्किल होता गया. सरकार ने बताया कि इस बीच लोग 24 घंटे तक दलदल में दबे रहे.
भारत में गुस्सा
नेपाल में आई बाढ़ का सीधा असर भारतीय राज्य बिहार पर पड़ता है. नेपाल की सुन कोशी बिहार में कोसी कहलाती है. इसकी वजह से छह साल पहले जबरदस्त बाढ़ आ चुकी है. इस बार थोड़ी तैयारी थी. करीब 44,000 लोगों को सुरक्षित जगहों पर ले जाया गया.