कोविड से मरे लोगों का सुरक्षा और रस्म के साथ अंतिम संस्कार
२६ जनवरी २०२१"हम अल्लाह के हैं और उसके पास हम लौट आएंगे. पहला गुसल खाना.” कोविड-19 के पीड़ितों के लिए समर्पित एक कमरे के दरवाजे पर गुसल यानी सफाई की रस्म का हवाला देते हुए यह संदेश लिखा हुआ है.
कोविड-19 से मरे व्यक्ति के शव को कफन में लपेटा गया और ताबूत में रखा गया. इसके बाद, जोहानिसबर्ग के बाहरी इलाके में लगभग 1,00,000 की आबादी वाले समुदाय, लेनोसिया के एक कब्रिस्तान में सभी परंपराओं का पालन करते हुए उसे दफनाया गया. दफनाने से पहले शव को परंपराओं के मुताबिक नहलाया भी गया. इस दौरान वहां मौजूद लोगों की सुरक्षा पर भी पूरा ध्यान था. यह सब स्थानीय लोगों की एकजुटता की वजह से संभव हो पाया है. इसमें साबरी चिश्ती संगठन का अहम योगदान है.
24 घंटे के भीतर दफन
कोविड की वजह से दक्षिण अफ्रीका में काफी ज्यादा लोगों की मौत हुई है. इन मौतों को देखते हुए, साबरी चिश्ती संगठन अब सुरक्षित तरीके से मृतकों के शरीर को दफन करने का काम कर रहा है. संगठन की टीम ने तो मौत के 12 घंटे के अंदर ही कई शव को सुरक्षित तरीके से दफना दिया. इस्लामिक परंपरा में 24 घंटे के भीतर शव को दफन करना होता है. संगठन इस बात का पूरा ख्याल रखता है कि सारा काम 24 घंटे के भीतर पूरा हो जाए.
साबरी चिश्ती सोसायटी के चेयरमैन अबू बकर सईद हैं. सईद कहते हैं, "हमने कोविड के दौरान विदेशों की कई खबरें देखीं. काफी संख्या में लोगों की मौत की खबर सुनी. बड़ी संख्या में शव को दफनाने की खबर सुनी. तब हमने खुद से पूछा कि अगर हमारा देश इस बीमारी की चपेट में आता है, तो क्या हम इससे निपटने के लिए तैयार होंगे?”
पिछले 30 वर्षों से अधिक समय से साबरी चिश्ती एंबुलेंस सेवा और आपातकालीन स्थितियों में लोगों की दूसरे तरीकों से मदद करती है. इस एंबुलेंस सेवा को चलाने के लिए समुदाय के लोग चंदा देते हैं. कोविड-19 की बीमारी फैलने के बाद इस सेवा का विस्तार किया गया है. एम्बुलेंस से मरीजों के लिए ऑक्सीजन भी पहुंचाया जा रहा है.
कोविड की चुनौती
कोविड महामारी के दौरान पूरी दुनिया में मुस्लिम समुदाय के सामने, "परंपरागत तरीके से शव को दफन” करने की चुनौती आ खड़ी हुई. दक्षिण अफ्रीका में सामाजिक संगठन ने मेडिकल विशेषज्ञों से शवों को सुरक्षित तरीके से धोने और दफनाने के बारे में सलाह ली. सईद कहते हैं, "इमामों ने हमारे वॉलंटियरों को ट्रेनिंग दी. यह हमारी युवा पीढ़ी के लिए, खुद को क्रिक्रेट के मैदान पर बल्लेबाज के तौर पर साबित करने जैसा था. ऐसा इसलिए, क्योंकि उन्हें अपनी पिछली पीढ़ी की परंपराओं को आगे बढ़ाना था. उन्हें सीखना था.”
इस समूह ने जोहानिसबर्ग, डरबन और केपटाउन के अन्य हिस्सों में मुस्लिम समुदायों के साथ अपने दिशानिर्देशों को साझा किया और उन्हें ट्रेनिंग दी. सईद बताते हैं, "सफाई की रस्म के समय परिवार के सदस्यों को भी मृतक को देखने की अनुमति मिलती है. हालांकि, कोविड से मरने पर सबसे खराब बात ये है कि परिवार के सदस्य अपने परिजन को अलविदा नहीं कह सकते लेकिन सुरक्षित तरीके से सफाई की रस्म की वजह से वे अपने अजीज को अंतिम समय में देख पा रहे हैं. मैंने उस समय यह नहीं सोचा था कि इससे मेरे परिवार को या मुझे मदद मिलेगी.”
सईद के पिता और चाचा दोनों की मौत पिछले साल जुलाई महीने में कोविड की वजह से हो गई. दोनों को एक-दूसरे के बगल में दफनाया गया. सईद भावुक होते हुए कहते हैं, "इस रस्म से मुझे काफी ज्यादा मदद मिली.” उनके पिता संगठन के प्रेसिडेंट और चाचा चेयरमैन थे. अब सईद, संगठन के चेयरमैन हैं. वे कहते हैं, "सोसायटी ने ऐसे 180 लोगों को दफनाया है जिनकी मौत कोविड-19 की वजह से हुई."
ज्यादा कब्रों के साथ तैयारी
कब्रिस्तान में काफी ज्यादा कब्रें खोदी गई हैं. ऐसे में, दफनाने के लिए पर्याप्त जगह है. घर पर हल्के लक्षणों वाले लोगों की मदद के लिए साबरी चिश्ती एंबुलेंस सेवा का भी विस्तार हुआ है. अन्य संगठनों के सहयोग से, घर में रोगियों की देखभाल के लिए 70 ऑक्सीजन सिलिंडर की व्यवस्था की गई है. कई डॉक्टर भी अपनी सेवा दे रहे हैं.
दक्षिण अफ्रीका में एक बार फिर कोरोना तेजी से फैल रहा है. पहले के मुकाबले इस बार दोगुनी संख्या में लोग प्रभावित हो रहे हैं. इन हालातों में, सोसायटी की दो एंबुलेंस कोविड-19 से प्रभावित लोगों की हर दिन मदद कर रही है. यह सेवा लेनोसिया और आसपास के क्षेत्रों के सभी निवासियों को दी जाती है. इसमें, सोवतो के कुछ हिस्से भी शामिल हैं क्योंकि यहां रहने वाले अधिकांश लोगों की आय बहुत कम है. इसलिए, गरीब लोगों से पैसे नहीं लिए जाते हैं.
दक्षिण अफ्रीका की आबादी करीब छह करोड़ है. यहां कोविड-19 के 14 लाख मामलों की पुष्टि की गई है. यह पूरे अफ्रीका महाद्वीप में कोविड के पुष्टि किए गए मामलों का 40 प्रतिशत है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि एक बार फिर से कोविड का मामला बढ़ने का असर अस्पतालों पर दिखेगा.
आरआर/एनआर (एपी)
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